महाशिवरात्रि की रात हमें अपनी खुशहाली व कल्‍याण के लिए प्रकृति की शक्तियों का इस्तेमाल करने का एक अनोखा मौका देती है। इस रात ग्रहों की स्थिति कुछ एेसी होती है कि वह मानव शरीर में ऊर्जा को शक्तिशाली ढंग से ऊपर की ओर ढकेलती है। यह उल्लासमय उत्सव रात भर चलता है, जिसमें शक्तिशाली ध्यान प्रक्रियाएं और मशहूर कलाकारों की संगीतमय प्रस्तुतियां होती हैं। सद्‌गुरु की मौजूदगी में यह अनूठा उत्सव इस रात की जबर्दस्त आध्यात्मिक शक्ति से लाभ उठाने में बेहद सहायक होता है।

महाशिवरात्रि से कैसे लाभ उठाएं?

  • आज ग्रहों की दशा कुछ ऐसी होती है कि मानव शरीर में ऊर्जा सहज ही ऊपर की ओर चढ़ती है
  • आज के लिए नुस्खा यह है कि आप समानांतर या क्षैतिज अवस्थाओं में न लेटें
  • हमेशा मेरूदण्ड सीधा रखें। शरीर में हो रहे ऊर्जा के इस उमाड़ से भरपूर लाभ उठाएं
  • यह एक अनूठा अवसर है, जहां जीवन में एक  नई दृष्टि खुलने की संभावना पैदा होती है, जीवन में एक स्‍पष्‍टता आएगी।

मुख्‍य आकर्षण

  • सद्‌गुरु कराएंगे मंत्र साधना
  • शक्तिशाली ध्यान और महामंत्रोच्चारण
  • सद्‌गुरु के साथ सत्‍संग
  • दुनिया भर में महाशिवरात्रि के उत्सव
  • मशहूर कलाकारों की प्रस्‍तुतियां

साथ ही होगी संगीत और नृत्‍य की बहार

  • जिला खान – सूफी संगीत 

मशहूर सितारवादक उस्ताद विलायत खान की बेटी जिला खान अपने भावपूर्ण सूफी संगीत के लिए जानी जाती हैं। अलग-अलग संगीत शैलियों में उनकी दक्षता और काबिलियत ने उन्हें बहुत से भारतीय और विदेशी संगीत समारोहों का पसंदीदा कलाकार बना दिया है।

  • पार्थिव गोहिल – शास्त्रीय गायन 

देवदास और सांवरिया जैसी फिल्मों में अपने प्लेबैक शास्त्रीय गायन के लिए मशहूर हो चुके पार्थिव गोहिल गुजराती संगीत के एक अग्रणी कलाकार हैं। वह टेलीविजन के सारेगामा शो से प्रसिद्ध हुए और तब से लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं।

‘कुंभ मेले के बाद सबसे बड़ा संगम’ – हार्पर्स बाजार पत्रिका

‘हर बार मैं लौट कर यहां आता हूं, मुझे यह देखकर हैरत होती है कि इतनी भीड़ को कैसे संभाला जाता है। यह बहुत बड़ी भीड़ होती है और हर साल और बड़ी होती जा रही है। मगर यहां आना बहुत रोमांचक होता है। मुझे लगता है कि इस रात यहां के अलावा कहीं और नहीं हुआ जा सकता’ – शेखर कपूर, फिल्मकार

‘महाशिवरात्रि का शानदार उत्सव। मुझे यहां आकर बहुत अच्छा लगा। मुझे खुशी है कि मैं यहां आया। यह एक बहुत ही खूबसूरत जगह है जिसे बहुत प्रोफेशनल तरीके से चलाया जा रहा है। आप यहां आकर सराबोर हो जाते हैं। मैं हर उस इंसान को यहां आने का सुझाव दूंगा जो एक असली आध्यात्मिक अनुभव चाहता है’ – प्रसून जोशी – गीतकार और पटकथा लेखक 

ईशा योग केंद्र से सीधा प्रसारण देखें

सीधा प्रसारण (वेब स्‍ट्रीम) http://mahashivarathri.org/live-webstream-2015-feb#hi

इस ब्लाग पर आप सारी रात चलने वाले महोत्सव के सीधे प्रसारण का आनंद लें । शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे तक

