सद्‌गुरुपूरे हफ्ते थक हार कर काम करना, और शनिवार की रात को पार्टी के मूड में आ जाना आम हो रहा है। क्या असर पड़ता है इसका हमारे मन और शरीर पर?

शारीरिक श्रम कम होने से बढ़ रहे मानसिक रोग

सारी दुनिया एक अजीब तरह के उन्माद से गुज़र रही है, ऐसा पहले नहीं था। कारण बिलकुल स्पष्ट हैः आधुनिक मानव ने काफी हद तक अपने शरीर से काम लेना बंद कर दिया है। पहले जब आप शारीरिक कामों में पूरी तरह से मग्न रहते थे तो आपका अधिकांष विकार विसर्जित हो जाता था। आपकी स्नायु-ऊर्जा खर्च हो जाती थी।

अगर आपने बाहर जा कर पूरे दिन लकड़ी काटी होती - अगर आप हर रोज सौ लट्ठे काटते - तो आपकी ऊर्जा का बड़ा अंश खर्च हो जाता और जीवन शांतिपूर्ण हो जाता। लेकिन आज ऐसा नहीं है।
मैं अनेक लोगों को जानता हूँ, खासकर नवयुवकों को जिन्हें मानसिक समस्याएँ थीं। उन्होंने बस तैरना या हर दिन कोई खेल खेलना शुरू किया और सब कुछ ठीक हो गया; क्योंकि शारीरिक सक्रियता के कारण ऊर्जा खत्म हो गई। आज मनुष्य शारीरिक रूप से बहुत निष्क्रिय हो चुका है, ऐसा पहले कभी नहीं था - शारीरिक रूप से इतना निष्क्रिय होना उसके लिये पहले संभव भी नहीं था। मात्र जीवित रहने के लिये मनुष्य को बहुत अधिक परिश्रम करना पड़ता था। पहले की अपेक्षा आज वह ज़्यादा विकृत हो गया है। सामान्य तौर पर, पहले भी लोग विकृत होते थे लेकिन इतनी बड़ी संख्या में नहीं। आज के समाज में यह आम बात हो गई है, हर व्यक्ति किसी न किसी तरह के उन्माद से ग्रस्त है। क्योंकि आपकी ऊर्जा का अभी उपयोग नहीं हुआ है; वह अटकी हुई है। न आप अपने पागलपन से ऊपर उठे हैं न ही आपने उसका हल निकाला है। और इसका कोई इलाज भी नहीं है। अगर आपने बाहर जा कर पूरे दिन लकड़ी काटी होती - अगर आप हर रोज सौ लट्ठे काटते - तो आपकी ऊर्जा का बड़ा अंश खर्च हो जाता और जीवन शांतिपूर्ण हो जाता। लेकिन आज ऐसा नहीं है। आप आपने शरीर का उस तरह से इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं जैसा पहले किया जाता था, इसीलिये आप में कई तरह की बीमारियाँ पैदा हो रही हैं, ऐसा पहले कभी नहीं था।

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ऊर्जा को बाहर निकालने के अलग-अलग तरीके

समय के साथ ऊर्जा आपके तंत्र में इकट्ठी हो जाती है। तब आपकी शारीरिक और भावनात्मक ऊर्जा बाहर निकलना चाहती है। यही कारण है कि शराबखाने , क्लब और डिस्को बनाए गए हैं। लोगों को कहीं न कहीं अपने विकार निकालने ही है, चाहे जैसे भी हो।

