प्रश्न : क्या Life’s Calling (जिंदगी की पुकार) जैसा कुछ होता है? कैसे जानें कि हमारी जिंदगी हमसे क्या चाहती है?
सद्‌गुरु: मैं चाहता हूं कि यह आप ठीक से समझ लें - ‘Life’s Calling’ (जिंदगी की पुकार) जैसी कोई चीज नहीं होती। जिंदगी की पुकार जैसी चीज तो नहीं होती, लेकिन जिंदगी आपको हमेशा पुकार रही है, आपसे कुछ कह रही है – भीतर से भी और बाहर से भी। जब आप जीवन की पुकार का सचमुच जवाब देंगे, तभी आप जीवन को उसकी संपूर्णता में जान पाएंगे। अगर जीवन आपको पुकार रहा है, तो बड़ी लगन और जुनून से आपको उसकी तरफ जाना होगा, हिचकिचा कर हिसाब लगाते हुए नहीं। इसलिए नहीं कि आपका अहं, जो हमेशा कुछ अलग करने की चाह रखता है, तुष्ट हो सके। बल्कि इसलिए कि आप अपनी पूरी क्षमता के साथ अपनी जिंदगी जी सकें। अगर जिंदगी के हर पहलू को ले कर आपमें एक जुनून है, तो आप आसानी से समझ जाएंगे कि आप किस काम में अच्छे हैं। हो सकता है आप किसी ऐसे काम में अच्छे हों, जो आपने अभी तक किया ही न हो। लेकिन वही पुराने घिसे-पीटे काम, अगर आप कुछ नया ना भी कर रहे हों, अगर उसी को लगन और जुनून से करें, तो वह भी आपको अनुभव के एक नए आयाम तक पहुंचा देगा।

जीवन का लक्ष्य : हर काम लगन और जुनून से करें

 यह जुनून सबको अपने में शामिल कर लेने वाला होता है। सही अर्थों में देखा जाय तो यही करूणा है। करूणा का मतलब दया-भाव नहीं है, यह तो एक साधन है, बिना किसी पूर्वाग्रह के शामिल होने का।
दिक्कत तब होती है, जब लोगों में सिर्फ किसी एक चीज का जुनून होता है, या वे बिल्कुल अलग तरीके से जुनूनी होते हैं। इससे वे अलग-थलग पड़ जाते हैं। बिल्कुल अलग-थलग हो कर, बिना सबमें शामिल हुए जिंदगी जीने से सिर्फ निराशा और दुख ही हाथ लगता है। हर उस चीज में जोश व जुनून के साथ शामिल होना चाहिए जिसे आपकी पांचों इंद्रियां महसूस कर सकती हों। यह जुनून सबको अपने में शामिल कर लेने वाला होता है। सही अर्थों में देखा जाय तो यही करूणा है। करूणा का मतलब दया-भाव नहीं है, यह तो एक साधन है, बिना किसी पूर्वाग्रह के शामिल होने का।

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जब ब्रह्मांड के साथ, उसके हर कण के साथ आप बिना किसी पूर्वाग्रह के शामिल होते हैं, तभी आप खुद को खोज पाएंगे, महसूस कर पाएंगे और अपने असली स्‍वभाव को पूरी तरह से जान पाएंगे  और पूरी तरह से शामिल होने  की वजह से आप अपने पुराने अनुभव और काबिलियत की सीमाओं में बंधे भी नहीं रहेंगे। आप ज्ञान के महाभंडार, जो कि ब्रह्मांड की मूल प्रकृति है, तक पहुंच कर उसको आत्मसात कर सकते हैं ।

अपने होने का ढंग तय करें

जिस क्रम में जीवन घटित होता है, उसमें सबसे पहले है होना (एक खास तरह से होना), फिर करना और तब पाना। लेकिन आजकल लोग हमेशा सबसे पहले पाने के बारे में सोचते हैं। मिसाल के तौर पर उम्र के किसी पड़ाव में आपने फैसला किया होगा कि आपको फलां तरह की जिंदगी जीनी है, जिसमें एक खास तरह का जीवन साथी, एक घर, एक कार वगैरह-वगैरह शामिल हों। फिर आप सोचते हैं, “मुझे यह सब कैसे मिलेगा?” जैसे ही आप इनको पाने के बारे में सोचना शुरु करते हैं, आपके इर्द-गिर्द के लोग आपको सलाह-मशविरा देने लगते हैं। फिर आप एक डाक्टर, वकील, साफ्टवेयर इंजिनियर, या कुछ और बनने के बारे में सोचते हैं। इनमें से किसी पेशे में कुछ वक्त बिता लेने के बाद आप सोचते हैं कि आप कुछ बन गए हैं, और बस तभी आप जिंदगी के विरुद्ध चलने लगते हैं। आप ‘पाने – करने - होने’ के रास्ते पर चल पड़ते हैं और पाने की अंतहीन दौड़ में लगे रहते हैं। अतृप्त जीवन का आधार बस यही है।

आपको सबसे पहले अपने होने का ढंग तय करना होगा। फिर आपकी मनचाही चीज हासिल हो या न हो, आप एक शानदार इंसान होंगे। आपकी जिंदगी कितनी अच्छी है यह आपके होने के ढंग से तय होती है। आप क्या हासिल कर पाएंगे यह आपकी काबिलियत और हालात पर निर्भर करता है। अगर आप एक छोटा सा परिवर्तन लाएं और खुद को ‘होने – करने - पाने’ की तरफ मोड़ लें, तो काफी हद तक आप अपना भाग्य खुद लिख सकेंगे।

फोटो: beyounger, vlad