परिवार के अंदर अगर एक खास तरह का तालमेल न हो, लोग एक दूसरे के हित के बारे में न सोचें तो वह आपके विकास में बहुत बड़ी बाधा भी बन सकता है। आखिर कैसा हो परिवार, जानते हैं सद्‌गुरु से-

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सद्‌गुरु:

एक बार शंकरन पिल्‍लै अपने परिवार के साथ डिनर कर रहे थे। भोजन करते-करते सबके सामने उन्होंने घोषणा कर दी कि वह शादी करने जा रहे हैं। सबका एक ही सवाल था, किससे? तुम किससे शादी करने जा रहे हो? शंकरन पिल्लै ने जवाब दिया, मैं लूसी से शादी करने जा रहा हूं जो हमारे पड़ोस में रहती है। उनके पिता ने कहा, क्या? तुम उस भद्दी लूसी से शादी करोगे? हम उसके कुल-खानदान के बारे में कुछ नहीं जानते। मां बोली, क्या? तुम उस भद्दी लूसी से शादी करने जा रहे हो? उसके पास कोई धन-संपत्ति नहीं है। चाचा ने कहा, क्या? तुम उस भद्दी लूसी से शादी करने जा रहे हो? उसके बाल कितने गंदे हैं। चाची भी बीच में कूद पड़ीं और बोलीं, क्या? तुम उस भद्दी लूसी से शादी करने जा रहे हो? वह इतना बेकार मेकअप करती है कि वह कोई सड़क छाप औरत लगती है। छोटे सा भतीजा भी पीछे नहीं रहा, वह बोला, क्या? आप उस भद्दी लूसी से शादी करने जा रहे हैं? उसे तो क्रिकेट के बारे में कुछ नहीं पता। शंकरन पिल्लै अपनी बात पर अड़े रहे और बोले, हां, मैं लूसी से ही शादी करने जा रहा हूं क्योंकि इसका एक बहुत बड़ा फायदा है। सब ने पूछा, क्या? वह बोले, उसका कोई परिवार नहीं है।

परिवार तभी खूबसूरत होता है जब वह एक खास तरीके से चलता है, वरना वह सबसे डरावनी चीज हो सकता है। परिवार का मतलब निर्भरता नहीं है, वह एक खास तरह की साझेदारी है, जो आपने बनाई है। साझेदारियां तभी सही और सार्थक होती हैं, जब दोनों लोग उसके लिए तैयार हों और वे एक साथ एक दिशा में चल रहे हों। अगर लगातार दोनों साझीदार एक-दूसरे के हित के बारे में सोचते हैं, तो वह साझेदारी मायने रखती है। अगर कोई उसमें सिर्फ अपने ही बारे में सोचे, तो बात चाहे परिवार की हो या पेशे की या फिर आध्यात्मिकता की ही क्यों न हो, फिर तो ऐसे व्यक्ति के लिए साझेदारी हर हाल  में बेकार है। अगर एक दूसरे का खयाल नहीं है और फिर भी आप साथ रहते हैं, तो आप  लोगों के लिए कई समस्‍याएं पैदा कर सकते हैं। आप परिवार में इसलिए नहीं रहते कि आप में कर्तव्य-बोध है, बल्कि इसलिए रहते हैं क्योंकि एक प्रेम का बंधन है, जो आपने बनाया है। अगर आप सचमुच उस प्रेम के बंधन से बंधे हैं तो आपको बताने की जरूरत नहीं है कि आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं, आप वही करेंगे जिसकी जरूरत होगी।

अगर आप एक-दूसरे से अधिक से अधिक निचोड़ने  की कोशिश में लगे हुए हैं, तो आप एक माफिया चला रहे हैं, यह कोई परिवार नहीं है। जहां पर लोग एक दूसरे को अपना उत्‍तम देने की कोशिश करते हैं, वही  परिवार है।

आपने किसी के साथ या कुछ लोगों के साथ प्रेम का एक बंधन बनाया है, इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपने जीवन में बड़ी चीजों की कामना नहीं कर सकते। आप अपने आस-पास के लोगों के लिए जो सबसे अच्छी चीज कर सकते हैं, वह है खुद को मानवीय संभावना की सबसे अधिक उंचाई तक  ले जाना। आप उस उंचाई को पाने की कोशिश में लगे रहिए। आपका जितना अधिक विकास होगा, उतना ही अधिक आप लोगों की मदद कर सकेंगे। अगर लोग यह बात नहीं समझते, अगर वे यह सोचते हैं कि आपको उन्हीं सीमाओं और समस्याओं के साथ उसी स्तर पर अटके रहना चाहिए जहां वे अटके हुए हैं, और आपको उसके परे की आजादी नहीं मिलनी चाहिए, तो यह परिवार नहीं है, यह माफिया है। अगर आप एक-दूसरे से अधिक से अधिक निचोड़ने  की कोशिश में लगे हुए हैं, तो आप एक माफिया चला रहे हैं, यह कोई परिवार नहीं है। जहां पर लोग एक दूसरे को अपना उत्‍तम देने की कोशिश करते हैं, वही  परिवार है। अगर ऐसा नहीं है, तो यह परिवार ही नहीं है, फिर उसे तोड़ने का कोई सवाल ही नहीं उठता।

हर मनुष्य की स्वाभाविक इच्छा होनी चाहिए कि वह अपने जीवन में सर्वाधिक उंचाई और क्षमता प्राप्त करे। अपने आस-पास के लोगों के जीवन में यही उसका सबसे बड़ा योगदान होगा। खुद को सीमित रखना कोई योगदान नहीं है- ना खुद के लिए, ना ही किसी और के लिए। अगर आप अपनी खुशहाली, बुद्धि और आनंद की एक खास अवस्था में हैं, अगर आप उस अवस्था में हैं, जो आपके लिए सबसे उत्तम हो सकती थी, तो आप अपने आस-पास के लोगों के लिए इससे बेहतर कुछ और नहीं कर सकते। यह बिना संघर्ष और त्याग के नहीं होगा और त्याग कोई बलिदान नहीं है। जब आपके दिल में एक-दूसरे के प्रति प्रेम नहीं होता, तभी वह बलिदान होता है। अगर एक-दूसरे के लिए प्रेम है, तो दूसरे व्यक्ति के सुख के लिए कुछ त्यागना एक सौभाग्य है।