Sadhguruईशा योग केंद्र में 24 से 26 नवम्बर तक चले इनसाइट कार्य्रकम में इस साल का फोकस भारत के पारंपरिक व्यवसाय हुनरों को समझना था। पढ़ते हैं इनसाइट की गतिविधियों के बारे में

सहभागियों का राजस्थानी तरीके से स्वागत

जब उन्होंने कार्यक्रम के आरंभ के लिए स्पंद हॉल में कदम रखा तो वे सभी आश्चर्यचकित रह गए। स्वयंसेवकों ने राजस्थानी लोक नृत्य के साथ उनका स्वागत करते हुए, रंगीन साफे पहनाए। आप पूछेंगे कि साफा क्या होता है? यह पारंपरिक पगड़ी है जिसे हम साफा भी कहते हैं, यह राजस्थान में पहनी जाती है। इसके रंग और नमूने मन मोह लेते हैं - राजस्थानी कला का अद्भुत रूप - ऐसा लगा मानो पूरे स्पंद हॉल में मानो हरियाली का नखलिस्तान सा छा गया हो।

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इस वर्ष के कार्यक्रम की सबसे अनूठी खूबी यह रही कि इस बार सहभागियों ने, सबसे अधिक सफल व्यावसायिक समुदाय, मारवाड़ियों का विवेक, हुनर और लोच अपने भीतर उतारने की कोशिश की। देश के उस हिस्से में सैंकड़ों सालों तक होते रहे कई युद्धों और बाहरी हमलों के बावजूद, ये लोग अपने वजूद को बनाए रखे हुए हैं। सद्गुरु ने सत्र के आरंभ में कहा, ‘इस बार हमने सोचा कि हमें उन पारंपरिक अभ्यासों पर भी ध्यान देना चाहिए, जो इस राष्ट्र को इतना जीवंत बनाती हैं कि सभी इस देश में आना चाहते हैं।’

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इस वर्ष के संस्करण के लिए डॉ शैलेंद्र मेहता को विभागीय सलाहकार चुना गया है। अहमदाबाद के एमआईसीए के प्रेजीडेंट और डायरेक्टर, डॉ मेहता औरो विश्वविद्यालय प्रमुख के तौर पर बोर्ड ऑफ़ मैनेजमेंट के चेयरमैन और एक्टिंग वाइस चांसलर हैं। वे वाइस चांसलर के रूप में अहमदाबाद विश्वविद्यालय से भी जुड़े हैं। अपने मारवाड़ी पेशेवर डीएनए और शैक्षिक योग्यता के बल पर, डॉ मेहता ने बड़ी खूबसूरती से एक ऐसा ढांचा पेश किया। जिसमें समकालीन वाणिज्य में, इस समुदाय की प्राचीन पेशवेर संस्कृति और अभ्यासों को लागू किया जा सकता है। सहभागियों ने शाम का समय आपसी चर्चा और उन गतिविधियों के बीच बिताया, जिनके अनुसार वे इस ढांचे को अपने-अपने व्यवसाय में लागू कर सकते हैं।

बी.एस. नागेश एंकर थे, जो शोप्पेर्स स्टॉप लि. के संस्थापक तथा नॉन-एक्जीक्यूटिव वाइस चेयरमैन रहे हैं। उन्होंने रिसोर्स लीडर्स को निमंत्रित किया कि वे सहभागियों के साथ अपने-अपने गोल मेज विमर्श के अनुभवों को बाँटें। यह फोरम उपयोगी और अमूल्य विचारों का स्त्रोत बना और भरपूर अनुभव सामने आए, जिन्हें नेताओं ने पूरे मन से सहभागियों के बीच बाँटा।

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ओजस्वी अमीरा शाह ने अपने अनुभव बाँटें

मैट्रोपोलिस लैब की एमडी युवा और ओजस्वी, अमीरा शाह ने अंतिम सत्र में जो पेशकश दी, वह वास्तव में सभी मौजूद महिलाओं के लिए गर्व का विषय रही। वे एक महिला उद्यमी के जीवन से जुड़े जोखिम, पुरस्कार और संघर्षों को बयां करते हुए, सबको एक अनूठी यात्रा पर ले र्गइं। सभी ने खड़े हो कर दिल से उनका अभिनंदन किया।

ईशा इनसाइट 2017 का दूसरा दिन उच्च क्षमता से भरपूर सत्रों से युक्त रहा। वर्तमान सूचना इकॉनोमी में व्यापार करने के लिए विविध विषयों पर जानकारी दी गई। सद्गुरु ने सुबह योगसत्र का आरंभ किया जिसने सारे दिन के लिए सहभागियों को जोश से भरपूर रखा।

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श्री हेमंत कानोड़िया ने दी मारवाड़ी समुदाय से जुड़ी कुछ टिप्स

