देश की आजादी की अड़सठवीं वर्षगांठ पर सद्‌गुरु अपना संदेश दे रहे हैं और हम सब से कुछ अपील कर रहे हैं। क्या है वह अपील? 

सद्‌गुरुपिछली कुछ सदियों में कई वजहों से इंसान के तौर पर हम भारतीय अपनी क्षमताओं से काफी निचले स्तर का जीवन बसर करते रहे हैं। इतना ही नहीं एक देश के तौर भारत ने भी अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग नहीं किया है। हालांकि हमारी आजादी को 68 साल हो गए, लेकिन देश की तकरीबन आधी आबादी के लिए आज भी भोजन, पोषण, स्वास्थय व शिक्षा जैसे मूलभूत मुद्दे एक बड़े मसले बने हुए हैं। लेकिन पिछले एक साल में भारत में ही नहीं, बल्कि बाहर दुनिया में भी एक नई उम्मीद और आशा का भाव जगा है। आज हमारे पास अवसर है कि हम खुद को ताकतवर बना सकें, और अपनी भलाई कर सकें, अपनी हालत बेहतर कर सकें। क्योंकि हमारे यहां आज युवा एक जुटता के साथ सक्रिय हैं।

 

Subscribe

Get weekly updates on the latest blogs via newsletters right in your mailbox.
अपने इस संदेश के जरिए मैं हरेक भारतीय से, चाहे आप इस देश में रहते हों या दुनिया के किसी भी कोने में, एक अपील करना चाहता हूं। आज हमारे पास जो संभावना है वह केवल शीर्ष नेतृत्व के भरोसे साकार नहीं हो सकता। इसलिए यह जरूरी है कि हर भारतीय इसे साकार करने के लिए उठ खड़ा हो।
एक देश के तौर पर हमारे पास सवा सौ करोड़ लोगों की आबादी के लिए न तो पर्याप्त जमीन, पानी व पहाड़ हैं और ना ही पर्याप्त जंगल और खुला आसमान है। आज अगर इस देश के पास कुछ है तो बस इसके लोग, यहां की आबादी। अगर हमने इस आबादी को अशिक्षित व अकुशल और बिना किसी प्रेरणा या फोकस के छोड़ दिया तो आने वाले समय में यह अपने आप में एक बड़ी त्रासदी होगी। लेकिन हमने इस पीढ़ी को अगर एक सक्षम, कुशल, प्रेरित और लक्ष्य की ओर केंद्रित आबादी में बदल दिया तो आने वाले समय में हम एक चमत्कार की अपेक्षा कर सकते हैं।

 
भारत के पास एक ताकतवर देश बनने का अवसर है। जब मैं ताकतवर होने की बात करता हूं तो मेरा मतलब किसी शक्तिशाली सेना से नहीं होता। मेरा मतलब सिर्फ इतना है कि मानव कल्याण के लिए हमारे पास दुनिया को रास्ता दिखाने की ताकत, क्षमता व ज्ञान मौजूद है। अगर ऐसा होता है तो स्वाभाविक सी बात है कि पूरी दुनिया भारत की तरफ देखेगी, क्योंकि आदिकाल से दुनिया हमेशा ज्ञान के लिए पूरब की ओर यानी भारत की ओर देखती आई है। हमें सदियों से हासिल इस प्रतिष्ठापूर्ण स्थान को खोना नहीं चाहिए। एक शक्तिशाली देश होने के लिए अपने देशवासियों को सशक्त करना बेहद जरूरी है और वह संभावना आज हमारे सामने है। हम लोग सार्वभौमिक कल्याण की दहलीज पर खड़े हुए हैं।

 
अपने इस संदेश के जरिए मैं हरेक भारतीय से, चाहे आप इस देश में रहते हों या दुनिया के किसी भी कोने में, एक अपील करना चाहता हूं। आज हमारे पास जो संभावना है वह केवल शीर्ष नेतृत्व के भरोसे साकार नहीं हो सकता। इसलिए यह जरूरी है कि हर भारतीय इसे साकार करने के लिए उठ खड़ा हो। अब सवाल है कि ‘मैं इसे कैसे साकार करूं?’ आप अपने जीवन में जो कुछ भी करते हैं, चाहे आप राजनेता हों या किसान, पुलिस में काम करते हों या डाॅक्टर, वकील हों या इंजीनियर, आप अपने काम, अपने रोजगार को बेहतर तरीके से करें। देश निर्माण का यही एक तरीका है। बड़े-बड़े भाषणों या नारेबाजी से देश का निर्माण नहीं होता। देश का निर्माण तभी होगा, जब हम सब एक अलग स्तर पर जाकर अपने-अपने कामों को अंजाम देंगे और हम चाहें जो भी करें, उसे देश निर्माण की निष्ठा और प्रतिबद्धता के साथ करें।

 

