सद्गुरु 2006 में दावोस, स्विटजरलैंड में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम को संबोधित करते हुए। उन्होंने आध्यात्मिकता और अर्थशास्त्र के बीच के संबंध की बात की और समझाया कि हमारे उद्योगपतियों में बोध की स्पष्टता होना क्यों सबसे महत्वपूर्ण है।