जिज्ञासु - सद्‌गुरु, यह ध्यानलिंग, जिसे आप एक ’शाश्वत रूप’ बताते हैं, यह क्या है? मैं जानने के लिए बहुत उत्सुक हूँ।

सद्‌गुरु - ’ध्यानलिंग’... यह क्या है? अगर आज आप जीवन पर गौर करें, तो आधुनिक विज्ञान यह बिल्कुल साफ तौर पर कह रहा है कि सारा अस्तित्व बस एक ऊर्जा है, जो ख़ुद को कई अनगिनत रूपों में व्यक्त कर रही है। बात केवल इतनी है कि इसकी अभिव्यक्ति(व्यक्त होने के) के स्तर अलग-अलग होते हैं। अगर हर चीज़ एक ही ऊर्जा है, तो क्या आप हर चीज़ के साथ एक ही तरह का बर्ताव करेंगे? 

Subscribe

Get weekly updates on the latest blogs via newsletters right in your mailbox.

हर चीज़ एक ही ऊर्जा है

अभी-अभी हमने भोजन किया है। इतने किस्म के व्यंजन थे कि मैं देखकर हैरान था। मुझे यह समझ नहीं आ रहा था कि क्या खाऊँ। मैंने मोमिता से कहा, ”कृपया मेरे लिए व्यंजन चुन दो।” मैं सैकड़ों किस्म के व्यंजनों में से नहीं चुनना चाहता था। अब यह भोजन, जब आपकी थाली में है, यह बहुत शानदार, स्वादिष्ट और रुचिकर है। आपने जो भोजन किया है, कल सुबह उसका क्या होता है? यह मल बन जाता है। यह स्वादिष्ट भोजन और वह मल, दोनों एक ही ऊर्जा हैं।

मिसाल के लिए, ‘समाधि’ वह अवस्था है, जहाँ शरीर के साथ संपर्क को कम से कम करके एक सिर्फ जगह पर बनाकर रखा जाता है और बाकी ऊर्जा ढीली रहती है, अब वह शरीर से जुड़ी नहीं रहती। 
यह भोजन जो आपने किया है, और जो यह बन जाता है, क्या आप दोनों के साथ एक ही तरह से पेश आते हैं? जब यह मिट्टी में मिल जाता है, तो कुछ ही दिनों में यह फिर भोजन के रूप में उग आता है। आप इसे फिर खाते हैं, और आप अच्छी तरह से फिर जानते हैं कि यह किस चीज में बदल जाता है। यह एक ही ऊर्जा है जो अलग-अलग रूप धारण करती है। यह रूप और वह रूप, दोनों में कितना बड़ा अंतर है, है न? जब आप मिट्टी को भोजन में बदल देते हैं, तो आप इसे खेती कहते हैं; जब भोजन को ऊर्जा में बदलते हैं, तो उसे पाचन कहते हैं; जब पत्थर को ईश्वर में बदल देते हैं, तो उसे प्रतिष्ठा कहते हैं। इसी तरह से, जिसे आप सृष्टि कहते हैं, वह भी वही ऊर्जा है - बहुत स्थूल से लेकर बहुत सूक्ष्म तक।

