पहला साधना पद कार्यक्रम, जो ईशा योग केंद्र में 200 से ज़्यादा प्रतिभागीयों के साथ गुरु पूर्णिमा के अवसर पर शुरू हुआ था, महाशिवरात्रि 2019 पर समाप्त हुआ। इस कार्यक्रम के प्रतिभागियों ने योग केंद्र में 7 महीने बिताए, और इनकी गहन साधना से भरपूर दिनचर्या में योग अभ्यास और स्वयंसेवा शामिल थी।

प्रतिभागियों को लंबे समय से सद्‌गुरु के साथ सत्संग का इंतज़ार था, जो इस महीने आयोजित हुआ और प्रतिभागियों के बीच ख़ुशी की लहर दौड़ गई। इस सत्संग का माहौल हंसी और ख़ुशी के आंसूओं से भरा था।

सद्‌गुरु : आप सभी ने इस साधना पद में बहुत अच्छे से साधना की है। मैं इसकी बहुत प्रशंसा करता हूँ। आज के समय में, जब युवा ऐसी कई चीज़ों से जुड़े रहे हैं, जिनके आस-पास भी उन्हें नहीं होना चाहिए, इस उम्र के लोगों को यहाँ देखना वाकई अद्भुत है। जब मैं युवा था, तब मेरे आस-पास सभी लोग अलग-अलग तरह की चीज़ें कर रहे थे। सिर्फ मैं अकेला बहुत उत्साहित था, जो अपने ही अंदर कुछ करना चाहता था। बाकी सभी लोग किसी और के साथ कुछ करना चाहते थे। तो, आप सभी को यहाँ देखना अद्भुत है।

अगर आप बस अपनी मानवता को जीवित रखें, तो मैं आपके जीवन के हर पल में आपसे जुड़ा रहूँगा – पर आपको इसे जीवित रखना होगा। बाकी सभी जीवों को उनकी प्रवृत्तियाँ चलाती हैं। हर एक जीव, अपने ही तरीके से, अपने सहज-स्वभाव के ज़रिए हमेशा अपनी सीमाएं तय करता रहता है। मनुष्य होने का मतलब है – आप चेतनता से अपनी सीमाएं मिटा सकते हैं और बिना सीमाओं के जी सकते हैं। जिस दुनिया में हम जी रहे हैं उसकी प्रकृति की वजह से, और भौतिक कारणों से हम एक सुरक्षा घेरा बना सकते हैं। लेकिन हमारे दिलों में कोई सीमाएं नहीं होनी चाहिएं।

तो कृपया ये देखें, कि इसे अपने लिए एक सच्चाई कैसे बनाया जाए। साधनापद का समय समाप्त होने का मतलब ये नहीं है, कि यह सब नज़र अंदाज़ करके साधना छोड़ दी जाए। जीवन ही साधना है। साधना का मतलब है औज़ार। ये शरीर, मन और हमारी ऊर्जा हमारे औज़ार हैं, और असल में हमारे पास सिर्फ यही औज़ार हैं। अगर ये तेज़ और कारगर नहीं बनते हैं, तो हमारा जीवन बेकार हो जाएगा। आपके पास पैसे, संपत्ति और बहुत सी चीज़ें हो सकतीं हैं, लेकिन अगर ये जीवन पूरे प्रवाह में न हो, तो वे सारी चीजें बस एक परेशानी बन जाएंगी। साधना का यही मतलब है – कि आप अपने शरीर, मन और ऊर्जा को एक शक्तिशाली औज़ार बनाएं। तो हमें औज़ारों का इस्तेमाल करना सीखना होगा। अगर आप इन साधनों का प्रयोग करना सीख लेते हैं, तो स्वाभाविक रूप से आप अपनी सीमाएं मिटाने लगेंगे। शक्तिशाली साधनों के साथ और सीमाओं के बिना आप इस ग्रह पर एक शक्तिशाली ताकत बन जाएंगे। हम यही देखना चाहते हैं। आइये इसे एक सच्चाई बनाएं।

सबसे पहले साधनापद कार्यक्रम के समापन पर, प्रतिभागियों ने अपने अनुभव हमसे साझा किए। आइये जानते हैं उनके अनुभवों के बारे में। वे मूल रूप से पिछले कुछ महीनों के अनुभव साझा कर रहे हैं, जिनमें उन्होंने महाशिवरात्रि और सम्यमा की तैयारियां कीं।

 

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कैवल्य पद के आने पर, प्रतिभागी हमसे साझा कर रहे हैं कि कैसे पिछले 7 महीनों में एक आनंदित जीवन के लिए एक स्थिर बुनियाद तैयार हुई है। जब हर कोई ईशा में 25 वें महाशिवरात्रि समारोह का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था, इनमें से कई प्रतिभागी इसे बेहतरीन बनाने के लिए अलग-अलग गतिविधियों में जुटे हुए थे।

