आमतौर पर स्वास्थ्य का मतलब समझा जाता है रोग-रहित जीवन। लेकिन क्या सचमुच यही स्वास्थ्य है? तो फिर स्वस्थ रहने का मतलब क्या है? और कैसे रहें स्वस्थ्य?

‘स्वास्थ्य’ का अंग्रेजी पर्याय ‘हेल्थ’ मूलतः ‘होल’ शब्द से बना है जिसका अर्थ होता है ‘संपूर्ण’। यानी जब हम कहते है, ‘स्वस्थ महसूस कर रहा हूं’, मतलब, अपने भीतर हमें एक पूर्णता का अहसास होता है। चिकित्सकीय दृष्टि से यदि हम बीमारियों से मुक्त हैं तो हमें स्वस्थ माना जाता है। लेकिन यही स्वास्थ्य नहीं है। अगर हम देह, मन और आत्मा से एक पूर्ण मनुष्य जैसा महसूस करते हैं, तभी हम वास्तव में स्वस्थ हैं। ऐसे अनेक लोग हैं जो चिकित्सकीय दृष्टि से स्वस्थ हैं, पर वे सच्चे अर्थ में स्वस्थ नहीं हैं, क्योंकि वे अपने भीतर तंदुरुस्ती का एहसास नहीं कर रहे होते।

यदि कोई संपूर्णता और एकत्व का अनुभव करना चाहता है, तो ज़रूरी है कि उसका शरीर, मन और मुख्य रूप से उसकी ऊर्जा एक खास स्तर की तीव्रता में उसके भीतर काम करें। अब चिकित्सा विज्ञान के अनुसार कोई शारीरिक रूप से स्वस्थ हो सकता है, पर उसकी ऊर्जा शिथिल हो सकती है। किसी व्यक्ति को यह पता नहीं चलता कि क्यों भीतरी और बाहरी जीवन में चीजें वैसी नहीं हो रही जैसा उन्हें होना चाहिय? क्योंकि वह अपनी ऊर्जा की कुशलता की परवाह नहीं करता।

शरीर और मन की हर स्थिति ऊर्जा पर आधारित होती है

जीवन में आप जिन भौतिक और मनोवैज्ञानिक स्थितियों से गुजरते हैं, उनका एक आधार ऊर्जा होता है। उनका एक रासायनिक आधार भी होता है। आधुनिक एलौपेथिक दवाइयाँ एक प्रकार से सिर्फ रसायन ही हैं। आपके शरीर में कोई समस्या पैदा हुई और आपने कोई दवा ले ली। यानी आप एक रसायन लेकर अपने अंदर एक संतुलन बनाते हैं। अगर आप एक असर को कम करने के लिये या दूसरे असर को ब़ढाने के लिये किसी रसायन का उपयोग करते हैं, तो उसका एक दुष्प्रभाव भी होता है जिसे आमतौर पर आप उसका ‘साइड इफेक्ट’ कहते हैं। फिर इस साइड इफेक्ट के लिये एक तोड़ होता है, फिर उस तोड़ के लिये एक दूसरा तोड़ होता है। यानी यह एक अंतहीन श्रृंखला है।

आपके शरीर में जो भी रासायनिक स्तर पर हो रहा है, उसे केवल अपनी ऊर्जा द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए अपनी ऊर्जा को एक खास तरह से सक्रिय करना होगा। अगर किसी व्यक्ति के शरीर में अम्ल की अधिकता हो जाए तो आप उसे क्षार-युक्त दवा देते हैं। लेकिन अम्ल की अधिकता होती क्यों है? उसके मन, उसके शरीर और मुख्य रूप से उसकी ऊर्जा के कार्य करने के ढंग के कारण।

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योग में सिर्फ ऊर्जा को ठीक किया जाता है

तो योग में जब हम स्वास्थ्य कहते हैं, हम शरीर को नहीं देखते, हम मन को नहीं देखते, हम सिर्फ ऊर्जा के ढंग को देखते हैं। अगर आपका ऊर्जा-शरीर सही संतुलन और पूर्ण प्रवाह में है, तो आपका स्थूल शरीर और मानसिक शरीर पूर्ण स्वस्थ होंगे, इसमें कोई शक नहीं है। ऊर्जा-शरीर को पूर्ण प्रवाह में रखने का मतलब किसी तरह की हीलिंग या वैसी किसी चीज से नहीं है। यह तो अपने मौलिक ऊर्जा-तंत्र में जा कर उसे उचित ढंग से सक्रिय करना है। मौलिक योग-साधना के अभ्यास के द्वारा अपनी ऊर्जा को इस तरह स्थापित करना है कि शरीर और मन स्वाभाविक रूप से कुशल रहें।

जब स्वास्थ्य की बात आती है, तो कोई भी इंसान पूर्णतः बेदाग स्थितियों में नहीं पलता। हम जो भोजन करते हैं, हम जिस हवा में सांस लेते हैं, हम जो पानी पीते हैं, रोजमर्रा की जिंदगी के तनाव, ये सब हमें कई प्रकार से प्रभावित कर सकते हैं। संसार में हम जितने अधिक सक्रिय रहते हैं, उतनी ही नकारात्मक चीजों के संपर्क में आते हैं जो हमारे रसायनिक संतुलन को बिगाड़ देती हैं, हमारे लिए स्वास्थ्य-समस्याएं खड़ी कर देती हैं। लेकिन, यदि अपने तंत्र में ऊर्जा को सही ढंग से तैयार किया जाए और उसे सक्रिय रखा जाए, तो इन चीजों का असर नहीं होगा। भौतिक और मानसिक शरीर पूरी तरह स्वस्थ रहेंगे, इसमें कोई शक नहीं।

आपने खुद को भौतिक और तार्किक तक सीमित किया है

देखिये, जीवन कई तरह से सक्रिय है। मान लीजिए, आप बिजली के बारे में कुछ नहीं जानते। आप नहीं जानते बिजली क्या है। हॉल में अंधेरा है। अगर मैं आपसे कहूं सिर्फ यह बटन दबाइये और सारे हॉल में रोशनी फैल जाती है, क्या आप मेरा विश्वास करेंगे? नहीं। ऐसे में अगर मेरे बटन दबाने से रोशनी प्रकट हो जाती है, तो आप इसे एक चमत्कार कहेंगे। सिर्फ इसलिये कि आप नहीं जानते बिजली कैसे कार्य करती है। इसी तरह, जीवन अनेक प्रकार से घटित होता है लेकिन आपने खुद को सिर्फ भौतिक व तार्किक तक सीमित कर रखा है - अनुभव में भौतिक और सोच में तार्किक।

अभी चिकित्सा विज्ञान सिर्फ स्थूल शरीर को जानने तक सीमित है। यदि इससे परे कुछ होता है, आप सोचते हैं यह चमत्कार है। मैं बस इसे एक दूसरे प्रकार का विज्ञान कहता हूं, इतना ही है। यह एक दूसरे प्रकार का विज्ञान है। आपके अन्दर की जीवन-ऊर्जा ने आपके संपूर्ण शरीर का निर्माण किया - ये अस्थियां, यह मांस, यह हृदय, ये गुर्दे और हर चीज। आप क्या सोचते हैं यह स्वास्थ्य पैदा नहीं कर सकती? यदि अपनी ऊर्जा को पूर्ण प्रवाह और उचित संतुलन में रखा जाए, तो ये महज स्वास्थ्य को बनाए रखने से ज्यादा बहुत कुछ करने में सक्षम है।

संपादक की टिप्पणी:

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