प्रश्न सत्य तक ले जाने वाले साधन हैं

सच एक सीधी रेखा की तरह होता है। लेकिन अधिकतर लोग - वे चाहे युवा हों या किसी अन्य उम्र के हों - हर दिशा में भटकते रहते हैं। आप का जीवन कैसे चल रहा है और कैसे चलेगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप इस सीधी रेखा को कितनी बार छूते हैं, या उसके कितना करीब हैं। अगर आप इस रेखा पर टिके रह सकें, तो आप कुछ और ही बन जायेंगे। अगर आप इस पर टिके नहीं रह सकते, तो कम से कम इसके आसपास रहिए - तब भी आप के जीवन में कुछ अद्भुत बातें हो सकती हैं। युवाओं जुड़ो सत्य से! अभियान चलाने की वजह यही है कि हम अपने अस्तित्व की सच्चाई या बुनियादी स्वभाव को अनुभव के स्तर पर जानें। यह कोई ऐसी बात नही है जो तार्किक बुद्धि के इस्तेमाल से समझी जा सकती है। लेकिन प्रश्न ही वे साधन हैं, जिनका हमारी तार्किक बुद्धि उपयोग कर सकती है। इसलिये हम प्रश्नों का उपयोग कर रहे हैं।

शिक्षा व्यवस्था में कला, संगीत होने युवाओं में जोश आएगा

फिलहाल, हमारी सारी शिक्षा व्यवस्था सिर्फ अंक और सर्टिफिकेट पाने से जुड़ी है, जिनसे हम कोई खास रोज़गार हासिल कर सकें। लेकिन सिर्फ कक्षाओं में बिठाना और बेकार की जानकारियां देना युवाओं के काम नहीं आएगा। आज उनके पास करने के लिए कुछ और है ही नहीं। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि वे जितना समय विज्ञान और गणित में लगाते हैं, उतना ही समय कलाओं, संगीत, नाट्य प्रयोग आदि में भी लगाएँ। कुछ व्यक्त करने के ऐसे तरीकों की बहुत जरूरत है।

हमें युवाओं को कुछ ऐसा देना चाहिये जो उनमें जोश जगाए, और जिसमें वे पूरी तरह से शामिल हो सकें।

हमें युवाओं को कुछ ऐसा देना चाहिये जो उनमें जोश जगाए, और जिसमें वे पूरी तरह से शामिल हो सकें। यह खेल, नृत्य, संगीत, पुस्तक या बुद्धि के इस्तेमाल से जुड़ी गतिविधि भी हो सकती है - कुछ ऐसा जो उन्हें आकर्षित करे, जोश जगाए और जिसमें पूरी तरह शामिल होना जरुरी हो। फिलहाल, वे किसी भी काम में पूरी तरह शामिल नहीं हो रहे, तो स्वाभाविक रूप से उन्हें नशा बेहतर लगता है। हम उन्हें ऐसे तरीके सिखा सकते हैं जिनसे वे अपने अंदर से ही हमेशा एक खास तरह के नशे में रहें। अगर आप मेरी आँखों को देखेंगे तो वे आपको हमेशा नशीली लगेंगी, लेकिन मैंने कभी किसी नशीले पदार्थ को नहीं छुआ है।

योग का नशा मुक्ति की ओर ले जाता है

इंसान का सिस्टम इस धरती की सबसे बड़ी रासायनिक फैक्ट्री है। आप जो चाहें, अपने अंदर पैदा कर सकते हैं। इस तरह का नशा आपको मुक्ति देगा, नशे में धुत्त नही करेगा। नशे में धुत्त होने का अर्थ है कि आपकी योग्यताएँ, आपके कौशल नष्ट हो जाते हैं। लेकिन जब आप अपने अंदर ही जीवन का नशा करने लगते हैं, तब नशे में धुत्त होने के बजाय आप एक ही साथ ऊर्जावान भी होंगे और एक खास नशे में भी। आदियोगी या शिव इसी बात के प्रतीक हैं - वे एक ही समय पर तीव्र, ऊर्जावान, स्थिर भी हैं, और नशे में भी। यही योग का मूल तत्व है। अगर आपमें नशे का कुछ अंश नहीं है, तो आप जीवन को नहीं झेल सकते।

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ध्यान का अर्थ है कि आपके और आप के शरीर के बीच, आपके और आपके मन के बीच कुछ दूरी स्थापित करना। ये एक तरह से विलीन होने का भाव है।

अगर आप जीवन में बहुत सारी चीजें करते हैं, और अगर आप हर समय थोड़े से नशे में नहीं हैं, तो वो चीज़ें आपको धीरे-धीरे थका देंगी। लेकिन अगर आप यह नशा शराब या ड्रग्स से पाने की कोशिश करेंगे, तो आप बर्बाद हो जाएंगे। ये चीज़ें आपकी बुद्धि और योग्यताओं को नष्ट कर देंगी। हमें युवाओं को इनकी जगह कोई अलग रास्ता दिखाना होगा। युवाओं को अच्छे और बुरे के बारे में बताने के बजाए, मैं उन्हें दिन के चौबीसों घंटे नशे में रहना सिखा सकता हूँ। और आपको इसके लिए पैसे भी नहीं खर्चने पड़ेंगे। ये कई मायनों में आपके जीवन की गुणवत्ता को सुधारेगा। ध्यान का अर्थ है कि आपके और आप के शरीर के बीच, आपके और आपके मन के बीच कुछ दूरी स्थापित करना। ये एक तरह से विलीन होने का भाव है। जब मनुष्य इस विलीन होने के भाव को पाएंगे, सिर्फ तभी उनकी प्रतिभा खिलेगी।