इस पागलपन को छोड़ कर आगे बढ़ने का एक दूसरा तरीका भी है। इसे पूरी तरह से पीछे छोड़ कर आगे बढ़ने का भी तरीका है, तब आप इसका हिस्सा नहीं रह जाते। ध्यान के द्वारा यही तो किया जाता है।
ये डिस्को पागलखाने की तरह दिखते हैं; आप उसके भीतर साँस तक नहीं ले पाते। धुएँ और पसीने से सराबोर लोग वहाँ बेलगाम हो जाते हैं। आप नाच भी नहीं सकते; हर व्यक्ति दूसरे पर गिरा जा रहा है; धक्कम धक्का है - पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। आपको किसी तरह से अपने भीतर की ऊर्जा को बाहर निकालना है, नहीं तो आप पागल हो जाएंगे। तो आप शनिवार को पूरे हफ्ते का उन्माद निकालने पहुँच जाते हैं। फिर से एक बार ढेर लगना षुरू होता है और एक बार फिर शनिवार की रात को बुखार चढ़ जाता है। इस पागलपन को छोड़ कर आगे बढ़ने का एक दूसरा तरीका भी है। इसे पूरी तरह से पीछे छोड़ कर आगे बढ़ने का भी तरीका है, तब आप इसका हिस्सा नहीं रह जाते। ध्यान के द्वारा यही तो किया जाता है। अब, अगर आप नाचेंगे तो वह केवल नृत्य के आनंद के लिये होगा, इसलिये नहीं कि आपको कुछ निकालना है। अगर आप कुछ निकालने के लिये नाच रहे हैं तो नृत्य एक प्रकार का उपचार हो जाता है। ठीक है, यह उपचार अच्छा है लेकिन इसमें एक खास तरह का भद्दापन है। इसमें एक वासना है; आप प्रेमवश नहीं नाच सकते। आप सिर्फ कामुकतावश ही नाच सकते हैं।

प्रेम और वासना के बीच का अंतर

क्या आप कामुकता (वासना) और प्रेम में अंतर जानते हैं? कामुकता एक सख्त ज़रूरत है, प्रेम ज़रूरत नहीं है। जब आप प्रेम करते हैं तो आपमें स्थिरता आ जाती है और कुछ भी ज़रूरी नहीं रह जाता। आप आजीवन यों ही बैठे रह सकते हैं।

भले ही आपकी कामुकता मैथुन के लिये हो, भोजन के लिये हो, किसी खास काम या किसी शौक के लिये हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। आप किसी न किसी चीज़ के लिये अपने भीतर वासना को ले ही आएंगे।
कामुकता के साथ आप कहीं भी स्थिर नहीं रह सकते; या तो आप किसी उन्मादी काम में भिड़ जाते हैं या फिर आपका सनकी होना सुनिश्चित है। यदि आपके भीतर एक खास विकृति, एक खास उन्माद है तो आप केवल कामुकता की स्थिति में ही हो सकते हैं। भले ही आपकी कामुकता मैथुन के लिये हो, भोजन के लिये हो, किसी खास काम या किसी शौक के लिये हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। आप किसी न किसी चीज़ के लिये अपने भीतर वासना को ले ही आएंगे। उस वासना के बिना आप जी नहीं सकते। यहाँ तक कि आपका कार्य भी कामुकता को बाहर निकालने का एक प्रभावशाली तरीका है। बस इतना ही है कि यह दुनिया का सबसे ज़्यादा लोकप्रिय और स्वीकृत तरीका है। आजकल लोगों के ऊपर काम करने की सनक सवार हैं। इसलिये नहीं कि वे कोई अद्भुत रचना कर रहे हैं बल्कि वे काम करने के लिए बाध्य है; क्योंकि वे नहीं जानते कि खुद के साथ और किया क्या जाए।

भीतरी पागलपन से बचने के लिए मनोरंजन

आपको उस पागलपन की बड़ी सावधानीपूर्वक रखवाली करनी पड़ती है। इसे कभी कोई जान नहीं पाता कि यह आपके अंदर है और आप स्वयं भी इसे भूलना पसंद करते हैं। आप इसे भूलने की हर संभव कोशिश करते हैं।

अपने पागलपन को छिपाने के लिये ही हर व्यक्ति को मनोरंजन की ज़रूरत होती है। अगर उसका चित्त पूरी तरह से स्वस्थ है तो उसे मनोरंजन की आवश्यकता नहीं होगी।
दुनिया के सारे मनोरंजन केवल आपके पागलपन को छिपाने के लिये हैं। अगर आपका चित्त पूरी तरह से स्वस्थ होता, तो आपको मनोरंजन की आवश्यकता नहीं पड़ती। सिर्फ अपने पागलपन को ढँकने के लिये आपको मनोरंजन की आवश्यकता होती है। अगर हम आप को मनोरंजन से दूर कर दें तो आप पागल हो जाएंगे। अपने पागलपन को छिपाने के लिये ही हर व्यक्ति को मनोरंजन की ज़रूरत होती है। अगर उसका चित्त पूरी तरह से स्वस्थ है तो उसे मनोरंजन की आवश्यकता नहीं होगी। वह बस यहाँ बैठ कर इस बाँस को बढ़ते हुए देख सकता है। उसे वास्तव में मनोरंजन की आवश्यकता नहीं होगी।