हम लोग इस दुनिया के सबसे जटिल और अनोखा देश हैं, क्योंकि इतनी विविधताओं के बावजूद हम लोग पिछले दस हजार साल से एक राष्ट्र के रूप में रह रहे हैं। भले ही राजनैतिक रूप से हम लोग बंटे हुए थे, लेकिन सांस्कृतिक तौर हम हमेशा से एक राष्ट्र रहे हैं।
फिलहाल हम लोग संभावना और अवसर के एक ऐसे मुहाने पर खड़े हैं, जहां हम तकरीबन आधे अरब लोगों की एक विशाल आबादी को जीवन जीने के मौजूदा स्तर से अगले स्तर तक ले जा सकते हैं। यह अपने आप में एक ऐतिहासिक संभावना है और बिरले ही किसी पीढ़ी को ऐसी संभावना और अवसर कभी मिला होगा। मेरी कामना है कि हर भारतीय को इसे साकार करने में अपना योगदान देने की कोशिश करनी चाहिए। खासतौर पर मैं इस देश के राजनैतिक तबके से विशेष अपील करता हूं। कृपया आप अपनी राजनीति सिर्फ चुनावों के दौरान ही कीजिए। बाकी समय जनता द्वारा चुनी हुई सरकार को जनता के लिए काम करने में लगाइए। चाहे वो केंद्र की सरकार हो या राज्य की सरकार, उसे समझदारी और विवेकपूर्ण तरीके से अपना काम करना चाहिए, जिससे इस देश के लोगों का भला हो सके। बेशक चुनावों से एक महीने पहले राजनीति कीजिए, लेकिन बाकी समय इस देश को महान संभावनाओं से भरा एक राष्ट्र बनाने के लिए अपना काम कीजिए। आइए इस संभावना को साकार करने के लिए जिस साहस और प्रतिबद्धता की जरूरत है, उसे हम कर दिखाएं। यह सिर्फ राष्ट्रीयता की ही बात नहीं है, बल्कि यह मानवता से जुड़ा है।

 
आमतौर पर कोई राष्ट्र धर्म, जाति, संप्रदाय, या भाषा के आधार पर बना होता है। लेकिन एक राष्ट्र के तौर हमारे यहां, धर्म, जाति, संप्रदायों, पंथों और भाषाओं की बहुलता है। हम लोग इस दुनिया के सबसे जटिल और अनोखा देश हैं, क्योंकि इतनी विविधताओं के बावजूद हम लोग पिछले दस हजार साल से एक राष्ट्र के रूप में रह रहे हैं। भले ही राजनैतिक रूप से हम लोग बंटे हुए थे, लेकिन सांस्कृतिक तौर हम हमेशा से एक राष्ट्र रहे हैं। इस क्षेत्र को एक राष्ट्र के रूप में पिरोेने वाला जो धागा है, वह है हमारी जिज्ञासु प्रवृत्ति। यह जिज्ञासुओं और साधकों का देश रहा है। इसलिए यह जरूरी है कि हम इस मौलिकता को बनाए रखें, क्योंकि अगर हम समानता की चाह करेंगे तो यह देश विश्वास व रुढि़यों पर चलने वाली धरती बनने की कोशिश करेगा। लोग जब किसी एक चीज में विश्वास करते हैं तो वह साथ आ जाते हैं। लेकिन यह हमेशा से जिज्ञासुओं और साधकों की धरती रही है, जहां लोगों ने हमेशा सत्य और मुक्ति की खोज और चाह की है। जब आप जिज्ञासु या साधक होते हैं तो आप किसी चीज से नहीं जुड़ते, बल्कि आप अपने भीतर चल रही जीवन प्रक्रिया से जुड़ जाते हैं और वह कभी गलत नहीं होती।

 
इसी जिज्ञासा या खोज में हमने एकता पाई है, क्योंकि इस जिज्ञासा की खोज कोई हमारे या आपके द्वारा नहीं हुई। जब एक बार जीवन संघर्ष से जुड़ी जरूरतें पूरी हो जाती है तो फिर हर जीवन, चाहे उसमें किसी भी विश्वास या पंथ प्रणाली की मिलावट क्यों न हो जाए या फिर किसी और चीज का उस पर प्रभाव क्यों न हो, वह स्वभाविक तौर पर खुद को जानना, महसूस करना और मुक्त करना चाहता है। दरअसल, मानव मेधा या बुद्धि का मूल स्वभाव ही यही है। यह देश इसी मूलभत सिद्धांत पर बना और चला है और जब तक जिज्ञासा की यह प्रवृत्ति यहां जीवंत है, तब तक इस देश को कोई खत्म नहीं कर सकता। अगर आप खुद को समानता या विश्वास के आधार पर बदलना चाहेंगे तो हम कभी एक नहीं हो सकते। अगर हम अपने भीतर इस जिज्ञासु प्रवृत्ति को नहीं सहेज पाए तो हमारे भीतर राष्ट्रभावना नहीं आ सकती।

 
देश के 68वें स्वतंत्रता दिवस पर मेरी यह कामना और शुभाशीष है कि हम उस चीज को जानें और महसूस करें कि जिसने हम भारतीयों को आपस में बांधे रखा है। हम इस प्रकृति को बनाए रखें। केवल इसी प्रकृति के जरिए हम अपने यहां की विवधिता की खूबसूरती का आनंद ले सकते हैं।

Love & Grace