बात कारोबार की हो, करियर की या अपने जीवन की, कई ऐसे मोड़ आते हैं, जब हम पिछला सब कुछ भूल कर एक नई शुरुआत करना चाहिते हैं। ऐसे में किन बातों का ध्यान रखना जरुरी है?


प्रश्नः सदगुरु, जब कोई बड़ी गंभीरता से अपने करियर, व्यवसाय या जीवन में नई शुरूआत करने पर विचार कर रहा हो तो उसे किन व्यावहारिक बातों का ध्यान रखना चाहिए?

सद्‌गुरुसदगुरु: ऐलबामा के सण्डे स्कूल की एक घटना है। एक उत्साही अध्यापक ने बच्चों से पूछा, ‘अगर आपको स्वर्ग जाना है तो उसके लिए आपको क्या करना होगा?’ एक ने कहा, ‘अगर मैं हर रविवार को चर्च की सीढ़ियां साफ करूं तो मैं स्वर्ग जा सकूंगा।’ दूसरे ने कहा, ‘अगर में परीक्षाओं में अपने दोस्तों की मदद करूं तो स्वर्ग के दरवाजे मेेेरे लिए खुल जाएंगे।’ इस तरह सबने कुछ न कुछ कहा। लेकिन वहां कक्षा के सबसे आखिरी डेस्क पर बैठा एक छोटा सा बच्चा इस बात में बहुत ज्यादा रूचि नहीं ले रहा था। लेकिन अध्यापक ने उससे भी पूछा, ‘टाॅमी, तुम क्या सोचते हो, स्वर्ग जाने के लिए तुम्हें क्या करना पड़ेगा?’ उसने कहा, ‘स्वर्ग जाने के लिए सबसे पहले मरना पड़ेगा।’
नई शुरूआत करने के लिए बहुत सारी बातें नहीं हैं, जिन पर ध्यान दिया जाए। आपके इस सवाल का कोई सामान्य और सर्वमान्य उत्तर नहीं हो सकता, क्योंकि हम जमीनी हकीकत को नहीं जानते। अगर बात आपके व्यापार को पुनर्जन्म देने या एक नई शुरूआत करने की है, तो अगर आपका पहले से चल रहा व्यापार असफल रहा है तो उसे बंद कर देना या छोड़ देना आसान भी है और जरूरी भी। इसे तो वैसे भी बंद होना ही है। लेकिन अगर आपका कारोबार सफल है और उसे बंद करके, या छोड़ कर एक नई शुरुआत करने के लिए आपके पास एक नजरिया, साहस और एक खास तरह का पागलपन होना जरूरी है। इसके लिए जरुरी है कि आपमें जीवन को देखने का एक बिल्कुल अलग स्तर हो, आप वो देख सकें जो दूसरे नहीं देख पाते हों। केवल तभी आप यह कर पाएंगे। इसलिए आपको अपने दृष्टिकोण को और पैना करना चाहिए। नेतृत्व करना, एक ऊंचे स्थान पर बैठने जैसा है। एक बार जब आप किसी ऊंचे स्थान पर बैठ जाते हैं, तो आपसे यह उम्मीद की जाती है कि आप दूसरों से बेहतर सोचें और दूसरों से ज्यादा अच्छा नजरिया रखें। अगर आप दूसरों के मुकाबले अधिक स्पष्टता से चीजों को देख नहीं पाते तो आप हंसी के पात्र बन जाएंगे।

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क्या आप मरने की इच्छा रखते हैं?

जरुरत आपको यह देखने की है एक व्यक्ति के तौर पर या एक संगठन के तौर पर क्या आप अपनी पहचान छोड़ने को तैयार हैं। क्या आप पूरी तरह से मरकर या कहें सब कुछ पूरी तरह मिटा कर किसी नई चीज को खड़ा करना चाहते हैं? या आंशिक रूप से मर कर किसी नई चीज को जन्म देना चाहते हैं? हालात को देखते हुए इस बात का फैसला आपको ही लेना होगा।

