“वृक्ष हमारे निकटतम संबंधी हैं। वे जो श्वास छोड़ते हैं, हम उसे ग्रहण करते हैं। हम जो श्वास छोड़ते हैं, वे उसे ग्रहण करते हैं।” - सद्गुरु