नवरात्रि से एक दिन पूर्व को महालया अमावस्या के नाम से जाना जाता है - जिस दिन हम अपने पूर्वजों के प्रति आभार प्रकट करते हैं। इस दिन, एक विशेष अग्नि अर्पण और कालभैरव शांति प्रक्रिया आयोजित की जाती है - जिसे अपने पिछली पीढ़ियों के लिए संपन्न किया जाता है।

नवरात्रि उत्सव में लिंगभैरवी केंद्रबिंदु हैं। भारतीय संस्कृति में, स्त्रैण तत्व की पूजा, सदा अपनी शक्तिशाली उपस्थिति रखती आई है, और नवरात्रि उत्सव में देवी के तीन प्रधान रूपों का अन्वेषण होता है - दुर्गा, लक्ष्मी व सरस्वती। उसके अनुसार, नवरात्रि के तीन-तीन दिनों मे, लिंगभैरवी अलग-अलग रंग तथा रूप धारण करती हैं। नवरात्रि में प्रतिदिन नवरात्रि पूजन होता है, जो देवी की कृपा पाने का अद्भुत अवसर कहा जा सकता है। इसके बाद लिंगभैरवी की उत्सव मूर्ति यात्रा तथा महाआरती संपन्न की जाती है।

नवरात्रि के नौ दिन के बाद, दसवें दिन विजयदशमी मनाई जाती है, इस दिन को बच्चों के विद्या ग्रहण करने के लिए शुभ दिवस के रूप में मनाया जाता है। लिंगभैरवी में, बच्चों के लिए विद्यारंभ समारोह आयोजित होता है, इसके बाद, दोपहर को, निकटवर्ती ग्रामीण छात्रों के लिए विशेष विद्यारंभ कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है।

नवरात्रि के उत्सव का मुख्य केंद्रबिंदु लिंग भैरवी हैं। देवी की पूजा हमेशा भारतीय संस्कृति में जबर्दस्त रूप में मौजूद रही है और नवरात्रि देवी के तीन प्रमुख रूपों – दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती की एक खोज है।