सद्गुरु: तो, आपने अपने सवाल में भगवान के लिए अंग्रेज़ी के ‘इट’ (It) का प्रयोग किया, ‘ही’ (He) या ‘शी’ (She) का नहीं, इसका मतलब है कि आपने पहले ही तय कर लिया है कि भगवान न तो पुरुष है, न स्त्री। कोई भी व्यक्ति जो अपने धर्म के सिद्धांतों में दृढ़ विश्वास रखता है, वह ईश्वर को इस तरह से जेंडर विहीन कहने पर नाराज़ हो जाएगा। आप मुसीबत में पड़ जाएँगे, लेकिन आपने भगवान का जेंडर खत्म करके मेरे लिए बहुत सारी समस्याएँ हल कर दीं।
पहले तो इंसान के दिमाग में यह भगवान की बात आई क्यों? इस धरती पर करने के लिए बहुत कुछ है, लेकिन फिर भी लोग लगातार भगवान और स्वर्ग की बात करते रहे हैं। बुनियादी रूप से, भगवान का यह सवाल इसलिए उठा क्योंकि आपके आस-पास की सृष्टि इतनी जटिल और इतनी शानदार है कि स्वाभाविक रूप से यह सवाल उठता है कि यह सब किसने बनाया। भले ही यह सवाल शब्दों में कहा या लिखा न जाए, लेकिन जिस क्षण आप पैदा होते हैं और चारों ओर देखते हैं, यह सवाल तभी से मौजूद होता है। आप लगातार सृष्टि के संपर्क में होते हैं, चाहे आप उसे पसंद करें या न करें, आप उसे सराहें या न सराहें, चाहे आप उसकी सुंदरता का आनंद उठाएँ या न उठाएँ, लेकिन आप उसकी विशालता को अनदेखा नहीं कर सकते। स्वाभाविक रूप से हर मनुष्य के अंदर एक मौन सवाल होता है – ‘यह सब किसने बनाया?’
विज्ञान इस सवाल को और गहरा करता है
विज्ञान और तकनीक के विकास के साथ आज हम कई सारी चीज़ें कर सकते हैं, जिन्हें पच्चीस साल पहले तक भी हम संभव नहीं मानते थे। विज्ञान और तकनीक के विकास से इंसान के अंदर और ज़्यादा स्पष्टता आ जानी चाहिए थी, लेकिन इसका उल्टा हो रहा है। असल में, जीवन के बारे में लोगों के दिमाग में जो निश्चितता थी, वह खत्म हो रही है। जैसे-जैसे विज्ञान प्रगति कर रहा है, वह ये साबित कर रहा है कि आप असल में कुछ नहीं जानते