कुछ करने से पहले सोचें

एक बार अगर आपने नई शुरुआत का फैसला कर लिया - किसी चीज को मिटा कर कुछ नव निर्माण का फैसला जब कर लिया - तो कई संभावनाओं के द्वार खुल जाते हैं। कई संभावनाओं का मतलब हमेशा ‘कई परेशानियां’ होती हैं। अब किसी संभावना के साथ आगे बढ़ना है - यह तय करने के लिए एक खास तरह की मसक्कत की जरुरत होती है। लेकिन समस्या ये है कि लोग किसी नये काम को पहले शुरू कर देते हैं और बाद में अपना दिमागी मसक्कत करते हैं। ऐसे काम नहीं चलेगा। किसी चीज में कूदने से पहले इस मुद्दे पर पूरे ध्यान से विचार करने की जरूरत होती है क्योंकि एक बार जब आप छलांग लगा देते हैं तो फिर वापस लौटना मुश्किल हो जाता है। वापस लौटने की सोचनी भी नहीं चाहिए। अगर आप हमेशा शीशे में पीछे आने वाली गाड़ियों को ही देखते रहेंगे तो आप कभी भी आगे नहीं बढ़ पाएंगे।

सबसे अच्छा करने की न सोचें

इस बात को आपको जरूर समझ लेना चाहिए कि जिस रास्ते पर आप चल पड़े हैं वही सबसे अच्छी चीज नहीं है। आप कभी भी इस संसार में सबसे अच्छा नहीं कर सकते हैं। आप जिस किसी चीज में कूद पड़े हों, अगर आप उसी में अपना पूरा जीवन झोंक देते हैं तो वही सबसे शानदार चीज बन जाएगी। आप कभी भी सबसे अच्छी चीज करने की कोशिश न करें क्योंकि अगर आप ऐसा करते हैं तो आप हमेशा दूसरों से बेहतर करने की कोशिश में अपनी जिंदगी को बर्बाद कर लेंगे। इस तरह से आगे बढ़ना उचित नहीं होगा। क्योंकि हो सकता है कि जिस व्यक्ति से आप अपनी तुलना कर रहे हैं वो अपंग हो और आप यह सोचें कि आप विजेता हैं। क्योंकि दौड़ में उससे जरा सा तेज रफ्तार से दौड़ते हुए आपने उसे पछाड़ दिया। आप किसी से बेहतर हैं या किसी से कमतर, यह बात आपके दिमाग में नहीं आनी चाहिए। केवल इस चीज पर विचार करना चाहिए कि आप जो भी हैं, आपकी जो भी क्षमताएं हैं उनका पूरा-पूरा उपयोग होना चाहिए। जो भी आप आपके पास है, क्या उसे पूरी तरह से निखारने में आप काबिल हैं? योग का यही मतलब है। आप अपनी शारीरिक, मानसिक स्थितियों और भीतरी ऊर्जा को क्या उस तरीके से निखारने के लिए तैयार हैं जिस तरीके से आप चाहते हैं।
अधिकतर लोगों के साथ समस्या यह है कि उनके अपने विचार और उनकी भावनाएं उनके लिए बहुत मायने रखती हैं। जब आप अपने आप में एक समस्या हैं तो आप दूसरी समस्याओं से कैसे निपटेंगे? आपका मानसिक ड्रामा आपसे एक बहुत बड़ी कीमत ले रहा है। लोग उस दुख की यादों से खुद को पीड़ित कर लेते हैं जो दस साल पहले घटित हुआ था। या फिर परसों होने वाली किसी घटना से पीड़ित हैं। लोग सोचते हैं कि वो अपने अतीत और भविष्य की वजह से दुख भोग रहे हैं लेकिन वो उन गुणों की वजह से कष्ट भोग रहे हैं जो मनुष्य को मिले हैं, जो मनुष्य को इस ग्रह पर विशेष बनाते है। वो दो गुण हैं - याद्याश्त और कल्पना-शक्ति।

कसी चीज में कूदने से पहले इस मुद्दे पर पूरे ध्यान से विचार करने की जरूरत होती है क्योंकि एक बार जब आप छलांग लगा देते हैं तो फिर वापस लौटना मुश्किल हो जाता है। वापस लौटने की सोचनी भी नहीं चाहिए।