सब एक ही ऊर्जा है, पर बहुत बड़ा अंतर है

अगर मैं पीछे मुड़ कर देखूँ तो याद आता है कि कालेज की पढ़ाई खत्म करने के बाद मैं कुछ पैसे कमाना चाहता था, ताकि मैं भ्रमण कर सकूँ। इस मकसद से मैंने एक मुर्गी-पालन फार्म शुरू किया। एक दिन मैंने दीवार पर पेंट करने का फैसला किया। ब्रश को पेंट में डुबोकर मैंने उसे दीवार पर लगाया। मैं दीवार को पूरी तरह से पेंट नहीं करना चाहता था, इसलिए मैंने ब्रश को बस दीवार पर रखकर उसे एक तरफ से दूसरी तरफ तक घसीटता गया। शुरू में पेंट बहुत गाढ़ा था, फिर वह हल्का, और हल्का होता चला गया और धीरे-धीरे गायब हो गया। मैंने देखा कि पेंट का वह निशान शुरू में तो बहुत गहरा था लेकिन फिर हल्का होते-होते बस गायब हो गया। यह देखकर मेरे अन्दर मानो एक विस्फोट हुआ; मेरी आँखों से आँसू बस ऐसे ही बह रहे थे। मैंने सिर्फ इस रंग की लकीर पर गौर किया और मुझे एहसास हुआ कि मानो पूरा अस्तित्व बिल्कुल वहीं था। संपूर्ण अस्तित्व बस यही हैः रंग की एक लकीर की तरह। वास्तव में, यह गाढ़े और स्थूल रूप से शुरू होता है और हल्का और सूक्ष्म होता चला जाता है और फिर गायब हो जाता है। इसलिए निम्नतम से उच्चतम तक, सब कुछ वहीं है, बस उस पेंट लगाने में ही, मेरे लिए विश्व रूप दर्शन था। वहाँ बैठकर मैं परमानन्द में बावला हुआ जा रहा था (हँसते हैं)। तीन दिन तक मैंने पेंट नहीं किया। उसके बाद मैंने फिर शुरू किया।

ध्यानलिंग की ऊर्जा और प्रभामंडल, हर उस इंसान के लिए एक संभावना पैदा करेगा जो इसके संपर्क में आएगा - चाहे वह असल में इसके सान्निध्य में हो, या इसे बस अपनी चेतना में लाए - अगर वह ख़ुद को खोलने के लिए राजी है। 
जिसे आप सृष्टि कहते हैं, बस वह यही है। हर चीज़ वही ऊर्जा है। पत्थर वही ऊर्जा है। ईश्वर वही ऊर्जा है। यह स्थूल है; वह सूक्ष्म है। जैसे-जैसे आप इसे सूक्ष्म से सूक्ष्मतर बनाते जाते हैं, सूक्ष्मता के एक खास स्तर के बाद आप इसे ईश्वर कहते हैं। स्थूलता के एक खास स्तर के नीचे आप इसे जानवर कहते हैं; उससे और नीचे आप इसे जड़ कहते हैं। यह सब बस वही ऊर्जा है। तो मेरे लिए यह पूरी सृष्टि बस फैला हुआ पेंट है, और अगर आप इस पर गौर करते हैं, तो आपके लिए भी यह ऐसा ही है। जिसे आप ध्यानलिंग कह रहे हैं वह ऊर्जा को सूक्ष्म से सूक्ष्मतर स्तरों तक ले जाने का नतीजा है। योग की संपूर्ण प्रक्रिया बस यही है, कम से कम भौतिक बनना और ज़्यादा से ज़्यादा तरल बनना, ज़्यादा से ज़्यादा सूक्ष्म बनना है। मिसाल के लिए, ‘समाधि’ वह अवस्था है, जहाँ शरीर के साथ संपर्क को कम से कम करके एक सिर्फ जगह पर बनाकर रखा जाता है और बाकी ऊर्जा ढीली रहती है, अब वह शरीर से जुड़ी नहीं रहती। एक बार जब ऊर्जा इस तरह से हो जाती है तो फिर उसके साथ बहुत कुछ किया जा सकता है। अगर ऊर्जा अटकी हुई है, शरीर के साथ पहचान बनाए हुए है, तो उसके साथ कुछ खास नहीं किया जा सकता। आप उससे सिर्फ विचार, भावनाएँ और भौतिक क्रियाकलाप पैदा कर सकते हैं; लेकिन एक बार जब ऊर्जा भौतिक पहचानों से मुक्त हो जाती है और तरल बन जाती है, तब उसके साथ तमामों चीज़ें की जा सकती हैं जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते।

