आध्यात्मिक संभावनाओं से भरपूर स्थल में समय बिताएं। एक ऐसा स्थल जहां आप कृपा से सराबोर हो सकते हैं। आइये और एक मुक्ति द्वार की रचना के उत्सव में सहभागी बनिए।
आदिगुरु
पर्वत पर बैठे उस वैरागी
से दूर रहते थे तपस्वी भी
पर उन सातों ने किया सब कुछ सहन
और उनसे नहीं फेर सके शिव अपने नयन
उन सातों की प्रचंड तीव्रता
ने तोड़ दिया उनका हठ व धृष्टता
दिव्यलोक के वे सप्त-ऋषि
नहीं ढूंढ रहे थे स्वर्ग की आड़
तलाश रहे थे वे हर मानव के लिए एक राह
जो पहुंचा सके स्वर्ग और नर्क के पार
अपनी प्रजाति के लिए
न छोड़ी मेहनत में कोई कमी
शिव रोक न सके कृपा अपनी
शिव मुड़े दक्षिण की ओर
देखने लगे मानवता की ओर
न सिर्फ वे हुए दर्शन विभोर
उनकी कृपा की बारिश में
भीगा उनका पोर-पोर
अनादि देव के कृपा प्रवाह में
वो सातों उमडऩे लगे ज्ञान में
बनाया एक सेतु
विश्व को सख्त कैद से
मुक्त करने हेतु
बरस रहा है आज भी यह पावन ज्ञान
हम नहीं रुकेंगे तब तक
जब तक हर कीड़े तक
न पहुंच जाए यह विज्ञान