हाल ही में हुई आपदाएं
साल 2016 , कावेरी बारिश में 40-70 फीसदी कमी के कारण कावेरी अपने स्रोत पर सूख गई। विडंबना ये है कि तमिलनाडु को 2015 में भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ा था, जिसमें पांच सौ लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे थे। अनुमानों के अनुसार लगभग 20,000 से लेकर 160,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। मुश्किल से एक साल बाद गर्मियों में उसे भयानक सूखे की मार झेलनी पड़ी, जो पिछले 140 सालों में सबसे भीषण सूखा था।
बारी-बारी से बाढ़ और सूखे के चक्रों की यह बढ़ती प्रवृत्ति भारत की लगभग सभी प्रमुख नदियों में देखने को मिल रही है।
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व
कावेरी का स्रोत अगस्त्यमुनि से बहुत करीब से जुड़ा है, जो कई रूपों में पूरे दक्षिण भारत में आध्यात्मिक प्रक्रिया के मूलदाता रहे हैं।
दक्षिण भारत के कई पवित्र स्थान कावेरी के तट पर हैं। जल के लिए पंच भूत स्थल तिरुवनईकवल इसके तट पर ही है। यहां मौजूद लिंग हमेशा आंशिक तौर पर कावेरी के जल में डूबा रहता है।
कावेरी को एक देवी के रूप में देखा गया है। पश्चिमी घाट के मूल निवासियों में से एक कोडागु, कावेरी को अपनी कुलदेवी मानते हैं।
कावेरी पर लगभग 2000 साल पहले बना कल्लानै बांध दुनिया के सबसे पुराने बांधों में से एक है जिसे चोल राजा कारिकाल ने बनवाया था।
जिस जगह पर कावेरी समुद्र से मिलती है, वहां स्थित एक नगर पूम्पुहार प्राचीन विश्व के सबसे महत्वपूर्ण बंदरगाहों में से एक था। इसे कावेरीपूम्पट्टनम के नाम से जाना जाता था। व्यापारी यहां से व्यापार करने रोम, ग्रीस, चीन और सुदूर पूर्व जाते थे।