दिन में व्यवसाय की शिक्षा देने का भार मि. हेमंत कनोरिया के जिम्मे रहा। वे एसआरईआई इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस लि. के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक रहे हैं। निजी और व्यावसायिक ज्ञान से भरपूर उनके रवैए को देख कर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे किस तरह चुनौतियों को अपने काम और निजी जीवन के विकास के अवसरों में बदल देते हैं। वे एक परिश्रमी मारवाड़ी समुदाय तथा पेशेवर दक्षता रखने वाले परिवार से हैं। उन्होंने हमारे साथ अपने पैतृक व्यवसाय के कुछ अनुभव बाँटे जो उन्हें उनके पूर्वजों से प्राप्त हुए थे। उन्होंने कहा कि उन्हें बिजनेस की जानकारी से पहले एकांउटस की जानकारी यानी ‘बी’ से पहले ‘ए’ पढ़ाया गया था।

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मि. कनोरिया का संबोधन और सवाल-जवाब के दौर के बाद सद्गुरु ने उनके बारे में कहा कि उनका संतों जैसा रवैया ही जीवन और व्यवसाय में, जानलेवा घटनाओं के बावजूद उन्हें हमेशा सहारा देता आया है।

इसरो के अध्यक्ष की सादगी से सभी अभिभूत हुए

इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन के चेयरमैन मि. ए. एस. किरन कुमार का अनुभव भी कमाल का रहा। उन्होंने इसरो की यात्रा और उपलब्धियों के बारे में बात की। इसरो हमारे देश के लिए महान गर्व का विषय रहा है और मि. कुमार ने इसरो के मार्स मिशन और अन्य उपलब्धियों के बारे में रोचक अनुभव सुनाए। उन्होंने अपनी तकनीकी क्षमताओं के बारे में बताते हुए भावी योजनाओं की झलक भी पेश की।

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उन्होंने अंतरिक्ष से जुड़े नियमों पर चर्चा करते हुए कहा, ‘अंतरिक्ष किसी एक देश से नहीं, पूरी मानवता से संबंध रखता है।’ जिसे समझने में मानवता को अभी समय लगेगा। महान अंतरिक्ष विज्ञानी और जानी-मानी हस्ती होने के बावजूद मि. कुमार की सादगी और इंसानियत ने इनसाइट और ईशा योग केंद्र में सभी को मोह लिया।

उन्होंने सफलता शब्द पर अपने विचार प्रकट किए। जिसके बारे में आजकल कई गलतफहमियाँ होने लगी हैं। उन्होंने कहा है कि अगर सफलता को पाना है तो जीवन में सत्य को स्थान देना होगा। सत्य ही उनके और सबके लिए एकमात्र कारगर उपाय है। कोर्स के दौरान बार-बार सबने यह सवाल पूछा कि ईशा एक संगठन के तौर पर कैसे काम करता है और इसके लिए कौन से ढांचे लागू किए गए। यह सुन कर सद्गुरु ने कहा कि ईशा किसी संगठन की तरह नहीं बल्कि आर्गेनिज्म या जीव की तरह काम करता है, हर हिस्सा केवल यह जानता है कि क्या करना है और सहज भाव से अपना काम करता चला जाता है।

भारत की पहली बायोटेक कंपनी की अध्यक्ष का संबोधन

लंच के बाद किरण मजूमदार का सत्र था, वे पहली पीढ़ी की सफल उद्यमी हैं। उनकी बहुत सी उपलब्धियाँ रही हैं परंतु भारत में बायोकॉन नाम से पहली बायोतकनीक कंपनी खोलने का श्रेय उन्हें ही जाता है। उन्होंने बताया कि सत्तर के दशक में एक 25 वर्षीया महिला उद्यमी के तौर पर उन्हें बायोटैक व्यवसाय आरंभ करने के लिए किन मुश्किलों का सामना करना पड़ा और उन्होंने उनसे कैसे पार पाया। वे स्वयं को ‘एक्सीडेंटल एंटरप्रीन्योर’ कहती हैं, उन्होंने तो ब्रूमास्टर बनने का प्रशिक्षण लिया था। पर जब वे पढ़ाई करने के बाद भारत आईं, तो पुरुष प्रधान उद्योग में नौकरी खोजना आसान नहीं था। तब उन्होंने दस हजार रूपयों के साथ, एक गैराज में अपना काम खालेा जो अब चार बिलियन डॉलर के बिजनेस में बदल गया है। उन्होंने 1978 में बायोकॉन की स्थापना की और एक औद्योगिक एंजाइम निर्माण कंपनी को बायोफार्मास्युटिकल कंपनी में बदल दिया।

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उन्होंने बताया कि उद्यमियों के लिए सबसे अलग चलना कितना मायने रखता है। उन्हें कई ऐसे व्यवसाय शुरू करने का श्रेय जाता है, जिनके द्वारा पैदा होने वाले उत्पादों की जरूरतें पूरी नहीं हो रहीं थीं। उनकी दोनों कंपनियाँ, बायोकॉन और सिंजीन, उनके आईपीओ के पहले ही दिन बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के वेल्यूएशन पर रहीं।