इस साल के योग दिवस कार्यक्रम के लिए हमारा  फोकस बच्चों पर रहेगा। इस बार लगभग डेढ़ करोड़ बच्चों तक हमारी पहुंच होगी। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि ये सभी बच्चे योग के सबसे बुनियादी तरीके को सीख लें।

सद्गुरु : पिछले करीब एक साल के दौरान ईशा योग की पहुंच अपने देश के साथ विदेशों में भी बहुत तेजी के साथ बढ़ी है। इस सिलसिले में मुझे काफी यात्राएं करनी पड़ीं। आने वाले समय में तो व्यस्तता और भी ज्यादा बढऩे वाली है। आमतौर पर मेरी उम्र में आकर लोग रिटायर हो जाते हैं, लेकिन मुझे तो ऐसा लगता है जैसे बिल्कुल एक नए जीवन की शुरुआत हो रही है। मुझे लगता है कि सुस्ती और बोरियत से मरने के बजाय थकान से मरना कहीं अच्छा है।

हम जिन चीजों का प्रसार करना चाहते हैं, दुनिया ने उन चीजों की गहराई और प्रभाव को महसूस करना शुरू कर दिया है। आज दुनिया भर के तमाम क्षेत्रों के दरवाजे हमारे लिए खुले हैं, चाहे वह व्यापार हो, राजनीति हो, शिक्षा जगत हो या कोई और क्षेत्र। मैं इस बात की परवाह नहीं करता कि ये दरवाजे व्यक्तिगत तौर पर मेरे लिए खुले हैं या नहीं। सबसे अच्छी बात यह है कि दरवाजे आध्यात्मिक प्रक्रिया के लिए खुल चुके हैं। यह सब उन लोगों के लिए तो शानदार है ही, जो इन चीजों को ग्रहण कर रहे हैं, साथ ही पूरी दुनिया के लिए भी यह बहुत अच्छी बात है। अगर हम कुछ लाख लोगों के जीवन में बदलाव ला पाते हैं, तो कल को इस दुनिया में हमारे नहीं रहने के बाद ये कुछ लाख लोग रूपांतरण के बीज को गुणात्मक तरीके से आगे बढ़ाते जाएंगे। यह जो बीज मैंने अपने गुरु से लिया है, बेहद शक्तिशाली है। जहां कहीं भी मैं जाता हूं, मुझे लगता है कि जमीन भी पूरी तरह तैयार है। जाहिर है जल्दी ही शानदार फसल तैयार होगी।

Subscribe

Get weekly updates on the latest blogs via newsletters right in your mailbox.

योग को बड़ी तादाद में लोगों के लिए उपलब्ध कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय योग दिवस एक शानदार एक मंच है। इस साल हम समाज के एक अहम हिस्से तक पहुंचना चाहते हैं और वे हैं बच्चे। मेरी योजना देश के पच्चीस हजार स्कूलों तक पहुंचने की है। औसतन हर स्कूल में छह सौ बच्चे होते हैं। इसका मतलब एक करोड़ पचास लाख बच्चों तक हमारी पहुंच होगी।

पिछले दिनों में मैंने कई राज्यों की यात्रा की। वहां के मुख्यमंत्रियों से मुलाकात के दौरान बड़ी अच्छी प्रतिक्रिया मिली। ऐसा लगा कि दस हजार से ज्यादा स्कूलों तक हमारी पहुंच हो सकती है। वे सभी इस विचार को लेकर काफी उत्साहित नजर आए और इसमें हर तरीके से सहयोग देने के लिए तत्पर दिखे। हम इस परियोजना को तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक के छह जिलों तथा मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात में भी शुरू करेंगे। सतही तौर पर देखने पर पच्चीस हजार स्कूलों तक पहुंचना एक असंभव सा काम लग सकता है, लेकिन हमारे पास यह सब संभव बनाने का तरीका है।

हाल के सालों में बच्चों में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति तेजी के साथ बढ़ी है। अगर बच्चे आत्महत्या कर रहे हैं तो इसका मतलब है कि हमारे समाज में कोई न कोई बुनियादी गड़बड़ी है। एक वजह यह हो सकती है कि वे पढ़ाई और परीक्षाओं का दबाव नहीं झेल पा रहे हों। राजस्थान के कोटा जिले में बच्चों की आत्महत्या की दर बहुत ज्यादा है। उत्तर भारत के करीब डेढ़ लाख बच्चे यहां प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। ये बच्चे इतने दबाव में रहते हैं कि कई बार टूट जाते हैं और आत्महत्या कर लेते हैं। हमने इन सभी संस्थानों से संपर्क किया है और हमारे टीचर्स ने वहां उप-योग और ईशा क्रिया करानी शुरू कर दी है। हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि ये सभी बच्चे योग के सबसे बुनियादी तरीके को सीख लें।

हाल के सालों में बच्चों में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति तेजी के साथ बढ़ी है। अगर बच्चे आत्महत्या कर रहे हैं तो इसका मतलब है कि हमारे समाज में कोई न कोई बुनियादी गड़बड़ी है। एक वजह यह हो सकती है कि वे पढ़ाई और परीक्षाओं का दबाव नहीं झेल पा रहे हों।

तो इस साल के योग दिवस कार्यक्रम के लिए हमारा फोकस बच्चों पर रहेगा। इसके अलावा हम देश में और देश के बाहर भी कई तरह के आयोजन करने वाले हैं। हम बहुत से कॉर्पोरेशन्स, सार्वजनिक उपक्रमों और विदेशों में मौजूद भारतीय दूतावासों से संपर्क करेंगे। 21 जून को, योग दिवस के दिन ही, यूएन में मेरा संबोधन भी है।

अगर आप अपने शरीर को पूरी तरह से गूंथ नहीं देते तो ध्यान को गहराई से अनुभव करने या आध्यात्मिक संभावनाओं को अपने अनुभव में उतारने का सवाल ही नहीं उठता। मैं तो यहां तक कहता हूं कि पंचानबे फीसदी लोग अगर अपने शरीर को हठ योग से तैयार नहीं करें तो वे लंबे समय तक ध्यान की अवस्था में बैठ ही नहीं सकते हैं। सिर्फ तीन से पांच फीसदी लोग ही बिना तैयारी के ध्यान में उतर सकते हैं, क्योंकि ऐसा उनके कर्मों के कारण संभव हो पाता है।

हम हठ योग को इसके विशुद्ध शास्त्रीय रूप में पेश करते हैं, जो कि अपने सिस्टम को जानने का एक शक्तिशाली विज्ञान है। हम कुछ सैद्धांतिक बातें भी बताते हैं जिससे आप अपने सिस्टम को गहराई से जान व समझ सकें कि यह काम कैसे करता है और इसकी शक्ति को कैसे बढ़ाया जा सकता है। किसी भी इंसान के लिए समझदारी से पूर्ण और सुखी जीवन जीने के लिए यह ज्ञान बहुत महत्वपूर्ण है।