आभारी होना या शुक्रिया अदा करना या कृतज्ञता आखिर है क्या? अगर हम अपनी आंखें खोलकर अपने आसपास नजर डालें और देखें कि हमें जिंदगी में जो कुछ भी हासिल हो रहा है, उसमें किन-किन चीजों और लोगों का योगदान है, तो हम उन सबके प्रति आभारी हुए बिना नहीं रह पाएंगे। जैसे आपके सामने खाने की थाली आ जाती है। क्या आपको पता है कि उस रोटी को तैयार करने में कितने लोगों का योगदान है? बीज बोने और फसल तैयार करने वाले किसान से लेकर अनाज बेचने वाले और फिर उसे खरीदने वाले दुकानदार तक और फिर दुकान से खरीदकर रोटी बनाने वाले तक, जरा सोचिए कि एक बनी-बनाई रोटी के पीछे कितने लोगों की मेहनत और योगदान छिपा है।

ठीक इसी तरह से आप जिंदगी के हर पहलू पर गौर करें, आपको हर पल मिल रही सांस से लेकर भोजन तक और आपको हासिल होने वाली हर चीज, जिसका आप आनंद ले रहे हैं या अनुभव कर रहे हैं, पर गौर कीजिए। अब आप यह मत सोचिए कि हमने पैसे चुकाए और उसके बदले में यह चीज मिली तो इसमें कौन सी बड़ी बात है। अगर एक प्रक्रिया की पूरी कड़ी में जुड़े लोगों ने अपना-अपना काम नहीं किया होता, तो आप चाहे जितने भी पैसे खर्च कर लेते, आपको वो सब नहीं मिल सकता था, जो मिल रहा है। जरा अपनी आंखें खोलिए और यह देखिए कि किस तरह संसार में मौजूद हर प्राणी आपके भरण पोषण में सहयोग दे रहा है। अगर आप यह सब देख पाएंगे तो फिर आपको कृतज्ञ महसूस करने के लिए कोई नजरिया  विकसित करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कृतज्ञता कोई नजरिया नहीं है; कृतज्ञता एक ऐसा झरना है, जो उस समय खुद ब खुद फूट पड़ता है, जब कुछ प्राप्त होने या मिलने पर आप अभिभूत हो उठते हैं। असीम कृतज्ञता से भरा एक क्षण भी आपके पूरे जीवन को बदलने के लिए काफी है। अगर यह एक नजरिया है तो फिर यह ठीक नहीं है, क्योंकि कृतज्ञता सिर्फ ‘धन्यवाद’ कह देना भर नहीं है।

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कृतज्ञता कोई नजरिया नहीं है; कृतज्ञता एक ऐसा झरना है, जो उस समय खुद ब खुद फूट पड़ता है, जब कुछ प्राप्त होने या मिलने पर आप अभिभूत हो उठते हैं। असीम कृतज्ञता से भरा एक क्षण भी आपके पूरे जीवन को बदलने के लिए काफी है।

दूसरे शब्दों में, अस्तित्व में जितनी भी चीजें फिलहाल मौजूद हैं, सभी आपको जीवित और सुरक्षित रखने के लिए आपस में मिलकर काम कर रही हैं। अगर आप अपने जीवन के सिर्फ एक घटनाक्रम पर ध्यान दें, तो आप उन सब लोगों व चीजों के प्रति कृतज्ञ हुए बिना नहीं रह पाएंगे, जिनका आपकी जिंदगी से कोई लेना देना नहीं है, फिर भी वे आपके जीवन को हर पल कितना कुछ देते रहे हैं।

जब आप नजर दौड़ाकर और देखेंगे कि आपकी जिंदगी दरअसल कैसे चल रही है, तो आप कृतज्ञ हुए बिना कैसे रह सकते हैं? अगर आप यह समझकर बिंदास जिंदगी जी रहे हैं कि आप इस दुनिया के राजा हैं, तो फिर हर चीज को खो रहे हैं। हां, अगर आप बहुत ज्यादा अपने आप में या अपने अहम् में डूबे हुए हैं तो फिर आप जीवन की इस संपूर्ण प्रक्रिया को चूक सकते हैं, वरना अगर आप ध्यान से देखेंगे तो सब कुछ आपको अभिभूत कर देगा। अगर आप कृतज्ञ हैं, तो आप ग्रहणशील भी होंगे। अगर आप किसी के प्रति आभारी होते हैं तो आप उसकी ओर आदर भाव से देखते हैं। जब आप किसी चीज को आदर भाव से देखते हैं तो आप और अधिक ग्रहणशील हो जाते हैं। योग का मकसद भी यही है। आपको बहुत गहराई में ग्रहणशील बनाना है, जिनके बारे में आप अब तक जानते भी नहीं। इसलिए कृतज्ञता से अभिभूत हो जाना ग्रहणशील होने का एक खूबसूरत तरीका है। आपकी सीमाओं का इससे कुछ हद तक विस्तार होता है।

अगर कोई चीज दी जाती है तो उसे लेने वाला भी होना चाहिए। अगर इस दुनिया में हर कोई पूरी तरह से ग्रहणशील बन जाता है तो मैं पूरी दुनिया को एक ही पल में प्रबुद्ध कर दूंगा। लेकिन लोगों को ग्रहणशील बनाना ही सबसे मुश्किल काम है। अगर वे अपनी ग्रहणशीलता पर खुद काम करें, तो उनको वह देना बड़ा आसान है, जो वे चाहते हैं। अगर कोई भूखा है, तो उसे खाना खिलाना कोई मुश्किल काम नहीं। लेकिन किसी के अंदर भूख जगाना बेहद मुश्किल काम है।