महाशिवरात्रि महोत्सव 2015 के शुरू होने में अभी लगभग 6 घंटे बाकी हैं । आईये तब तक हम पिछले साल की महाशिवरात्रि की झाकियों का आनंद लेते हैं …

हमारे स्पोंसर

ईशा योग केंद्र की झांकियां

ईशा योग केंद्र में आज बखूबी चहल पहल है। लाखों लोगों का आज आना जाना होगा। सभी लोग ध्‍यानलिंग के दर्शन करेंगे।

अभी सीधा प्रसारण (वेब स्‍ट्रीम) देखे  http://mahashivarathri.org/live-webstream-2015-feb#hi

16:18  ईशा योग केंद्र की झांकियां

ईशा योग केंद्र में आज बहुत चहल पहल है। जैसे जैसे दिन ढल रहा है- श्रद्धालू बड़ी संख्या में इकट्ठे हो रहे हैं। सभी ध्‍यानलिंग के दर्शन कर रहें।

16:28  ध्यानलिंग मंदिर में भक्त फूलों की सजावट करते हुए

महाशिवरात्रि की तैयारियों में लगे भक्त...

 

 

16:31  फूलोँ से सुसज्जित ध्यानलिंग मंदिर

 

 

18:18  ध्‍यानलिंग में पंचभूत अराधना

‘भूमि, जल, अग्नि, वायु और आकाश – ये पांच तत्व न केवल इस शरीर के, इस धरती के, बल्कि इस पूरी सृष्टि के आधार हैं। इन्हीं पांच तत्वों से सृजन होता है। आप इस सृष्टि में जो कुछ भी देखते हैं, वह बस इन पांच तत्वों की बाजीगरी है। आप जिस वायु में सांस लेते हैं, जो पानी पीते हैं, जो खाना खाते हैं, जिस भूमि पर चलते हैं और अग्नि जो जीवन-ऊर्जा के रूप में काम कर रही है- अगर इन सभी को आप नियंत्रित और केंद्रित रखें, तो आफ लिए स्वास्थ्य, सुख और सफलता सुनिश्चित है' - सद्‌गुरु

अधिक जानकारी के लिये पढ़ेः ध्यानलिंग में पंचभूत आराधना  

18:57  आदि योगी की 21 फीट ऊची मूर्ति का अनावरण

सदगुरु आदि योगी की 21 फीट ऊची मूर्ति का अनावरण करते हुए। यह आदि योगी की ईशा योग केंद्र में दूसरी मूर्ति है। पहली मूर्ति का अनावरण गुरु पूर्णिमा के दिन किया गया था; जो अभी आई. आई. आई., टेनेसी (ईशा इंस्टिट्यूट ऑफ़ इनर साइंसेज, टेनेसी,यू.एस) में है।

 

आज सारी रात श्रद्धालु आदियोगी को दीप अर्पित कर सकते है।

19:26  निर्वाण षट्कम: राग व रंगों से परे

निर्वाण षट्कम: राग व रंगों से परे हर इंसान किसी न किसी रंग में रंगा है, किसी न किसी राग में मस्त है। हमारा जीवन कभी रंगों में इठलाता व इतराता है तो कभी सुबकता व सिसकता है; कभी खिलता व फबता है तो कभी सूखकर मुरझा जाता है। रंगों से शुरू होकर रंगों में ही खत्म हो जाता है। लेकिन हम जीवन की संपूर्णता को, जीवन के असली आनंद को तब तक नहीं जान पाएंगे जब तक हम उस आयाम तक न पहुंच जाएं जो राग व रंगों से परे है। ईशा के ब्रह्मचारी गुंजित ध्वनि में निर्वाण षट्कम गा रहे हैं। इस देव गीत को सुनकर मन सहज ही रागों से मुक्त होने लगता है।

हजारों साल पहले आदि शंकर द्वारा रचित निर्वाण षट्कम आज भी श्रोताओं को मुग्‍ध करता है। यह हमें राग व रंगों से परे के आयाम में ले जाता है…

निर्वाण षट्कम का मूल भाव वैराग्य है। इस मंत्र को ब्रह्मचर्य मार्ग का समानार्थी माना जाता है। इसकी ध्‍वनि हमारे अंतरतम की गहराइयों में हलचल पैदा कर देती है।  आज बहुत से लोगों की आँखें ईशा ब्रह्मचारियों द्वारा गाए इस मन्त्र को सुनकर नम हो गयीं।

