सितम्बर 2018 में, सद्गुरु ने एक एतिहासिक मिशन की शुरुआत की। एक महीने तक नदी अभियान की जागरूकता फ़ैलाने के लिए कोयम्बटूर से रैली शुरू हुई और दिल्ली में समाप्त हुई, जिसमे सद्गुरु ने स्वयं गाडी चलाकर 16 राज्यों की यात्रा की, इस बीच 23 शहरों में बड़े समारोह आयोजित हुए। यह अभियान आम जनता का समर्थन पाने के लिए था ताकि भारत की नदियों को बचाने के बेहद गंभीर विषय पर सरकार एक नीति बनाए। यह अभियान इसलिए कामयाब रहा क्यूंकि इसे 16.2 करोड़ लोगों का समर्थन मिला जिसमे हर समुदाय के लोग, कई राज्यों के मुख्य मंत्री (राजनैतिक जुड़ाव से परे हटकर),मीडिया और अभिनेता शामिल हुए।
100: सद्गुरु का आह्वान
सितम्बर 2017 को, भोपाल में नदी अभियान के कार्यक्रम के दौरान, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के साथ सद्गुरु
स्वामी विवेकानंद ने एक बार भारत की जनता से यह आग्रह किया था: आप मुझे ऐसे 100 युवा दो जो पूरी तरह समर्पित हैं, और में इस देश की काया बदल दूंगा। सद्गुरु लंबे समय से इसके लिए शर्मिंदा महसूस कर रहे थे, क्यूँकि विवेकानंद जैसे महापुरुष, जो हर दिन नहीं आते, उन्हें इतने बड़े देश में 100 समर्पित लोग नहीं मिले! इसलिए स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि के रूप में, सद्गुरु ने 100 पूरी तरह समर्पित लोगों को तैयार करने का निर्णय लिया।
इसके लिए नदी अभियान एक ज़रिया बन गया। रैली के दौरान सद्गुरु ने एक दिन यह आह्वान किया- “मैं इस देश के युवाओं से आह्वान कर रहा हूं, हर उस राज्य में जहा से हम गुज़र रहे हैं, मुझे 100 युवाओं की आवश्यकता है, तीन साल के लिए। हम हर राज्य की सरकार के साथ काम करने वाले हैं, और ज़मीनी स्तर पर भी बहुत से कार्य किये जायेंगे, इसके लिए हमें समर्पित युवओं की आवश्यकता है, जो इस कार्य को कर सकें। इन तीन सालों के लिए सिर्फ एक ही योग्यता की आवश्यकता है, आपके मन में बस यह विचार नही आना चाहिए कि – ‘मेरा क्या?’. सिर्फ इस एक विचार का त्याग करने से आप देखेंगे की इन तीन सालों में आप इतना उभर जायेंगे जितना अधिकतर लोग 3 जीवनकाल में भी नहीं उभर पाते। आप एक सामान्य व्यक्ति से एक सार्वलोकिक व्यक्ति बन सकते हैं, यह संभावना है, भारत के युवाओं से मेरा यह आह्वान है। हम इन नदियों को पुनर्जीवित करेंगे।”
पूरे देश ने सद्गुरु के यह शक्तिशाली शब्द सुने, पर युवाओं का यह छोटा समूह इस बात को दिल से सुन रहा था, और सद्गुरु को उनके 100 युवा मिल गए थे। सद्गुरु ने इन्हें नाम दिया – नदी वीरा (संस्कृत शब्द). पूरे एक सदी के बाद स्वामी विवेकानंद के सपने को समर्पित नदी वीरा के समूह द्वारा जीवंत किया गया है, जो भारत की भूमि बहाल करने और धाराप्रवाह बहती नदियों को अपने जीवनकाल में वास्तविकता बनाने के लिए आगे आए हैं।
नदी वीर, जिन्होंने – “मेरा क्या?” इस बारे में न सोचते हुए, नदियों को पुनर्जीवित करने के सद्गुरु के आह्वान पर रूचि दिखाई
अभी ही क्यों ?
