हम में से अधिकतर लोग अपनी खुशी और आनंद के लिए बाहरी कारणों पर निर्भर करते हैं, यह कुछ ऐसा ही है कि हम पानी के लिए अपना कुंआ ना खोदकर बारिश का इंतजार करें। आखिर क्यों ?

लोग अक्सर मुझसे पूछते हैं कि सच्चा आनंद क्या है? मिथ्या आनंद जैसी कोई चीज नहीं होती। जब इंसान सुख को ही आनंद समझ लेता है तो उसके भीतर आनंद को लेकर तमाम सवाल उठने शुरू हो जाते हैं।

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस तरह आनंदित होते हैं। आप किसी भी तरह आनंद का अनुभव करें, यही सबसे बड़ी बात है। अब सवाल है इसे कायम रखने का।
जब आप असलियत में सत्य के सम्पर्क में होते हैं, तब आप सहज ही आनंद में होते हैं। आनंद में घिरे होकर भी उससे अनजान रहना दुखद है। यह सवाल शायद एक खास सोच से आता हुआ लगता है। अगर मैं सूर्यास्त को निहारते हुए आनंद का अनुभव करता हूं, तो क्या यह सच्चा आनंद है? यदि मैं प्रार्थना करते हुए आनंदित हो जाता हूं, तो क्या यह सच्चा आनंद है? जब मैं ध्यान करता हूं और आनंद का अनुभव करता हूं, तो क्या यह सच्चा आनंद है? इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस तरह आनंदित होते हैं। आप किसी भी तरह आनंद का अनुभव करें, यही सबसे बड़ी बात है।

अब सवाल है इसे कायम रखने का। इसे बरकरार रखने के काबिल कैसे बनें? अधिकांश लोग सुख को ही आनंद समझ लेते हैं। आप सुख को कभी स्थायी नहीं बना सकते हैं, ये आपके लिए हमेशा कम पड़ते हैं; लेकिन आनंद का मतलब है कि यह किसी भी चीज पर निर्भर नहीं है, यह तो आपकी अपनी प्रकृति है। सुख हमेशा किसी चीज या इंसान पर निर्भर करता है। आनंद को असल में किसी बाहरी प्रेरणा की जरूरत नहीं होती। एक बार जब आप आनंद के सम्पर्क में आ जाते हैं, तो आप जान जाएंगे कि इसे हासिल करने की आपकी सारी कोशिशें बचकानी थीं।

तो जिसे भी आप सच्चा आनंद कह रहे हैं, वह बस आपके भीतर के कुएं से जल निकालने की तरह है।
आनंद बाहर से हासिल करने वाली चीज नहीं है। यह तो अपने भीतर गहराई में खोद कर ढूंढ निकालने की चीज है। यह एक कुआं खोदने जैसा है। बरसात में अगर आप अपना मुंह खोलकर बाहर खड़े हों, तो बारिश की कुछ बूंदें आपके मुंह में गिरती हैं। बरसात में मुंह खोल कर प्यास बुझाना काफी निराशाजनक ही है। और फिर बरसात हर वक्त होने वाली चीज भी नहीं। इसलिए यह जरूरी है कि आप खुद का कुंआ खोदें, ताकि सालभर आपको पानी मिलता रहे। तो जिसे भी आप सच्चा आनंद कह रहे हैं, वह बस आपके भीतर के कुएं से जल निकालने की तरह है। यह हर समय आपको सींचता रहता है। आप जब चाहें तब जल पा सकें, यही आनन्द है। यह बरसात में मुंह खोलने जैसी बात नहीं है।

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