मैं बस अभी रूस में खत्म हुए फीफा विश्व कप से वापस लौटा हूं। फीफा के सेमीफाइनल और फाइनल मैच का पूरा माहौल और रोमांच अपने आप में अद्भुत था। इस विश्व कप के दौरान ‘मेस्सी’ जैसे सितारे खास कमाल नहीं कर सके, जबकि बापे जैसे खिलाड़ी जबरदस्त रूप से चमकते हुए उभरकर सामने आए। फुटबॉल की जानी-मानी टीमें बाहर हो गईं, जबकि दूसरे नए देश बेहतरीन टीमों के रूप में सामने आए। मुझे लगता है कि भारत जैसे देश में - जहां लाखों की संख्या में लड़के उस उम्र में हैं, जहां से उनकी फुटबॉल की ट्रेनिंग शुरु के जा सकती है - ये काफी हद तक संभव है कि हम भविष्य में होने वाले विश्व कप में हिस्सा ले सकें। सवाल उठता है कि सफलता के लिए क्या चाहिए? इसमें पहली चीज प्रतिभा(विशेष गुण) है और दूसरी चीज है कोशिश व मेहनत।

जबरदस्त प्रतिभा वाले लोग गिने-चुने होते हैं

किसी भी क्षेत्र में - चाहे कोई महान फुटबॉलर हो या महान कलाकार, महान अभिनेता हो या संगीतकार - मेरा मानना है कि इंसान की सफलता में अस्सी प्रतिशत योगदान उसकी कोशिशों का और बीस प्रतिशत योगदान उसकी प्रतिभा का होता है। दुनिया में ऐसे बहुत ही कम लोग होते हैं, जिनमें विशुद्ध रूप से असाधारण प्रतिभा होती है, बाकी सभी लोग घंटों तक मेहनत करते हैं। विश्व स्तरीय खिलाड़ी बनने के लिए किसी फुटबॉलर को हजारों घंटों का अभ्यास करना पड़ता है। विश्व कप में एक गोल मारने के लिए खिलाड़ी को रोज सालों तक लगातार कम से कम से चार से छह घंटे तक बॉल को मारने का अभ्यास करना पड़ता है।

पूरे जूनून से काम करना होगा

अगर आप महान कलाकार या अभिनेताओं को देखें तो रंगमंच पर दो घंटे के अभिनय के लिए शायद वह 12 से 15 सालों तक रोजाना अभ्यास करते रहे हैं। उनका यह अभ्यास मंच पर अभिनय के दौरान दिखाई देता है। किसी भी चीज के लिए असाधारण प्रतिभा का होना जरूरी नहीं है। अगर आप संपूर्ण खुलेपन के साथ किसी भी दिशा में काम करने के इच्छुक हैं तो आप जो बनना चाहें, वह बन सकते हैं। एक बार की बात है, जब मैं स्कूल में पढ़ता था तो मेरे सामने एक सवाल आया – ‘आप क्या आप कर सकते हैं और क्या नहीं कर सकते?’ तब तक मैं बुरी तरह से बोर हो चुका था, क्योंकि मेरे पास असल में करने के लिए बहुत सारी चीजें थी, लेकिन वे लोग कुछ करने के बारे में बस बातें कर रहे थे। तब मैंने जवाब दिया, ‘अगर मुझे काफी धन और समय दिया जाए, तो मैं चांद तक पहुंचने के लिए सीढ़ी बनाना चाहूंगा’। उन्हें लगा कि यह मेरी बदतमीजी है। मैंने कहा, ‘हो सकता है यह अभी तक न हुआ हो, लेकिन काफी धन और समय की मदद से यह संभव है।’ यहां सवाल बस इतना है कि इंसान के सामने मौका आता है या नहीं, नहीं तो ऐसी कौन सी चीज है जो इंसान नहीं कर सकता?

लेकिन यूं ही समय बिताने का क्या मतलब? आपको अपने दिमाग और शरीर से इस तरह से काम लेना चाहिए कि वे अपनी सबसे अधिक क्षमता से काम कर सकें।

इंसान के जीवन में मौका आता है या नहीं, यह दुनिया की बहुत सारी हकीकतों पर निर्भर(डिपेंड) करता है। अगर आपके सामने मौका आता है तो सवाल उठता है कि क्या आप इसके लिए तैयार हैं? सफलता और असफलता के बीच में यही फर्क है। अगर आप सफल होना चाहते हैं तो आप में जुनून और कोशिश करने की इच्छा होनी चाहिए। अगर किसी व्यक्ति में जीवन को लेकर जुनून है, तो उसके पास कभी खाली वक्त नहीं रहेगा। उसके पास हमेशा कुछ न कुछ करने को रहेगा - जरूरी नहीं कि वह कोई काम ही हो। अगर आपको किसी काम को करने में मजा आता है तो फिर आप उसे 24 घंटे करने के लिए भी तैयार रहेंगे। अगर आप कुछ अलग करना चाहते हैं - जैसे आप पढ़ सकते हैं, गा सकते हैं, नाच सकते हैं, खेल सकते हैं या किसी चीज की रचना कर सकते हैं या फिर कोई नई चीज करके देख सकते हैं – वो ठीक है। लेकिन यूं ही समय बिताने का क्या मतलब? आपको अपने दिमाग और शरीर से इस तरह से काम लेना चाहिए कि वे अपनी सबसे अधिक क्षमता से काम कर सकें।

सफलता – लगातार और ख़ुशी-ख़ुशी की गई कोशिश में है

अगर आपके पास करने के लिए कुछ नहीं है तो इसका मतलब है कि आपके जीवन में एक ठहराव आ गया है। मैं उम्मीद करता हूं कि आपके साथ ऐसा कभी न हो। अगर आपके जीवन का बहाव एक नदी की तरह है, तो हमेशा आपके पास करने के लिए कुछ न कुछ रहेगा। इससे पहले कि आप इसे जान पाएं, जीवन खत्म हो चुका होगा। यहां तक कि अगर आप सौ साल भी जिंए और अपना पूरा जीवन इसमें लगा दें तो भी यह संभव नहीं है कि मानव बुद्धि और मानव चेतना की संपूर्ण संभावनाओं तक पहुंचा जा सके। फिलहाल वक्त जीवन जीने का है, आराम करने का नहीं। जीवन में आराम का मौका तब आएगा, जब हमें कब्र में लेटा दिया जाएगा। सफलता किसी एक खास नतीजे तक पहुंचने में नहीं है, बल्कि वास्तव में आपके लिए जो मायने रखता है, उस दिशा में लगातार और खुशी के साथ की गई कोशिश में ही है।

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