नदी वीरों का यह मिशन इस से पहले कभी भी इतना ज़रूरी नही था। सद्गुरु ने बताया की हमारे पास कितना कम समय है: “अगर हम इसे अभी नही करते, अगर हम और 20 -25 साल इंतज़ार करें, तब 100 से 150 साल लग जायेंगे हमारी नदियों को पुनर्स्थापित करने में। यह इस काम को नज़रंदाज़ करने की सीमा है, जिस पर हम अभी हैं। अगर हमने इस कार्य को 25 साल पहले ही करना शुरू कर दिया होता, तो यह कार्य 10 गुना कम प्रयास में ही संभव हो जाता, उसकी तुलना में जो अब हमें करना होगा। लेकिन अगर हम और 20 -25 साल इंतज़ार करें, तब हम नही जानते कि कभी इस कार्य को कर भी पाएंगे या नहीं।”
आज जो कुछ हम कर रहे हैं, हम उस से आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुधार सकते है, या उसे तबाह कर सकते है। जैसा की सद्गुरु ने कहा, “अगर हम आज सही दिशा में अपने कदम नही बढाएँगे, तो हम स्पष्ट रूप से यह ज़ाहिर कर रहे हैं की हमें अगली पीढ़ी की कोई परवाह नहीं है। हम यहाँ ऐसे जी रहे हैं जैसे की हम इस गृह पर आखरी पीढ़ी हैं। यह वह समय है जब हम अपनी ज़िम्मेदारियों को अभिव्यक्त करें, अपनी परवाह और लगाव प्रकट करें, उन बच्चों के लिए जो हमारे आस पास खेल रहे हैं।” भविष्य के बारे में सोचने का मतलब है कि हमें नागरिकों के रूप में अपनी संपन्नता का प्रदर्शन करना चाहिए। हमें यह दर्शाना चाहिए की हम पांच साल के चुनाव चक्र और आसानी से मिल जाने वाले मुफ्त के सामान से परे देखने के इच्छुक हैं; कि हम लंबी अवधि की नीतियों का समर्थन करते हैं जो हमें तत्काल लाभ प्रदान नहीं करेगी, लेकिन देश की भलाई के हित में हैं।
नदी वीरा – द ड्राइविंग फोर्स
उनकी सर्वोच्च योग्यता केवल यही है: जो आवश्यक है उसे पूरा करने का इरादा, और खुद से परे सोचने की उनकी क्षमता।
नदी वीरों के इस जोशीले पहले बैच में विभिन्न सभ्यताओं को दर्शाने वाली भारत की विविधता देखी जा सकती है, इनकी उम्र 20 – 35 वर्ष के बीच है, वे 17 राज्यों से आये हैं और कुछ विदेश से भी हैं।
हालांकि यह लोग उच्च शिक्षित हैं, जिनमें वकील, डॉक्टर, आई टी प्रोफेशनल्स, इंजिनियर, कलाकार, एवं विद्यार्थी हैं। उनकी सर्वोच्च योग्यता केवल यही है: जो आवश्यक है उसे पूरा करने का इरादा, और खुद से परे सोचने की उनकी क्षमता।
इस अभियान के चालक बल बनने की तैयारी में, इन पहले 100 युवओं ने ईशा योग केंद्र में एक गहन एवं कारगर तकनीकी ट्रेनिंग कार्यक्रम में कदम रखा। ट्रेनिंग से पहले वे यह नहीं जानते थे कि क्या उम्मीद की जा रही है, लेकिन ट्रेनिंग के बाद वे न केवल नदियों को पुनर्जीवित करने के महान प्रयास में सफल होने के लिए आवश्यक कौशल जुटाने में सशक्त हुए, साथ ही साथ अमूल्य साधनों को जाना जो उन्हें उनकी पूरी क्षमता का एहसास करने में मदद करेंगे।
इनकी तकनीकी ट्रेनिंग, 15 विशेषज्ञों की देख-रेख में हुई, जिनमे देश भर से कई वैज्ञानिक और विकास विशेषज्ञ शामिल थे। यह सभी बागवानी, जलवायु परिवर्तन की विभिन्न कृषि प्रथाओं, वन निर्माण, सामुदायिक माइक्रो-सिंचाई, सामुदायिक वन अधिकार, भूमि और जल संरक्षण, रिमोट सेंसिंग और पशुपालन से संबंधित विधियों और कौशल में निपुण हैं। सभी को दूरदर्शिता के साथ एक मजबूत संगठनात्मक नींव का हिस्सा बनने का अनूठा अवसर मिला।
हाल ही में, इन्हें विभिन्न टीमों में बांटा गया है – ऑन ग्राउंड टीम, जो विभिन्न राज्यों में काम करेगी, साथ ही वह टीम जो तकनीकी और प्रशासनिक क्षेत्र के कार्यों में सहायता करेगी। दोनों टीमें एक गतिशील जीव बनकर काम करने और हमारी नदियों को बचाने के लिए तैयार हैं।
मशहूर एक्सपर्ट, श्री पुण्यमूर्ती द्वारा सिखाए जा रहे एथ्नो-वेटेरिनरी औषधियों पर एक छोटी अवधि के कोर्स में हिस्सा लेते नदी वीर
नदी वीरों ने तमिल नाडू एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में औषधीय पौधों पर एक सत्र में हिस्सा लिया
नदी पुनरुद्धार की नीति सिफारिश में दिए गए दिशा निर्देशों के अनुसार एक मॉडल फार्म तैयार करते नदी वीर
ईशा योग केंद्र के पास एक खेत में मेथी की फसल काटते नदी वीर
अभी यह नदी वीर क्या कर रहे हैं ?
