हाल ही में हुई आपदाएं
नर्मदा की 101 सहायक नदियों में से 60 सहायक नदियाँ या तो मौसमी बन गई हैं, या सूख गई हैं। नर्मदा के कई साल समुद्र न पहुँचने के कारण, समुद्र आगे की और बढ़ रहा है, जिससे खारापन बढ़ा है, मिट्टी का क्षरण हुआ है, और उद्योगों को नुक्सान हुआ है।
गुजरात के कई हिस्से सिर्फ तीन दिन में सूखे से बाढ़ की चपेट में आ गए, जब नर्मदा और बाकी नदियों का जल स्तर बढ़ गया। 141 बाढ़ प्रभावित गांवों से करीब 20,000 लोगों को बचाया गया। विडंबना यह है कि जब राज्य के कुछ हिस्से बाढ़ में डूबे हुए थे, उस समय उसका लगभग चालीस फीसदी हिस्सा बारिश की कमी से जूझ रहा था।
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व
आदि शंकराचार्य ने नर्मदा के तट पर ही ओंकारेश्वर में संन्यास लिया था। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के अलावा नर्मदा के तट पर स्थित महेश्वर मंदिर भी प्रसिद्ध है।
हर साल भक्त नर्मदा की परिक्रमा करते हैं जो नर्मदा के स्रोत से लेकर समुद्र के उसके मुहाने तक और फिर वापस 2600 किलोमीटर की तीर्थयात्रा है।
दुनिया के कुछ सबसे पुराने गुफा चित्र, जो करीब 30,000 वर्ष पुराने हैं, नर्मदा के तट के निकट भीमबेटका गुफाओं में पाए जाते हैं।