 मनोबुद्धयहंकारचित्तानि नाहम्   श्रोत्र जिह्वे   घ्राण नेत्रे

  व्योम भूमिर्न तेजॊ  वायु: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवोऽहम् 1

मैं न तो मन हूं, न बुद्धि, न अहंकार, न ही चित्त हूं

मैं न तो कान हूं, न जीभ, न नासिका, न ही नेत्र हूं

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मैं न तो आकाश हूं, न धरती, न अग्नि, न ही वायु हूं

मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।

  प्राण संज्ञो  वै पञ्चवायु:  वा सप्तधातुर्न वा पञ्चकोश:

 वाक्पाणिपादौ   चोपस्थपायू चिदानन्द रूप:शिवोऽहम् शिवोऽहम् 2

मैं न प्राण हूं,  न ही पंच वायु हूं

मैं न सात धातु हूं,

और न ही पांच कोश हूं

मैं न वाणी हूं, न हाथ हूं, न पैर, न ही उत्‍सर्जन की इन्द्रियां हूं

मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।

 मे द्वेष रागौ  मे लोभ मोहौ मदो नैव मे नैव मात्सर्य भाव:

 धर्मो  चार्थो  कामो ना मोक्ष: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवोऽहम् 3

न मुझे घृणा है, न लगाव है, न मुझे लोभ है, और न मोह

न मुझे अभिमान है, न ईर्ष्या

मैं धर्म, धन, काम एवं मोक्ष से परे हूं

मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।

 पुण्यं  पापं  सौख्यं  दु:खम्  मन्त्रो  तीर्थं  वेदार्  यज्ञा:

अहं भोजनं नैव भोज्यं  भोक्ता चिदानन्द रूप:शिवोऽहम् शिवोऽहम् 4

मैं पुण्य, पाप, सुख और दुख से विलग हूं

मैं न मंत्र हूं, न तीर्थ, न ज्ञान, न ही यज्ञ

न मैं भोजन(भोगने की वस्‍तु) हूं, न ही भोग का अनुभव, और न ही भोक्ता हूं

मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।

न मे मृत्यु शंका  मे जातिभेद:पिता नैव मे नैव माता  जन्म:

 बन्धुर्न मित्रं गुरुर्नैव शिष्य: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवोऽहम् 5

न मुझे मृत्यु का डर है, न जाति का भेदभाव

मेरा न कोई पिता है, न माता, न ही मैं कभी जन्मा था

मेरा न कोई भाई है, न मित्र, न गुरू, न शिष्य,

मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि, अनंत शिव हूं।

अहं निर्विकल्पॊ निराकार रूपॊ विभुत्वाच्च सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम्

 चासंगतं नैव मुक्तिर्न मेय: चिदानन्द रूप: शिवोऽहम् शिवोऽहम् 6

मैं निर्विकल्प हूं, निराकार हूं

मैं चैतन्‍य के रूप में सब जगह व्‍याप्‍त हूंसभी इन्द्रियों में हूं,

न मुझे किसी चीज में आसक्ति है, न ही मैं उससे मुक्त हूं,

मैं तो शुद्ध चेतना हूं, अनादि‍, अनंत शिव हूं।

20:09  सदगुरु योगेश्वराय मंत्र का उच्चारण करते हुए

सदगुरु योगेश्वराय मंत्र का उच्चारण करते हुए श्रोताओं के बीच से गुजरे, यह एक शक्तिशाली मन्त्र है जिसके शब्द शिव के विभिन्न आयामों - पंच भूतों के ईश्वर, योग के ईश्वर, और सभी के ईश्वर - को बताते हैं

20:27  शिव शिव शिव शिव शिव शिव ....... शिवाया!!

आज की रात शिव की मस्ती में लीन हो जाने के लिए सदगुरु ने शिव का यह मंत्रमुग्धकारी गीत गाया। यह सुनकर सभी लोग उनके साथ-साथ गाने लगे।

20:29  सब झूम उठे जिला खान की प्रस्तुति पे

जिला खान ने यह गाना गुरु को समर्पित किया:

"छाप तिलक सब छीनी रे मुझसे नैना मिलाई के..."