संकेत, भारत - महाशिवरात्रि कोआर्डिनेशन टीम

ज़बरदस्त काम और पूरी स्थिरता! साधनापद में इन दो चीज़ों का अनुभव करना मेरा सपना है। मुझे खुद को उस दिशा में जाते देखकर बहुत ख़ुशी हो रही है – विशेष रूप से महाशिवरात्रि से पहले के कुछ हफ़्तों की स्वयंसेवा में ऐसा हो रहा है। पारंपरिक हठ योग के प्रतिभागियों को जानना, और उन्हें समझकर उनकी मदद करना मेरे लिए एक अद्भुत अनुभव रहा है।

स्टेवन, जर्मनी - साधना पद में हिस्सा लेने की वजह

मैं कोई चीज़ सिर्फ इसलिए नहीं करना चाहता था, क्योंकि हर कोई इसे कर रहा था। तो मैं कुछ ऐसा करना चाहता था जिससे वास्तव में एक बदलाव आये। और साधना पद में वे एक ऐसी जगह प्रदान कर रहे हैं, जहां आपको बस रहना है – आपको भोजन, किराने का सामान या किसी और चीज़ की चिंता करने की कोई ज़रुरत नहीं है। आप यहाँ रह सकते हैं, स्वयंसेवा कर सकते हैं, और आनंदित हो सकते हैं।

अनिरुद्ध, रूस – आभार का मतलब समझने का अवसर

मेरी स्वयंसेवा का एक हिस्सा रूस से आये बड़े समूह के साथ दक्षिण भारत की यात्रा पर जाना था। इस यात्रा पर उनके साथ होने से मैं और भी ज़्यादा आनंदित हो गया, क्योंकि मैंने भोजन और नींद की चिंता ही नहीं की, और मैं हमेशा यही सोचता रहा कि उनके अनुभव को और बेहतर बनाने के लिए क्या कर सकता हूँ।

मैं वाकई आभार मानता हूँ कि मुझे इसका एक हिस्सा बनने का अवसर मिला। अगर मुझे एक ऐसी चीज़ बतानी हो जिसे मैं अपने साथ ज़रूर वापस ले जाना चाहूँगा, तो वो चीज़ आभार का सच्चा अर्थ होगी।

पाउलिना, मेक्सिको – उत्सव मनाना और पुराने तरीकों को पीछे छोड़ना

Iमैं भारतीय संस्कृति को इतना पसंद करती हूँ कि मुझे पूरा यकीन है कि मैं अपने पिछले जन्म में भारतीय थी! भारत देश में लोग जीवन का इतनी तरीकों से उत्सव मनाते हैं – हर मौसम, अपने काम के सामान, अपने हर देवता, हर पशु, हर पेड़, हर चीज़ का उत्सव मनाया जाता है

मेरे लिए साधना पद का अर्थ है मुक्ति – अपने पुराने तरीकों से मुक्ति। पहले मैं हरदम तनाव में रहती थी। या फिर मैं निराश, क्रोधित या चिंताग्रस्त रहती थी – मैं हर चीज़ के बार में हर समय चिंता करती थी। साधना पद ने मुझे उन सभी चीज़ों से मुक्त कर दिया है। मैं उस निरंतर चिंता की स्थिति से मुक्त हो गई हूँ।

नोरा, जर्मनी/आयरलैंड – निराशा से आनंद तक का सफर

मैं अलग-अलग काम कर रही थी और अलग-अलग देशों में रह रही थी। इसलिए हमेशा एक बेचैनी बनी रहती थी।

मुझे लगता है ये एक बहुत बड़ी चीज़ है, कि मुझे इस बात का एहसास ही नहीं था कि मैं कितने तनाव में जी रही हूँ।

तो साधना पद के ये 7 महीने मेरे लिए वाकई ज़बरदस्त रहे हैं, और मुझे अद्भुत आनंद, स्पष्टता और संतुलन की भावना मिली है।

साधना पद 2018 के प्रतिभागी अब आगे क्या करेंगे

यहाँ बिताए समय से प्रेरित होकर, कुछ प्रतिभागी आश्रम में पूर्ण-कालिक स्वयंसेवियों के रूप में रहकर सद्‌गुरु के सपने को पूरा करने में मदद करना चाहते हैं, और साधना पद के दौरान स्थापित हुए अनुभवों को और गहरा बनाना चाहते हैं। बाकी के प्रतिभागी अपने घरों मे रहकर आश्रम गतिविधयों में मदद करना चाहते हैं। और कुछ प्रतिभागियों ने वापस आकर साधनापद 2019 में स्वयंसेवा करने की बात भी कही है।

साधनापद 2019 के लिए रजिस्ट्रेशन खुल चुके हैं!

इस साल, सद्‌गुरु साधना पद को पहले से काफी बड़े पैमाने पर उपलब्ध करवाना चाहते हैं, जिससे ये संभावना ज़्यादा लोगों के लिए उपलब्ध हो सके। ये कार्यक्रम गुरु पूर्णिमा (जुलाई 2019) के दिन शुरू होगा, और महाशिवरात्रि (फ़रवरी 2020) पर इसका समापन होगा।

अधिक जानकारी के लिए : +91-83000 98777

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