अभय: सद्‌गुरु, मुझे अपने संबंधों की डोर कटने पर बहुत तकलीफ होती है। अपने परिवार, अपने बच्चों से मेरा जुड़ाव होने की वजह से मैं अपने करीबियों के साथ होने वाली घटनाओं से बहुत परेशान हो जाता हूं। कृपया इस मामले में मेरी मदद कीजिए।

सद्‌गुरु: मैंने कभी यह नहीं कहा कि आप अपने संबंधों के धागे काट दीजिए। यह बेहद अफसोस की बात है कि फिलहाल आपके संबंधों के धागे बहुत कम लोगों से जुड़े हैं। इनका विस्तार कीजिए। इन धागों को आप कुछ लोगों से जोडऩे के बजाय धरती पर मौजूद हर प्राणी से जोडऩे की कोशिश कीजिए। आखिर आप अपने धागे को काटना क्यों चाहते हैं? धागों को काटने की तो कोई वजह ही नहीं है। देखिए ‘जुडऩे’ और ‘उलझने’ में फर्क है। जीवन को जानने का सिर्फ एक ही तरीका है: जीवन से जुडऩा। यह बात केवल आध्यात्मिकता से जुड़ी नहीं है। अगर आप जुड़ाव नहीं रखेंगे, तो क्या जीवन में कभी किसी भी चीज के बारे में जान पाएंगे? आज कल लोगों में जुड़ाव की कमी दिखती है।

जब आप जुडऩे में भेदभाव करते हैं, तो यह उलझन बन जाता है। आप बिना किसी भेदभाव के जुड़ें। आप जिस धरती पर चलते हैं, आप जो भोजन करते हैं, आप जो पानी पीते हैं, आप जिस हवा में सांस लेते हैं और उस स्थान में जहां आप रहते हैं, कोशिश कीजिए कि आप इन सारी चीजों से पूरी तरह जुड़ सकें। हालांकि इन चीजों से तो आप अभी भी जुड़े हुए हैं, लेकिन फिलहाल आपका यह जुड़ाव अचेतन है। अगर आप उस हवा से जुड़ाव नहीं रखेंगे, जिसमें आप सांस लेते हैं तो आप मर जाएंगे। आपको बस जुड़ाव को लेकर सचेतन होना है।

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अगर आप किसी चीज से अचेतन रूप से जुड़ते हैं तो यह एक बड़ा बोझ लगता है। लेकिन अगर आप सचेतन रूप से किसी चीज से जुड़े हुए हैं, तो यही अनुभव एक आनंदमय अनुभव बन जाता है। आज हमारे पास वैज्ञानिक प्रमाण है कि आपके शरीर के परमाणु का हर कण इस पूरे ब्रह्मांड के साथ संपर्क बनाए हुए है। इसे नजरअंदाज करके आप उस विशाल शक्ति को अनदेखा करने की कोशिश कर रहे हैं, जो आपके जीवन और इस सृष्टि का आधार है। अपने परिवार से जुडऩा, आपकी पीड़ा का कारण नहीं है, बल्कि आपकी पीड़ा का कारण जीवन को अनदेखा करना है।

जीवन का अनुभव केवल जीवन से जुडक़र ही किया सकता है। जितनी मजबूती से आप जीवन से जुड़ेंगे, जीवन को लेकर होने वाले अनुभव भी उतने ही प्रबल होंगे। अपने जुड़ाव को लेकर आपके भीतर डर इसलिए आया, क्योंकि पिछली बार आपका जुड़ाव जहां हुआ था, वहां से आपको चोट मिली। इसलिए अब आपके भीतर विरक्ति है। अगर आप खुद को जीवन से अलग करना चाहते हैं, तो आप अपने सर में गोली मार सकते हैं। यह सचमुच आपको जीवन से अलग कर देगा। आप यहां जीवन का अनुभव करने के लिए आए हैं या फिर उसको अनदेखा करने के लिए? सबसे पहले हम यही तय करते हैं। आप जीवन में रहना भी चाहते हैं, और उससे दूरी भी चाहते हैं। ऐसा करके आप खुद को मृत्यु तक कष्ट देते रहेंगे। आज लोगों के साथ यही हो रहा है।

 

फिलहाल जीवन को लेकर आपके अनुभव भौतिक स्तर तक सीमित हैं, जो कि फिलहाल आप हैं। इस समूचे ब्रह्मांड में आपकी हैसियत क्या है? हो सकता है कि आप अपने घर में कुछ महत्वपूर्ण हों, लेकिन अपने मोहल्ले में आप ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं होंगे और अपने शहर में तो आप कुछ भी नहीं हैं। इस ब्रह्मांड में आप एक धूल के कण के बराबर भी नहीं हैं। कृपया इसे ठीक से समझिये। एक शारीरिक अस्तित्व के तौर पर वास्तव में आप कुछ भी नहीं हैं। अगर आप इस बात को अच्छी तरह से समझते हैं तो आप इस सृष्टि में मौजूद हर चीज को पूरी हैरानी व जुड़ाव के साथ देखेंगे। एक छोटा सा विचार या भावना इतनी महत्वपूर्ण नहीं होगी। यह तो ऐसी चीज है, जिसे आप पैदा कर रहे हैं। आपके मन में जो कुछ भी चल रहा है, वह आपकी रची हुई चीज है।

एक बार एक महिला जब सो रही थी तो उसे एक सपना आया। सपने में उसने देखा कि एक तगड़ा सा पुरुष सामने खड़ा उसे घूर रहा है। कुछ देर बाद उस पुरुष ने महिला की तरफ चलना शुरू किया। धीरे-धीरे वह उसके और नजदीक आता गया। वह उसके इतने नजदीक आ गया कि अब वह उसकी सांसें महसूस कर सकती थी। वह सिहर उठी, लेकिन यह सिहरन डर की नहीं थी। महिला ने पूछा, ‘तुम मेरे साथ क्या करोगे?’ पुरुष ने जवाब दिया, ‘देवीजी, तय आपको करना है, क्योंकि यह आपका सपना है।’

 

आपके मन में जो चल रहा है, वह आपका सपना है। आपकी समस्या यह नहीं है कि जिंदगी वैसे नहीं घटित हो रही, जैसा आप चाहते हैं। आपकी समस्या यह है कि आपके सपने उस तरह से घटित नहीं हो रहे, जैसा कि आप उन्हें घटित होने देना चाहते हैं। कम से कम सपने तो उस तरह से घटित हों, जैसा आप चाहते हैं। अगर यह दुनिया आपके हिसाब से नहीं चलती तो यह अलग बात है। लेकिन अगर आपके सपने भी आपकी इच्छानुसार हो जाएं, तो आप उस में भी खुश हो लेंगे।