गुरु ने चित्त को कुछ यूं मोह लिया मैं हर तरह से उन्हीं की हो गई। उनके सिवा अब तो कुछ भाता ही नहीं-

 

20:39  पार्थिव गोहिल की ख़ास प्रस्तुति - "डमरू गीत" - सारे पंडाल को बिजली की तरंग की तरह छू गयी

 

23:05  महाशिवरात्रि के अवसर पर नयी रिलीज़स

अंग्रेजी डीवीडी:

  • एक्टिंग टू अवेकनिंग

जाने माने अभिनेता अनुपम खेर ने सदगुरु के साथ ‘इन कन्वरसेशन’ श्रृंखला के तहत ब्रम्हांड की प्रकृति और किस्मत जैसे विविध विषयों पर बातचीत

  • ऑफ़ लव एंड लाइफ

इस वीडियो में जूही चावला और सदगुरु ने प्रेम और जीवन की पेचीदगियों के बारे में बात की। इस दौरान उन्होंने विवाह, सिनेमा व आज के समाज में महिलाओं की भूमिका के बारे में बात की।

  • मैकेनिक्स ऑफ़ हेल्थ

जाने माने हृदय शल्य चिकित्सक व नारायण हृदयालय अस्पताल के संस्थापक डाॅ. देवी प्रसाद शेट्टी द्वारा मानव स्वास्थ्य को लेकर सदगुरु से किए गए सवाल इसका हिस्सा हैं।

 आडियो सीडी:

  • लिंग भैरवी आरती-100

अब लिंग भैरवी की आरती सीडी में भी उपलब्ध है। इस आरती संग्रह में सदगुरु द्वारा तीन शक्तिशाली मंत्रों का जाप किया गया है। लिंग भैरवी मंदिर में इन मंत्रों को रोज बजाया जाता है।

 तेलुगु पुस्तक:

  • आनंद लहरी

यह किताब हर व्यक्ति के लिए जीवन को उसकी पूरी गहराइयों में अनुभव करने का एक सुनहरा मौका है। अंत में यह किताब पाठक को ईशा क्रिया व कल्पवृक्ष ध्यान जैसे सरल किंतु शक्तिशाली प्रक्रियाएं उपलब्ध कराती है।

तमिल डीवीडी:

  • तिरुमनम: नील, गवनी, सेयालपदु

जब भारत मेट्रीमोनी के सीईओ श्री मुरुगावेल जानकीरमण ने विवाह की मूलभूत कारकों से लेकर विवाह के आयोजन के पीछे छिपे विज्ञान तक शादी के तमाम पहुलओं पर चर्चा की तो उस दौरान जो रोचक तथ्य व बातचीत सामने आई, वह इस डीवीडी में संग्रहित है।

इस डीवीडी में शादी से मुद्दों की एक व्यापक रेंज मौजूद है, जिसमें अंतरजातीय विवाह की खूबियां और कमियां, तलाक व लिव.इन रिश्तों की बढ़ती संख्या जैसे विषय शामिल हैं। साथ ही, इसमें हिंदु विवाह के कर्मकांडो व रीतिरिवाजों पर भी चर्चा हुई है।

तमिल पुस्तकें:

  • ध्यानलिंग -  यह किताब माराबिन मैंदन मुथैया द्वारा लिखित है, जिसमें मुथैया ने सद्गुरु को लेकर अपनी हर तरह की भावनाओं और ख्यालों को अभिव्यक्त किया है। इस किताब में मुथैया ने सद्गुरु के साथ अपनी उस निजी बातचीत और उस दौरान हुए अनुभवों का जिक्र किया है, जब उन्हें सद्गुरु के साथ यात्रा करने और सद्गुरु की जनसभाओं में भाग लेने का सौभाग्य मिला था।

23:34  साउंड्स ऑफ़ ईशा ने प्रस्तुत किया कबीर का एक गीत

साउंड्स आॅफ ईशा

सदगुरु द्वारा गढ़े गए कुछ संगीतकारों की एक अनोखी मंडली है साउंड्स आॅफ ईशा। इस मंडली के सभी कलाकार ईशा के स्वयंसेवक हैं। ये लोग किसी संगीत घराने से ताल्‍लुकात नहीं रखते ना ही इनका कोई औपचारिक संगीत प्रशिक्षण हुआ है, बल्कि अपने समर्पण और साधना के बदौलत इन्होंने संगीत को एक नया आयाम दिया है। इनमें से हर गायक की प्रस्तुति पर श्रोता झूमते व थिरकते हुए नजर आए।

