सद्‌गुरु23 अप्रैल का दिन विश्व पुस्तक दिवस और कॉपीराइट दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर जानते हैं सद्‌गुरु की कुछ हिंदी पुस्तकों के बारे में -

 

 

 

विश्व पुस्तक दिवस पर सद्‌गुरु हिंदी साहित्‍य का एक परिचय-3

 

आत्मज्ञान: आखिर है क्या

‘अगर आप इसके बारे में जागरूक नहीं हैं, तो मैं यह बताना चाहूँगा कि 90 प्रतिशत लोगों के लिए उनके आत्मज्ञान प्राप्त करने का वक्त और उनके शरीर छोडने का वक्त एक ही होता है। केवल वही लोग जो शरीर के दाँव-पेंच जानते हैं, जो इस शरीर रूपी यंत्र के विज्ञान को जानते हैं, जो शरीर के कल-पुर्जे की समझ रखते हैं, वही अपने शरीर में बने रहने में सक्षम होते हैं।

अपने शरीर में बने रहने में जो लोग सक्षम होते हैं, उनमें से ज्यादातर लोग अपना बाकी जीवन मौन में ही बिताते हैं। केवल कुछ ही इतने मूर्ख होते हैं जो अपने इर्द-गिर्द के लोगों के साथ कुछ करना चाहते है, क्योंकि उस आयाम के बारे में बात करना जो लोगों के अनुभव में नहीं है, यह बहुत निराशाजनक है। लोग तर्क के आधार पर इसे स्पष्ट करने की कोशिश करते हैं, पर यह बेहद निराशाजनक चीज है...’

-सद्‌गुरु

सद्‌गुरु उन दुर्लभ लोगों में से एक हैं, जो न केवल उस अनुभव के बाद जीवित रहे और उसका स्पष्ट बयान किया, बल्कि उन्होंने मानवता को एक शाही मार्ग प्रदान किया और उस दिशा में एक मौन क्रांति की शुरुआत की। इस पुस्तक में संकलित सत्संग एक ऐसे विषय के गूढ पहलू को उजागर करते है, जो लोगों की कल्पना को पहले से कहीं अधिक मुग्ध करने लगा है। एक रहस्यदर्शी, युगद्रष्टा, मानवतावादी, सद्‌गुरु एक अलग किस्म के आध्यात्मिक गुरु हैं।

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विश्व पुस्तक दिवस पर सद्‌गुरु हिंदी साहित्‍य का एक परिचय-12

 

एक आध्यात्मिक गुरु का अलौकिक ज्ञान

लोगों के जीवन में अक्सर एक पल आता है जब पूर्ण विराम गायब हो जाते हैं। प्रश्न चिह्न उठ खडे होते हैं। विराम-चिह्नों का सिलसिला शुरू होता है। अँगडाई लेते हुए अंतहीन, अथाह विराम चिह्न...। यही वह वक्त होता है जब एक व्यक्ति एक जिज्ञासु बन जाता है। यह पुस्तक जिज्ञासुओं के लिए, अन्वेषकों के लिए है। यह विकल, व्यग्र और विवह्ल कर देने वाले प्रश्नों के सरगम का एक संकलन है, जो हरेक जिज्ञासु के मन में कभी न कभी जरूर उठते हैं। प्रश्न अनेक विषय वस्तुओं से संबंधित हैं - भय, कामना, कष्ट और पीडा, निष्ठा, स्वतंत्र इच्छा शक्ति, नियतिवाद, ईश्वर, विश्वास, प्रेम, नैतिकता, आत्म-वंचना, असमंजस, कर्म, आध्यात्मिक-मार्ग, मन, शरीर, रोग, आरोग्यता, पागलपन, मृत्यु, विसर्जन। प्रश्न और भी हैं।

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विश्व पुस्तक दिवस पर सद्‌गुरु हिंदी साहित्‍य का एक परिचय-9

 

मृत्यु एक कल्पना है

”अपने शरीर से परे प्राणी का आगे बढना, इस बात पर निर्भर नहीं करता कि वह संसार में क्या था, और वह अपने बारे में क्या सोचता था या सब लोग उसके बारे में क्या सोचते थे। यह सिर्फ इस पर निर्भर करता है कि वह कितना जागरूक है, उसने अपने अंदर इस भौतिक शरीर के परे कितना कुछ पैदा किया है।” - सद्‌गुरु

सद्‌गुरु हमारे समय के एक दिव्यदर्शी और एक योगी हैं। इनके साथ एक आत्मीय भेंट के दौरान श्रोताओं के एक दल ने अपनी जिज्ञासाओं को ही नहीं, बल्कि अपनी आशंकाओं को भी उनके साथ बाँटा। इन्हीं जिज्ञासाओं को इस पुस्तक में समेटा गया है। पुस्तक के प्रथम खंड में सद्‌गुरु मृत्यु के संबंध में आदि काल से चली आ रही भीतियों की खोज करते हैं। वे उनका सर्व मर्ज नाशक औषधियों की तरह सांत्वनाप्रद समाधान देने की कोशिश नहीं करते, बल्कि एक ज्ञानी की तथ्यात्मक अंतर्दृष्टि को सामने रखते हैं।

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विश्व पुस्तक दिवस पर सद्‌गुरु हिंदी साहित्‍य का एक परिचय

 