अधिकांश लोग नहीं जानते कि अपनी यादों और कल्पनाओं को कैसे संभाला जाए। दस साल पहले जो हुआ या कल जो हुआ, क्या वह आज और अभी मौजूद है? नहीं, उसका अस्तित्व उसी समय समाप्त हो गया जिस समय वो घटित हुआ। इसी तरह परसों जो होगा क्या वह इस समय अस्तित्व रखता है? इसका उत्तर भी ‘ना’ है। इसका मतलब क्या हुआ? इसका मतलब यह कि आप उन चीजों की वजह से दुखी हैं जो अपना अस्तित्व रखती ही नहीं। इसी को मूर्खता कहते हैं। लोग कहते हैं, ‘ये तो मनुष्य का स्वाभाव है।’ यह मनुष्य का स्वाभाव नहीं है। यह उन लोगों का स्वाभाव है जो ‘मनुष्य के स्वाभाव’ को संभालना नहीं जानते हैं।
मनुष्य का शारीरिक व मानसिक तंत्र इस ग्रह पर सबसे जटिल मशीन है। यह सुपर कम्पयूटर से भी कई गुना तेज है। लेकिन क्या आपने इस मशीन का ‘यूजर मैन्यूल’ पढ़ा है? इस समय आप इस मशीन को मनमाफिक तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर आप चीजों को मनमाफिक तरीके से करेंगे तो जीवन यूं ही दुर्घटनावश घटित होगा।

नया नजरिया

आपने नई शुरूआत या ‘पुनर्जन्म’ की बात की। नई शुरूआत यानी एक तरह से नया जन्म। अगर आपने फिर से जन्म लिया है तो इसका मतलब है कि आपके पास किसी भी चीज को लेकर कोई निष्कर्ष नहीं है। आप हर चीज को ऐसे देखने की इच्छा रखते हैं जैसे अभी-अभी आपका जन्म हुआ है। अगर आप ऐसा करते हैं तो आप जीवन को बिना किसी परेशानी को जी पाएंगे। एक छोटा बच्चा भी जब सोचना शुरू करता है तो वह कुछ ही दिनों में बहुत कुछ जान जाता है। एक बार जब आप सोचने लगते हैं कि आप जानते हैं तो आप गड़बड़ी करने लगते हैं, चूकने लगते हैं। अगर आप जीवन के हर क्षण में हर चीज को ऐसे देखते हैं जैसे अभी अभी आपने जन्म लिया है तो आपको हर चीज कांच की तरह साफ नजर आती है। जब आप चीजों को स्पष्ट देखने लगते हैं। आप आसानी से हर हालात को जी पाते हैं।

मनुष्य का शारीरिक व मानसिक तंत्र इस ग्रह पर सबसे जटिल मशीन है। यह सुपर कम्पयूटर से भी कई गुना तेज है। लेकिन क्या आपने इस मशीन का ‘यूजर मैन्यूल’ पढ़ा है?

दरअसल नेृतत्व का मतलब ही होता है कि आपके विचार, आपकी भावनाएं या वो हर काम जो आप कर रहे हैं, उसका करोड़ो लोगों पर प्रभाव पड़ता है। जब आपको ऐसा सौभाग्य मिला हो कि आप करोड़ो लोगों को प्रभावित कर सकते हैं तो आपके लिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि आप अपने आप को सही तरीके से रखें। केवल शारीरिक दृष्टि से सही तरीके से नहीं, बल्कि अपने व्यक्तिव के दूसरे पहलुओं को भी अच्छे तरीके से रखें। अगर आप व्यावसायिक दुनिया में हैं या लोगों के जीवन, सुख और उनके भविष्य से जुड़े किसी व्यवसाय में हैं तो आपके लिए अपने ऊपर काम करना महत्वपूर्ण हो जाता है। अगर आप समझते है कि जो काम आप कर रहे हैं वह महत्वपूर्ण है तो ये आप हैं जिसके ऊपर लगातार काम करने की जरूरत है। काम करने का मतलब केवल यह नहीं कि अपने ज्ञान को बढ़ाना या किसी विश्वविद्यालय में जाकर पढ़ना, बल्कि ये कि जीवन के इस हिस्से को जिसे आप ‘मैं’ कहते हैं, उसके स्तर को ऊपर उठाना, वहां तक जहां तक ये उठ सकता है।