अगर कल्पवृक्ष मिल जाए तो
सद्गुरु हमें अध्यात्म और भौतिक करामातों के बीच के अंतर के बारे में बता रहे हैं। वे बताते हैं कि अपनी ऊर्जा का भौतिक आयामों में कुछ प्रकट करने के लिए इस्तेमाल करने से जीवन पर नकारात्मक असर पड़ता है।
कल्पवृक्ष मिलने पर भी तृप्ति नहीं मिलेगी
इस दुनिया में घट रही घटनाओं पर अगर आप नजर डालें तो आपको समझ में आएगा कि लोग मामूली सी करामातों को आध्यात्मिकता समझने की भूल कर रहे हैं।
मन की शक्ति का लोग गलत इस्तेमाल करने लगते हैं
कई दशक पहले, ईशा फाउंडेशन की शुरुआत करने से पहले हमने एक प्रोग्राम कंडक्ट किया था, जो अपने मन के इस्तेमाल से अपनी मनचाही चीजों को पाने को लेकर था। इस कार्यक्रम में मैंने लगभग अस्सी प्रतिशत प्रतिभागियों से एक मुड़े हुए कागज के टुकड़े को मेज के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंचवाने में सफलता पाई, सिर्फ मन की शक्ति से। फिर मैने देखा कि वे लोग इस क्षमता से मूर्खतापूर्ण काम करने लगे। यह सब देखकर मैंने इस कार्यक्रम को बंद करने का फैसला किया। मैंने ऐसी चीजें पहले भी देखी हैं। जब मैं छोटा था तो मेरी दिलचस्पी जीवन से परे की दुनिया में रहती थी। मैं जानना चाहता था कि लोग भूत, आत्माओं व ऐसी चीजों के बारे में क्या कहते हैं। जब किसी ने कहा कि फलां घर भुतहा है तो मैं वहां जाकर एक के बाद एक कई रातें सोया। लेकिन कभी कोई कमबख्त भूत नहीं आया।
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सद्गुरु के बचपन की यादें
मैं श्मशान घाट में भी जाकर महीनों बैठा। लेकिन कोई भी भूत या आत्मा नहीं आई। लोगों ने कहा, ‘अगर तुम उस इमली के पेड़ पर एक बड़ी सी कील गाड़ दोगे और फिर एक गीले धागे से अपनी अनामिका(रिंग फिंगर) उस कील से बांध दोगे तो भूत आएगा।’
ऊर्जाओं से भौतिक आयाम में कुछ करने की कोशिश
मुझे लगा कि उनमें जरूर कुछ होगा, इसलिए मैं एक बोतल वहां से चुराना चाहता था, लेकिन उसने मुझे ऐसा करने नहीं दिया। उसने जमीन पर चावल के आटे से ज्यामितीय पैटर्न वाली एक रंगोली बनाई और उसके पांच कोनों में पांच अंडे रख दिए। फिर उसने अपने दोनों हाथों से ताली बजाई और पांचों अंडे फूट गए। यह देखकर मैं भी कुछ ऐसा ही करना चाहता था। मैं अपने घर गया, तब हमारे घर के पिछवाड़े में एक अमरूद का पेड़ था। मैं उस पर लगे अमरूदों में से एक अमरूद को देखा और ताली बजाई, वह अमरूद नीचे गिर पड़ा। फिर मैंने यही क्रिया कुछ और अमरूदों के साथ दोहराई। हर बार मैं जिस अमरूद को देखकर ताली बजाता, वही नीचे टपक जाता। अब मैंने यह दृश्य दिखाने के लिए अपने दोस्तों को बुला लिया। मैंने उनसे पूछा, ‘कौन सा फल तुम्हें चाहिए?’ उन्होंने एक फल की तरफ इशारा किया, मैंने उस फल की तरफ देखा, ताली बजाई और वह फल नीचे गिर गया। अचानक मेरे बदन के रोम-रोम में एक तेज बिजली सी कौंध गई। मैं जान गया था कि मैं कोई चीज बिलकुल गलत कर रहा हूं और फिर मैंने वह संब बंद कर दिया। भौतिक चीजों को करने के लिए अपनी उर्जा का इस्तेमाल करना - जीवन के लिए पूरी तरह से नुकसानदेय प्रक्रिया साबित होती है। भौतिक जगत का काम और उसे संभालने के लिए तन व मन के भौतिक आयामों का ही इस्तेमाल होना चाहिए।
भौतिक आयाम में वही करें जिसकी जरुरत हो
अगर आप हवा में से चीजें पाना चाहते हैं तो इसका मतलब है कि आप इसके लिए काम नहीं करना चाहते। जिस बात की छाप मैं आप पर पहले दिन से छोडने की कोशिश कर रहा हूं, यह बिलकुल उसके उल्टा है।
आपको बस इतना ही करना चाहिए। बस वही कीजिए, जिसकी जरूरत है। न उससे कुछ कम और न ही ज्यादा। अगर आपके पास देखने के लिए आंखें हैं तो आप देखेंगे कि इस दुनिया में लाखों चीजों को किए जाने की जरूरत हैै। जो जरूरी है, सिर्फ उसे ही करना भौतिक गतिविधि है। अगर आपके पास कल्पवृक्ष हो और उससे चीजें टपकती रहें, फिर आप उन सबका क्या करेंगे? फिलहाल आप जो भी चीज तैयार करते हैं, उसके लिए आपको कोशिश करनी पड़ती है। मान लीजिए आप एक इमारत बनाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको जमीन की खुदाई करनी पड़ती है, लोहा, ईंटें व सीमेंट जैसी काफी चीजें लानी पड़ती हैं। ये सारी चीजें इसी धरती से आती हैं। एक इमारत को खड़ी करने में लगने वाली चीजों को पैदा करने और उन सबको एक साथ इकठ्ठा करने में कितनी मेहनत लगती है!
आपकी हर इच्छा पूरी हो जाए, तब भी आनंद नहीं मिलेगा
इसके बावजूद कि इमारतों केे निर्माण में जबरदस्त मेहनत लगती है, हम इतनी इमारतों का निर्माण कर रहे हैं, जो इस धरती को विनाश की तरफ ले जा रहा है। मान लीजिए कि आपके पास कल्पवृक्ष हो तो आप इससे भी ज्यादा मांगेंगे।
आज आपके पास जितना है, अगर आपके पास उससे हजार गुना आ जाए तो क्या आपको लगता है कि आपकी और पाने की बैचेनी खत्म हो जाएगी? यह नहीं खत्म होगी। हमें बहुत सारे वृक्षों की जरुरत है, पर कल्पवृक्षों की नहीं। बात सिर्फ इतनी है कि आपके शरीर व मन को सिर्फ वही करना चाहिए, जो आप उनसे करने के लिए कहें। अगर आपके तन व मन सिर्फ वही करें, जो आप उनसे करने के लिए कहें तो आपका जीवन शानदार हो उठेगा। तब आपको जिसकी भी जरूरत होगी, वह बिना किसी कोशिश के अपने आप होने लगेगा। आपको यह चुनना भी नहीं चाहिए कि आप क्या चाहते हैं और क्या नहीं। सिर्फ आप शानदार तरीके से जीने का विकल्प चुनें। फिर चाहे आप यह शानदार जिदंगी गुफा में गुजारें, झोपड़ी में गुजारें या फिर किसी महल में - इससे क्या फर्क पड़ता है? असली बात है कि आप शानदार तरीके से जी रहे हैं।