मैं और शिव
यह कविता 'मैं और शिव' सद्गुरु के आंतरिक साम्राज्य की एक झलक प्रदान करती है ...
ArticleMar 14, 2013
मैं और शिव
शिव और मैंने है मिलकर
लगाई एक भीषण आग
रखते हैं एक दूसरे को
हम उष्ण और खुशहाल
इस उष्णता का आनंद ले सकते हैं
कई करोड़ और भी इंसान
बनाएंगे हम एक पावन स्थान
जहां जानेगा हर कोई
इस उष्णता को।
Love & Grace
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