न कोई मंजिल, न कोई मकसद, पर जोश से भरपूर
इस बार के स्पॉट में सद्गुरु बता रहे हैं सम्यमा कार्यक्रम और यक्ष से पूर्व आश्रम में हो रही चहलपहल के बारे में...
ईशा योग केंद्र में फरवरी का महीना हमेशा बेतरह गतिविधियों से भरा रहता है] क्योंकि इन दिनों पूरी महीने यहा गतिविधियों का दौर जारी रहता है। महाशिवरात्रि से पहले यक्ष] हैंडस आफ ग्रेस और इनर वे का आयोजन होगा। हाल ही में हमने सम्यमा का शानदार कार्यक्रम खत्म किया है।
एक हफ्ते चलने वाले सम्यमा कार्यक्रम ने इसके प्रतिभागियों सहित ईशा केंद्र के पूरे माहौल में एक बेहद शांतिपूर्ण और शीतलताभरा प्रभाव छोड़ा। सम्यमा के आखिरी दिन लंबे समय से प्रतीक्षित और तकरीबन दो महीने से रुकी हुई बारिश मानों पूर्णाहुति के रूप में बरस पड़ी हो। आखिरी दिन हुई बारिश जीवन की धन्यता का प्रतीक थी। यह फल है पिछले कुछ दिन की जा रही ध्यान और साधना का। उम्मीद है कि आदियोग आलयम से निकलने वाली अनुकंपा भरी उर्जाएं निश्चित रूप से दूर तक जाएंगी।
पूरी दुनिया को इसी तरह की लक्ष्यहीन प्रकृति वाली अभिमंत्रित उर्जा से भीग जाना चाहिए, जहां हर जीवन सृष्टि मौजूद हर चीज के साथ अपना एक लयात्मक संबंध बना सके। बिना मकसद के तीव्रता ही इंसान को बिना किसी प्रतिद्वंदता में शामिल किए उसकी योग्यता को सामने लाती है। फिलहाल दुनिया में प्रचलित यह अवधारणा पूरी तरह से गलत है कि जब इंसान पर हर तरह से दबाव पड़ता है, तभी उसकी सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा सामने आती है। यह गलत सोच एक ऐसा समाज बना रही है, जो खुद को लगातार प्रतिद्वदता के आपराधिक स्तर की ओर धकेल रहा है। आज कम उम्र के बच्चे सामाजिक उम्मीदों का दबाव न झेल पाने के चलते आत्महत्या कर रहे हैं, फिर यह दवाब चाहे माता-पिता की तरफ से हो या सामाजिक अपेक्षाओं का।
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इसका विकल्प एक सुस्त और शिथिल ढांचा कतई नहीं है। दुनिया में प्रबल मानवता मौजूद है, लेकिन वह बिना किसी खास मकसद के है। मकसद या लक्ष्य आपको तुरंत नतीजे या फायदे तो देता है, लेकिन वह व्यक्ति से उसकी वो जबरदस्त प्रतिभा छीन लेता है, जो हर इंसान में मौजूद है। यह केवल तभी संभव है जब व्यक्ति गहन साधना या ध्यान कर रहा हो। बिना मकसद के जोश की जरूरत है क्योंकि इंसान द्वारा बनाए गए सभी उद्देश्य मूल रूप से जीवन के बुनयादी उद्देश्य से भटके हुए हैं। जीवन के उद्देश्यों को ढूंढना और पूरा करना ही सब कुछ है। जीवन की यही चाह है। लोगों के जीवन में विविध आकांक्षाएं या चाहतें, दरअसल जीवन के सच्चे लक्ष्य को ढूंढने की अभिलाषा है।
मेरे जीवन का यह आखिरी चरण आप जैसे लोगों के लिए पूर्णतया समर्पित और उपलब्ध है, जो इस संभावना में आगे बढ़ने की चाहत रखते हैं और दूसरों को भी यह संभावना भेंट करते हैं।
यक्ष के शुरु होने से पहले आश्रम में संगीत व नृत्य के महोत्सव की प्रतीक्षा में बहुत चहल-पहल है। एक हफ्ते के मौन के बाद अब संगीत।