 

 

साउंड्स ऑफ़ ईशा द्वारा प्रस्तुत कबीर की कविता -

"इस घट माहि बाग़ बगीचे इस घट माहि सिरजनहारा.....ढूंढे रे ढूंढे अंधियारा"

ने सभी को नाचने पे विवश कर दिया...

00:36  घटम वादक पदम् भूषण और ग्रैमी अवार्ड विजेता विक्कू विनायाकराम की प्रस्तुति

थेटाकुटी हरिहर विनायकराम का जन्म 11 अगस्त 1942 को हुआ था। इन्हें विक्कू विनायकराम के नाम से जाने जाने वाले यह कलाकार ग्रैमी अवार्ड जीतने वाले भारत तालवादक हैं। वह घटम पर कर्नाटक संगीत बजाते हैं। घटम मिट्टी से बना एक पात्र होता है। इन्हें वाद्य के रूप में घटम को लोकप्रिय बनाने का श्रेय जाता है।

साल 2014 में उन्हें पदम् भूषण से सम्मानित किया गया।

 

विक्कु विनायकराम और मंडली का घट व यंत्र वादन सबको चकित कर देने वाला था। जिस तरह की दक्षता, तीव्रता और बारीकी के साथ पूरी मंडली ने विभिन्न वाद्य यंत्रों से ध्वनि निकाली उसे देखकर दर्शक देर तक लाती बजाते रहे। उनकी ताली गर्जन से पंडाल गूंज उठा।

00:38  शम्भो मंत्रोच्चारण

‘शम्भो’ – शिव का एक बहुत महत्वपूर्ण पहलू है। इसका मतलब है ‘वह जो बहुत शुभ है’ और आपके साथ होने वाली सबसे शुभ बात आपका आत्मबोध हो सकता है। जाहिर है, इसी वहज से, मूल ऊर्जा के इस पहलू का उपयोग आध्यात्म मार्ग पर किया जाता है। ईशा में भी ‘शम्भो’ एक प्रधान पहलू रहा है। इसकी शुरूआत के वक्त से लेकर, इसके विकास और इसके चरम सीमा तक ‘शम्भो’ एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

 


‘शम्भो मंत्र के उच्चारण के साथ सद्‌गुरु ने एक ध्यान प्रक्रिया में सबको दीक्षित किया।

00:39  सद्‌गुरु ने ॐ नमः शिवाय महामंत्र के साथ मध्यरात्रि में ध्यान की एक प्रक्रिया की

शिवा का अर्थ है: जो नहीं है।
यह शब्द शून्य के काफी करीब है। इसके उच्चारण से उसको अनुभव किया जा सकता है जो नहीं है।
जिसे आप मैं कहते हैं वह अतीत का एक बोझ है। जब तक आप इस बोझ को गिरा नहीं देते आप कभी भी जीवन को पूर्णता में अनुभव नहीं कर सकते। शिव वह शब्द है जो आपको बोझ को गिराने में मदद करता है। शिव शब्द सृष्टि के स्रोत की चाभी है।

 


‘ऊं नमः शिवाय’ ’महामंत्र’ है जिसके उच्चारण से जीवन के परम आयाम को छुआ जा सकता है।

00:54  इलांगो आकृतियां बनाते हुए

 

मशहूर कलाकार इलांगो, महाशिवरात्रि ग्राउंड पर सदगुरु के साथ सत्संग करते समय आकृतियां बनाते हुए...

02:20  साउंड्स ऑफ़ ईशा की एक और मंत्रमुग्ध करने वाली प्रस्तुति

साउंड्स ऑफ़ ईशा के एक और मन्त्र -उच्चारण ने सभी को मन्त्रमुग्ध कर दिया:

 

 

योगेश्वनराय महादेवाय नम:। त्र्यंबकाय त्रिपुरांतकाय त्रिकालाग्निकालाय

कालाग्निरुद्राय नीलकंठाय मृत्युंजयाय सर्वेश्वराय सदाशिवाय महादेवाय नमः ॥

02:41  श्रोताओं के प्रश्न, सदगुरु के उत्तर

प्रश्‍न: आज ईशा योग केंद्र में आदियोगी का अनावरण हुआ, वो किसलिए है?

