वाघाडी नदी के पुनरोद्धार के लिए 415 करोड़ की परियोजना को स्वीकृति

8 मार्च 2019, मुंबई: महाराष्ट्र कैबिनेट ने 5 मार्च को यवतमाल की वाघाडी नदी के पुनरुद्धार के लिए पायलट प्रोजेक्ट को मंजूरी दी। कृषि विभाग ने परियोजना के कार्यान्वयन के लिए 415 करोड़ रुपए की राशि निर्धारित की है। कैबिनेट की मंजूरी में इस परियोजना के लिए एक विशेष प्रयोजन वाहन का गठन भी शामिल हैं, जिसमें नदी अभियान के प्रतिनिधि और अन्य तकनीकी विशेषज्ञ शामिल होंगे।

इसके बाद, परियोजना को औपचारिक रूप देने के लिए सरकार ने एक प्रस्ताव भी जारी किया। ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्‌गुरु द्वारा शुरू किया गया नदी अभियान, महाराष्ट्र सरकार के साथ यवतमाल जिले में वाघाडी नदी के पुनरुद्धार की दिशा में काम करेगा। वाघाडी को पुनर्जीवित करने, मिट्टी की उर्वरता में सुधार लाने, और किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए इस परियोजना के अंतर्गत नदी के दोनों ओर बाढ़ से प्रभावित हो सकने वाली ज़मीन पर पेड़ लगाए जाएंगे। इससे स्थानीय किसानों को मिट्टी की उर्वरता में सुधार लाने के लिए फसल आधारित कृषि की बजाय वृक्ष आधारित खेती करने में मदद मिलेगी, जिससे क्षेत्र में फलों के पेड़ों की खेती और औषधीय वृक्षों की खेती को बढ़ावा भी मिलेगा। सूक्ष्म-सिंचाई विधियों का उपयोग, बड़े पैमाने पर सार्वजनिक भागीदारी के माध्यम से सरकारी भूमि पर पेड़ लगाना, और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के माध्यम से किसानों की उपज के लिए बुनियादी ढांचे और सहायता प्रणालियों का निर्माण, परियोजना के कई अन्य प्रमुख पहलू हैं।

सद्‌गुरु और नदी अभियान विशेषज्ञ टीम ने 8 अगस्त 2018 को मुंबई में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और वन मंत्री सुधीर मुंगंटीवार के सामने एक विस्तृत प्रस्तुति दी थी, जिसके बाद नवंबर 2018 में वाघाडी के पुनरोद्धार के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी। यह परियोजना नदी अभियान के स्वयंसेवक ‘नदी वीरों’ द्वारा लागू की जाएगी, जो इस अभियान में वर्ष 2018 की शुरुआत से पूर्ण रूप से जुड़े हुए हैं। सद्‌गुरु ने भारत की सूखती नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए युवाओं से इस अभियान में भाग लेने का आह्वान किया था।

परियोजना को सरकार की मंजूरी मिलने पर सद्‌गुरु ने कहा, “जिस गति और प्रतिबद्धता से काम करते हुए महाराष्ट्र सरकार ने यवतमाल में वाघाडी नदी के पुनरोद्धार के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को मंजूरी दी है, वह देख कर हमें बहुत ख़ुशी हो रही है। यवतमाल भारत के किसानों की दर्दनाक आत्महत्याओं का केंद्र है। यह परियोजना न केवल नदी में और उसके आसपास की जैव-विविधता में सुधार करेगी, बल्कि किसानों की आय को भी कई गुना बढ़ाएगी, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में वृद्धि होगी। हम इसे स्थायी कृषि के एक मॉडल के रूप में स्थापित करना चाहते हैं, जिससे अच्छी आर्थिक प्रगति होगी और नदियों का पुनरोद्धार होगा।”

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