आम राय हमेशा गलत क्यों होती है?
रामायण में एक बहुत सुंदर घटना हुई। जब राम को उनके राज्य से निकाल दिया गया और वह जंगल में एक कठोर जीवन बिता रहे थे, तब रावण ने उनकी पत्नी का अपहरण कर लिया। अपनी पत्नी के प्रेम में वह सुदूर दक्षिण तक चले गए, तमिल लोगों की एक सेना बनाई, समुद्र पार करके श्रीलंका तक गए, युद्ध किया और लड़ाई में दस सिरों वाले रावण को मार डाला।
युद्ध जीतने के बाद राम ने कहा, ‘मैं अपने राज्य वापस नहीं जाना चाहता। मैं हिमालय जाकर अगस्त्य मुनि की गुफा में कुछ समय बिताना चाहता हूँ क्योंकि मैं अपने घोर पाप का प्रायश्चित करना चाहता हूँ। मैंने एक धार्मिक, महान शिव भक्त, असाधारण विद्वान, एक महान राजा और एक उदार इंसान का वध किया है।’ दूसरे लोग अवाक रह गए। उनके भाई लक्ष्मण ने कहा, ‘आप क्या बात कर रहे हैं? रावण ने आपकी पत्नी का हरण किया था।’ राम ने जवाब दिया, ‘उसके नौ सिरों में लालच, ईर्ष्या और वासना जैसे अवगुण थे। लेकिन एक सिर में महान समझदारी, ज्ञान, पवित्रता और भक्ति थी। मुझे उस सिर के वध पर पछतावा है।’
यह कहानी यह बताने की कोशिश करती है कि हम सभी के दस या उससे ज्यादा सिर हैं। एक दिन, आपका सिर लालच में होता है, दूसरे दिन ईर्ष्या में, फिर किसी दिन नफरत में, किसी दिन प्यार में, किसी दिन सुंदरता में और किसी दिन कुरूपता में होता है। जब लोग आपको ईर्ष्या के एक क्षण में देखते हैं, तो वे कहते हैं, ‘यह लालची है।’ जब वे आपको नफरत के किसी क्षण में देखते हैं, तो कहते हैं, ‘यह नफरत से भरा है।’ जब वे आपको कामुकता के क्षण में देखते हैं, तो वे कहते हैं, ‘यह कामुक है।’ अलग-अलग समय पर अलग-अलग सिर काम करते हैं, लेकिन हर किसी के पास प्यार, सुंदरता, उदारता और करुणा का कम से कम एक सिर जरूर होता है। लोग सबसे बड़ी गलती यह करते हैं कि किसी अवगुण की निंदा करने के बजाय वे व्यक्ति की निंदा करते हैं। राम यही कहने की कोशिश कर रहे थे, ‘उसने जो भयावह चीज़ें कीं, वे उसके दूसरे नौ सिर थे। लेकिन मैंने जबर्दस्त संभावना वाला वह एक सिर भी देखा जिसे दुर्भाग्यवश मुझे काटना पड़ा।’