आज 12 से 15 वर्ष के छात्र भी अध्यात्म में रूचि ले रहे हैं

दुर्भाग्य से हम समाज में ऐसी अवस्था में पहुंच गये हैं जहां धन और भौतिक सुख ही जीवन के मुख्य उद्देश्य बन गये हैं। बात यह नही है कि हमारे पास ये चीजें नही होनी चाहियें लेकिन वे हमारे जीवन का केंद्र बिंदु नही बननी चाहियें। साथ ही, यह मान लेना कि अगर कुछ गहन बात कही जा रही है तो कोई उसे सुनेगा ही नहीं - यह भी गलत है। हाँ, अगर आप किसी को सतही तौर पर उत्तेजित करें, तो बहुत से लोग तुरंत उस ओर आकर्षित होते हैं। लेकिन अगर कोई गहरी बात है और आप उसे ऐसे रूप में प्रस्तुत करते हैं, कि लोग उसे समझ सकें तथा उसके साथ जुड़ सकें तो आज लोग उसकी तरफ भी आ रहे हैं – जो कि बहुत ही जबरदस्त चीज़ है।

यह बात सही नहीं है कि अगर आप कोई गहरी बात कह रहे हैं तो कोई उसे सुनने को तैयार नहीं है - वे सुनने को तैयार हैं।

मैं आजकल स्कूल और कॉलेजों में जा रहा हूँ। मैं यह समझ सकता हूँ कि कॉलेज के विद्यार्थी इसमें रुचि ले रहे हैं, लेकिन अब तो 12 से 15 साल की उम्र के स्कूल विद्यार्थी भी आध्यात्मिक बातें सुन रहे हैं। मैं जब इस उम्र का था तब यह असंभव था। माता पिता द्वारा जबरदस्ती किये बिना इस उम्र के छात्रों का आध्यात्मिक प्रवचन सुनना बिलकुल असंभव था। आजकल मैं जहां भी जाता हूँ, स्कूलों के विद्यार्थी मुझे जानते हैं। वे अपने आप ही मेरी बातें सुन रहे हैं। यह बात सही नहीं है कि अगर आप कोई गहरी बात कह रहे हैं तो कोई उसे सुनने को तैयार नहीं है - वे सुनने को तैयार हैं। शायद हमें इन बातों को कहने के तरीकों में बदलाव लाना होगा, लेकिन संदेश पहुंचाया जा सकता है। मुझे लगता है कि सभी प्रभावशाली लोगों की यह जिम्मेदारी बनती है, कि वे न सिर्फ लोगों के जीवन को छुएं बल्कि उन्हें कुछ मात्रा में बदलें भी।

सभी को उनकी जिम्मेदारी का अहसास होना चाहिए

यह ज़रूरी है कि हम अपने आसपास के लोगों को इस जिम्मेदारी का अहसास करायें। देश और दुनिया की बेहतरी के लिये लोगों को बोलते समय, कोई काम करते समय और अपनी हर बात में अधिक जिम्मेदार बनना होगा।

हर इंसान में कम से कम इतनी हिम्मत होनी चाहिए, कि वो जो कुछ भी है, उसके लिए खुद जिम्मेदारी ले।

हम ईशा और इनर इंजिनीयरिंग के रूप में एक अभियान चला रहे हैं - धर्म से जिम्मेदारी की ओर जाने का अभियान। लोगों के जीवन में जो भी गलत हो रहा है, वे एक बहुत ही लम्बे समय से उसे ईश्वर की मर्जी मान रहे हैं। वे अपने सभी भयंकर कामों के बारे में कहते हैं – यही भगवान की मर्जी है। अब समय आ गया है कि हम जो कुछ भी हैं, उसके किये अपने आप को जिम्मेदार मानें। हर इंसान में कम से कम इतनी हिम्मत होनी चाहिए, कि वो जो कुछ भी है, उसके लिए खुद जिम्मेदारी ले। आप जो कहना चाहते हैं, वो कहें। कुछ लोग उसे पसंद करेंगे, कुछ नहीं करेंगे – ये उनकी मर्जी है।

जैसा कि आप सब जानते हैं, हम इस समय युवाओं जुड़ो सत्य से! अभियान चला रहे हैं। आइए, हम जहां तक हो सके, युवाओं को सत्य की ओर ले जायें। हमारा राष्ट्र युवाओं से भरपूर है। हमारे पास सिर्फ एक ही चीज़ है – बहुत सारे लोग। अगर हम हमारे लोगों को प्रेरित, संतुलित तथा एक उद्देश्य पर केंद्रित बनाते हैं – तो हम एक चमत्कार बन जाएंगे। वरना हम अपने आप को एक हादसे में, दुर्घटना में बदल सकते हैं। हमारे पास तकनीकी साधन हैं, वे सुख सुविधाएं हैं जो पहले किसी पीढ़ी के पास नही थीं। आज हम जितने सक्षम, शक्तिशाली, संपन्न हैं, उतने पहले कभी भी नहीं थे। मेरी ये कोशिश है कि यह पीढ़ी सबसे बेहतर पीढ़ी हो। आइये, हम इसे कर दिखाएं।

Love & Grace