है कौन श्रेष्ठ?
इस हफ्ते के स्पॉट में सद्गुरु ने एक कविता लिखी है...
है कौन श्रेष्ठ ?
कुत्ता या बिल्ली, सूअर या चूहा
है कौन श्रेष्ठ ?
कुछ हैं जो भौंकते और काटते
हैं उनके औजार भय से बने
भय है रखता व्यवस्था बनाये
भय के गुण कोई कैसे गिनाए
जब ये समाय सांस फूल जाये
जीवन ये सारा बेजान पड़ जाये
जीते जी मौत है ये भय
कुछ हैं जो मिमियाते और घुरघुराते
नाज़ुक और सलोने, प्रलोभनों से भरे
जीवन जिनके लिए है झूठ व फरेब
बाजारू लोगों की कशिश व कहर
है कुछ ऐसा जैसे हो मीठा जहर
जो आपको जंजीरों में नहीं
है कोमल रेशमी धागों में बांधता
है कुछ ऐसे आपको उलझाता
निकलने का जिससे कोई
राह नहीं बच पाता
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कुछ हैं जो घुर्राते रहते
ये बस दुर्गंध फैलाते
है सुननी अगर आपको उनकी सच्ची आवाज
तो झुकना होगा, खीझ कर ही सही
उन्हें चारा डालना होगा
रहने के उनके बाड़ों से
भीतर आपके खौफ होगा
पर कोई उपाय नहीं आपके पास
इस कीचड़ से बचने का
कुछ वे हैं जो कुतरते हैं
आपकी हर चीज को
चाहे हो वो आपके शादी का जोड़ा
या आपकी स्वर्गवासी दादी का लहंगा
आप जिनको पूजें वे हैं उनसे मन बहलाते
चीजें उनसे नहीं कभी अछूता रह पाते
कर सकते हैं चढ़ाई आपकी आत्मा पर भी.
ओह!हैं आपके कितने आत्मीय!
कुत्ता और बिल्ली, सूअर और चूहा!
ओह!विकास की ये कैसी जल्दी!