"मुझे यह पसंद है, यह पसंद नहीं है" - सद्गुरु कहते हैं कि, यह भेदभाव ही बंधन का आधार है। यदि आप भेदभाव के परे चले जाएं, तो समझिए कि आपका नब्बे प्रतिशत आध्यात्मिक कार्य ख़तम हो गया। अगर आप हर चीज़ को शिव का रूप मानकर उसके सामने झुक सकते हैं, जैसा कि इस संस्कृति में सिखाया गया है, तो आपको भगवान और सच्चाई की खोज में कहीं जाने की जरूरत नहीं है - यह खुद-ब-खुद आप के ऊपर बरसेगी।
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Jan 12, 2023