 

 

सदगुरु: आज के युग में विज्ञान व तकनीक की सहायता से मानव सुख सुविधाओं के चरम पर पहुंच चुका है, हर व्यक्ति सुुुुपर मानव की तरह कार्य कर सकता है। एक ऐसे समय में अगर वह अपने अंदरूनी आयाम पर ध्यान नही देता, तो विज्ञान व तकनीक उसके विनाश के कारण हो सकते हैं। तो आदियोगी और उनका यह तेजोमय चेहरा हमें याद दिलाते हैं कि हमें अपने जीवन में योग को लाना होगा।

सदगुरु ने शिव के विभिन्न रूपों को बतायाः भोलेनाथ, शम्भो, नटराज, सुंदरमूर्ति...

 

03:44  मांसी गोहिल की सुमधुर प्रस्तुति ने सबका मन मोह लिया

ईशा होम स्कूल के बच्चों ने जिस तरह से मानसी गोहिल का साथ दिया उससे सभी श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए...

03:48  पार्थिव गोहिल की अगली प्रस्तुति

पार्थिव गोहिल की अगली प्रस्तुति

- "सुनता जा सुनता जा, कबीरा का यह एकतारा सुनता जा एकतारा यह कबीरा का"

ने एक बार फिर से सभी श्रोताओं में उत्साह भर दिया
इस गाने के बाद उन्होंने साउंड्स ऑफ़ ईशा के ही गीत "अलै अलै" को अपने रंग में डुबो कर प्रस्तुत किया । वाकई काबिलेतारीफ रहीं उनकी यह प्रस्‍तुति

05:20  फिर मंच संभाला पार्थिव गोहिल ने

 

पार्थिव गोहिल और उनकी पत्नी मांसी ने गुजराती व हिंदी संगीत की धुन पर थिरककर पंडाल में मौजूद सभी दर्शकों को झूमने और नाचने के लिए मजबूर कर दिया। लोकगीतों का बड़ी खूबसूरती से पिरोये गये सरगम पर लोग बेसुध होकर घंटों नृत्य करते रहे। हर कोई भरपूर उर्जा में सराबोर लग रहा था, न कोई थकान, न नींद न उब, हर कोई शिव शक्ति में डूबा नजर आता। जहां देखिए वहां मस्ती का आलम छाया नजर आता। देखते देखते कब सुबह हो गई किसी को पता भी नहीं चला।

05:32  साउंड्स ऑफ़ ईशा मंडली की आखिरी प्रस्तुतियां

आनंद और उत्सव भरी रात के अंत में एक जोरदार प्रदर्शन हुआ साउंड्स आॅफ ईशा मंडली का। स्वयंसेवियों की इस मंडली ने सदगुरु के लोकप्रिय गीत ‘उयिर्नोकम’ से शुरू करके दिलकश गीतों की झड़ी लगा दी।

उयिर्नोकम के बाद उन्होंने कबीर की कुछ रचनाओं की सुन्दर प्रस्तुति दी:

दिल लागो मेरो यार फकिरी में...

रंग महल में अजब शहर में आजा रे हंसा भाई...

05:58  आनंद और उत्सव भरी रात का समापन

सदगुरु ने कार्यक्रम के आयोजकों, सुरक्षा कर्मियों, कलाकारों और पंडाल में मौजूद सभी को धन्यवाद दिया।

पंडाल में मौजूद सभी साधकों को शानदार आयोजन और संचालन के लिए धन्यवाद देते हुए सदगुरु इन शब्दों के साथ अपनी वाणी को विराम दिया:

"ऐसी तीन चीज़ों को आप लिखें जिससे एक शानदार इंसान बना जा सकता है और इसे अपने जीवन का एक हकीकत बनाने के लिए पूर्ण समर्पण के साथ लग जाइए। और फिर एक साल बाद हम मिलते हैं आपके उस नये इंसान से जो पूरी तरह से रूपांतरित होगा।"