उनहत्तर सालों के बाद, आज भारत आर्थिक उछाल की ऐसे कगार पर है, जिसका लम्बे समय से इंतजार रहा है। पिछले कुछ समय में कई सारे कदम उठाये गए हैं, उनसे देश के लोगों की आर्थिक स्थिति निश्चित रूप से बेहतर होगी, और ऐसा होना बहुत जरुरी है। जब सारा विश्व मंदी की ओर जा रहा है, तब भारत आगे बढ़ रहा है, जो कि बहुत गर्व और खुशी की बात है। लेकिन अगर आर्थिक विकास के साथ लोगों के भीतरी विकास पर ध्यान नहीं दिया गया, तो हो सकता है आर्थिक खुशहाली से लोग खुशहाल न हो पाएं। इस देश के नागरिक होने के नाते ये सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है - कि भीतरी रूपांतरण के साधन, जो कि भारत की मुख्य विशेषता हैं, हर मनुष्य तक पहुँचें। ये मेरी कामना और प्रतिबद्धता है, कि हर बच्चे के पास 10 साल की उम्र तक पहुँचने से पहले रूपांतरण के कुछ साधन हों, जिससे कि वो खुद के विचारों और भावनाओं को संभाल सके।
अगर हम अपने समाज में ये बदलाव लाएं, अगर हम देश के हर नागरिक के जीवन को ऐसा बनाएं, तो 1.2 अरब लोगों को रूपांतरित करके हम विश्व के उपर एक सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। ऐसा करके हम सुपर पॉवर नहीं बनना चाहते। हम ऐसा विश्व बनाना चाहते हैं, जो भावी पीढ़ी के रहने लायक हो। उनहत्तरवे स्वतन्त्रता दिवस पर - मैं सभी राजनेताओं, मीडिया, सामाजिक नेतृत्व से जुड़े लोग, और देश के हर नागरिक से अनुरोध करता हूँ, कि वे केवल आर्थिक खुशहाली ही नहीं, मनुष्य में भीतरी खुशहाली लाने के प्रति भी प्रतिबद्ध बनें। मेरी कामना है, कि देश की राजनीतिक स्वतन्त्रता का प्रतीक, ये दिन, इस भूमि पर जन्मे हर प्राणी को मुक्ति की ओर भी ले जाए।