ध्यानलिंग का ढाँचा, ज्यामीतिय रूप से आकृतियों का सरल मेल है। इस ढाँचे के हर पहलू की परिकल्पना तथा विन्यास, सद्गुरु द्वारा ही किया गया है, ताकि यहाँ आने वालों को ध्यान का आभास हो सके। यहाँ आने वाला सबसे पहले, एक जमीन से थोड़ा नीचे बनाए स्वागत कक्ष में प्रवेश करते हैं, जहाँ विशाल 17 फुट लंबा सफेद ग्रेनाइट एकाश्म यानी एक ही पत्थर से बना खंभा दिखाई देता है, सर्व धर्म स्तंभ। यह तीन ओर से बंद है और आने वाले को खुली बाँहों से अपनी ओर बुलाता प्रतीत होता है। इस स्तंभ के तीनों ओर, नौ प्रमुख धर्मों के धर्म चिन्ह अंकित हैं, यह अपनी सार्वभौमिकता के साथ सबका स्वागत करता है। इस स्तंभ के तीनों ओर, नौ प्रमुख धर्मों के धर्म चिन्ह अंकित हैं, यह अपनी सार्वभौमिकता के साथ सबका स्वागत करता है। चौथी ओर, सात कमल अंकित हैं, जो मानव के शरीर के सात चक्रों या चेतना के सात विभिन्न सात स्तरों का परिचय देते हैं। चक्रों के दोनों ओर सर्पों के रूप हैं, जो इड़ा व पिंगला, पौरुष और स्त्रैण व अनुभव के अंतर्ज्ञान व तार्किक आयामों के प्रतीक हैं। स्तंभ के शीश पर सूर्योदय, एक नई सुबह का प्रतीक है, जबकि सूर्य के नीचे गिरती पत्तियाँ अतीत की मृत्यु की सूचक हैं

तोरण के पत्थर से बने प्रवेशद्वार को, पारंपरिक भारतीय वास्तुशिल्प के आधार पर बनाया गया है। यह पवित्र स्थान की रक्षा करता है और प्रमुख द्वार की तरह काम में आता है। तोरण से परे, तीन प्रवेश सोपान, तीन गुणों या मन की विशेषताओं - तमस, रजस और सत्व के प्रतीक हैं। इस सोपानों की ऊँचाई, अतिथियों को विवश करती है कि वे अपने पैरों से इसकी कंकड़युक्त सतह पर दबाव दें, जिससे शरीर के कुछ स्नायु केंद्र खुलते हैं - यह एक तैयारी है, जिससे व्यक्ति को ध्यानलिंग की ऊर्जा के प्रति ग्रहणशील बनाया जाता है।