मार्च 2024

प्रेम में

सुंदर घास से ढकी झील
निहार रहा हूँ मैं उसकी ठहरी हुई सतह को
एक मछली उछलती है खुशी से बाहर
धूप की तलाश में या हवा की, नहीं पता मुझे
पानी में जाती है वापस छपाक से,
जीवन और प्रकाश का एक पल
उत्साह का अद्भुत नजारा
पर वह ध्वनि – उसने तोड़ दिया मेरा दिल
लाखों टुकड़ों में, और बिखेर दिया हर तरफ
नहीं जानता किसे प्रेम करता हूँ, किसे नहीं

पर यकीनन प्रेम में हूँ।

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