छोटे-मोटे चमत्कारों की तलाश मूर्खता है

ध्यानलिंग एक चमत्कार है। जब मैं चमत्कार कहता हूँ, मैं एक चीज़ को दूसरी चीज़ में बदल देने जैसे भद्दे काम की बात नहीं कर रहा हूँ। अगर आप जीवन से अछूते गुजर सकते हैं, अगर आप जीवन के साथ जैसे चाहें खेल सकते हैं, और फिर भी जीवन आपके साथ कुछ नहीं कर पाता है, जीवन आपके ऊपर कोई खरोंच नहीं लगा पाता है, तब यह एक चमत्कार होगा और हम कई तरीकों से हर इंसान के जीवन में यही लाने के लिए काम कर रहे हैं। यही ईशा योग कार्यक्रमों का चमत्कार है। अगर किसी इंसान को उस चमत्कार का एहसास नहीं है जो कि वह ख़ुद है, वह चमत्कार जो यह जीवन है, वह चमत्कार जो आपको इस धरती पर थामे हुए है, वह चमत्कार जो आपको मरा हुआ बना देता है, वह चमत्कार जो आपको एक बार फिर जन्म दिला देता है; अगर कोई इंसान इसे नहीं समझता है, इसको अनुभव नहीं करता है, ऐसा मूर्ख ही घटिया चमत्कारों या एक चीज़ को दूसरी चीज़ में बदल देने वाले तथाकथित चमत्कारों को खोजता फिरेगा।

जीवन के गहनतम आयाम को जानने की संभावना

बुनियादी तौर पर, ये तथाकथित चमत्कार जीवन की प्रक्रिया के साथ दखल करते हैं। अगर आपने जीवन को चखा है, अगर आपने जीवन की गहनता को किसी रूप में जाना और अनुभव किया है, तो फिर आप यह भी जानेंगे कि इसके साथ दखल करना सबसे बड़ी बेवकूफी की बात है, क्योंकि आप इसे और ज़्यादा सुन्दर नहीं बना सकते। एकमात्र चीज़ जो आप कर सकते हैं वो यह कि ख़ुद को जीवन की सुंदरता का अनुभव करने दें, ख़ुद को जीवन की भव्यता का अनुभव करने दें। इसके साथ कुछ और करना निश्चित रूप से एक बेवकूफी का काम होगा। अपनी समझ के सीमित दायरे में अगर आप दूसरा जो कुछ भी करते हैं, अपने जीवन के साथ और जो कुछ भी आपको करना पड़ता है, वह बहुत ही अपरिपक्व और बचकाना होता है। ध्यानलिंग को मैं एक चमत्कार कहता हूँ क्योंकि यह जीवन को उसके गहनतम स्तर पर जानने की, जीवन को उसकी पूर्णता में जानने की एक संभावना है। ध्यानलिंग की ऊर्जा और प्रभामंडल, हर उस इंसान के लिए एक संभावना पैदा करेगा जो इसके संपर्क में आएगा - चाहे वह असल में इसके सान्निध्य में हो, या इसे बस अपनी चेतना में लाए - अगर वह ख़ुद को खोलने के लिए राजी है। ध्यानलिंग उसके लिए उपलब्ध होगा, वह उसके लिए परम संभावना बन जाएगा।

जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म खुद तय कर सकते हैं

आप आधुनिक विज्ञान की सुख-सुविधाओं को जानते हैं; तो अब यह ध्यानलिंग क्यों? यह इसलिए है, क्योंकि मैं चाहता हूँ कि आप एक दूसरे तरह के विज्ञान, आंतरिक विज्ञान, योग विज्ञान की शक्ति और मुक्ति को जानें, जिस के द्वारा आप ख़ुद अपने भाग्य के रचयिता बन सकें। यह ध्यानलिंग इसीलिए है। इस तरह का विज्ञान आपको ख़ुद जीवन पर ही पूरी दक्षता दिलाता है। ध्यानलिंग की पूरी प्रक्रिया इस विज्ञान को बस इस तरह से प्रदर्शित करने के लिए है कि इसे फिर कभी वापस न लिया जा सके, इस तरह से भी जाहिर करने के लिए है कि यह हमेशा हर उस इंसान की पहुँच में हो, जो इच्छुक है। यह न सिर्फ अपने ख़ुद के जीवन को मनचाहा बनाने के लिए है, बल्कि जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म की मौलिक प्रक्रिया को भी ख़ुद तय कर सकने के लिए है। यहाँ तक कि आप उस गर्भ को भी चुन सकते हैं जिसमें आप पैदा होने जा रहे हैं; और आखिरकार अपनी इच्छा से विसर्जित हो सकते हैं।