“इस अभियान ने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित कर लिया है, क्यूंकि पहली बार कोई पर्यावरण आंदोलन बड़े पैमाने पर लोगों का आंदोलन बना है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।” – सद्गुरु ने नदी वीरों से एक मीटिंग में यह कहा।
नदी अभियान के लिए तेयार – नदी वीर
वे उस चीज़ के लिए काम कर रहे हैं जो उनके लिए वास्तव में मायने रखती है और जो सभी नागरिकों की आजीविका के हित में है। “देश के जीवनकाल में सिर्फ एक बार होने वाला” यह आंदोलन जारी रहेगा। नदी वीरों ने अपने गहन प्रशिक्षण के बाद रफ़्तार पकड़ ली है और अब विभिन्न तरीकों से देश भर में आंदोलन को आगे बढ़ा रहे हैं। वे 15 विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं जिसे 7 राज्यों में लागू किया जा सके। इस प्रक्रिया में वे बेसलाइन सर्वेक्षण कर रहे हैं और एक विशिष्ट मॉडल के लिए डेटा एकत्र कर रहे हैं जो कि किसानों के लिए पेड़-आधारित कृषि में स्थानांतरित होने का आर्थिक लाभ प्रदर्शित करेगा और दूसरा मॉडल सार्वजनिक वन भूमि पर केंद्रित होगा। जल्द ही वे महाराष्ट्र में जमीनी कार्रवाई के लिए कूद पड़ेंगे, और इसके तुरंत बाद कर्नाटक में कार्य शुरू होगा।
आप! हाँ, आप भी इस अभियान के चालक बल बन सकते हैं…
हमारी नदियों के समर्थन में विभिन्न राजनीतिज्ञों में एकता है, और पिछले 11 महीनों में नदी पुनरुत्थान के लिए इनकी धारणा में बड़ा बदलाव आया है, विशेष रूप से नीति के स्तर पर, लेकिन यह भी काफी नहीं है।
कुछ चुनौतियां हैं जो हमारे कार्य में बाधा बनती हैं, जैसे – विधान और कानून की जटिलताएं, प्रशासनिक और कार्यान्वयन प्रक्रियाएं – जिसे करने के लिए हमें प्रत्येक राज्य में एक समर्पित बल की आवश्यकता है। और मॉडल खेतों और जंगलों का निर्माण कोई छोटा काम नहीं है – हमें बहुत से लोगों के समर्थन की ज़रूरत है!
नदी अभियान लोगों के समर्थन से ही जन्मा है और लोगों के समर्थन से ही यह अभियान पूरा होगा। हम आपको इस समर्पित बल का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करते हैं। यदि आप वास्तव में जनहित के लिए कुछ करना चाहते हैं, तो आप इसे साकार कर सकते हैं!
अधिक जानने के लिए और नदी अभियान में शामिल होने के लिए, Facebook, Twitter और Instagram के माध्यम से अपडेट रहें। या हमसे संपर्क करें: contact@rallyforrivers.org.
आगे होने वाली गतिविधियां जानने के लिए संपर्क में रहें: [8 अगस्त, 2018 को, महाराष्ट्र सरकार ने यवतमाल जिले में वाघारी नदी के पुनर्जीवन के लिए नदी अभियान द्वारा विस्तृत परियोजना को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी। हम एक मॉडल खेत, गाँव और वन बनाने की योजना बना रहे हैं जिसे देश भर में बड़े पैमाने पर दोहराया जा सकता है]