सृष्टि से सृष्टा तक

पुस्तक के प्रथम खंड में सृष्टि के द्वैत की चर्चा की गई है, जिसकी जटिलताओं और विविधताओं में उलझा हुआ मनुष्य बुरी तरह से घायल हो चुका है। द्वैत ही उसके जीवन में रंग भरता है, जीवन के समस्त खेल, सौन्दर्य और खुशी का कारण द्वैत ही है। लेकिन इसके लिए उसे एक बहुत भारी कीमत चुकानी पडी है, द्वैत के कारण ही वह सभी तरह के दुःख, कष्ट और मुश्किलों में फँसा हुआ है। सद्‌गुरु इससे निकलने की उक्ति बताते हैंः ”अगर तुम उस आयाम में स्थापित हो जो सृष्टि का उद्गम है; अगर तुम्हारा एक हिस्सा सृष्टा और दूसरा हिस्सा सृष्टि है, फिर तुम सृष्टि के साथ जैसे चाहो वैसे खेल सकते हो, लेकिन यह तुम्हारे ऊपर कोई भी निशान नहीं छोडेगी।”

दूसरे खंड में सद्‌गुरु महत्वपूर्ण चेतावनी भी देते हैं: जब इंसान एक खास स्तर की सिद्धि प्राप्त कर लेता है, तो उसके अंदर करुणामय होने की प्रबल इच्छा जागती है। वह इस पृथ्वी के हर जरूरतमंद की आवश्यकताओं को पूरा करना चाहता है। यह किसी प्रकार की समझदारी, बुद्धिमानी, या जागरूकता से उत्पन्न नहीं होती। यह सर्वश्रेष्ठ बनने की चाहत से पैदा होती है। भवसागर की रोमांचकारी यात्रा पर निकले यात्रियों के लिए यह पुस्तक चैतन्य को उपलब्ध एक अनुभवी नाविक की प्रज्ञा से जुडने का एक दुर्लभ अवसर प्रदान करती है।

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विश्व पुस्तक दिवस पर सद्‌गुरु हिंदी साहित्‍य का एक परिचय-5

 

दिव्यदर्शी की आँखन देखी

यह पुस्तक प्यासों के लिए है। और निश्चित रूप से यह पुस्तक कायरों के लिए नहीं है। हमारे समय के एक जीवंत गुरु और दिव्यदर्शी, सद्‌गुरु जग्गी वासुदेव ने एक गहन तथा व्यापक संवाद की शृंखला में उन सभी गूढ़ प्रश्नोंश को संबोधित किया है जिनकी कल्पना कोई जिज्ञासु कर सकता है। प्रश्न आत्मज्ञान, मुक्ति, मृत्यु, ईश्वार और पुनर्जन्म से संबंधित हैं। साथ ही वे भी प्रश्न हैं जो दिखते तो बड़े मामूली हैं, लेकिन सबको आतंकित करते हैं तथा जिनको जानने की उत्सुकता सब में होती हैं, परंतु पूछने में लोग झिझकते हैं: ये भूत-प्रेत, भटकती आत्माएँ, जादू-टोना, कायाहीन प्राणी, फरिश्ते , दानव, गुह्य विद्या इत्यादि से संबंधित हैं। जब सद्‌गुरु तीन जीवन कालों की अपनी असाधारण प्रतिबद्धता व दुःसाहस और अपने जीवन के एकमात्र ध्येय की ऐतिहासिक गाथा को उजागर करते हैं तब यह पुस्तक अपने विषय-वस्तु की चरम सीमा को छूती है। उनकी इस दुःसाहसी यात्रा का परिणाम है ध्यानलिंग, जो सदियों से असंख्य योगियों का स्वप्न रहा है। ध्यानलिंग ऊर्जा का एक अनूठा रूप है, जो अपने दायरे में आने वाले हर एक व्यक्ति में मुक्ति का बीजारोपण करता है।

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विश्व पुस्तक दिवस पर सद्‌गुरु हिंदी साहित्‍य का एक परिचय-6

 

राह के फूल

प्रस्तुत ’राह के फूल‘ श्रृंखला पाठकों के लिए एक गुलदस्ता है; यह ’टाइम्स ऑफ इंडिया‘ के स्तंभ ’स्पीकिंग ट्री‘ में धारावाहिक रूप से प्रकाशित सद्‌गुरु द्वारा मुखरित आलेखों का संग्रह है। वर्षों से, इन रचनाओं ने एकरसता और अशान्ति में घिसरते जन समुदाय के जीवन में नित्य प्रति सौंदर्य, हास्य, स्पष्टता और विवेक की शीतल झरी प्रवाहित की हैं। स्टॉक बाजार के बदलते मौसम और अंतराष्ट्रीय मसलों से संबंधित पृष्ठ, पाठकों के जीवन में आशातीत अन्तर्दृष्टि और सुकून  पैदा करने वाले सिद्घ हुए हैं।

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विश्व पुस्तक दिवस पर सद्‌गुरु हिंदी साहित्‍य का एक परिचय-11

 

आनंद लहर – चाहो और पा लो

सद्‌गुरु एक ऐसे व्यक्ति हैं, जो केवल अध्यात्म की ही चर्चा नहीं करते, अपितु जीवन के हर आयाम के बारे में ऐसी राय देते हैं, जो हमारे अंदर स्पष्टता पैदा करती है, हमारी जीवन-नैया को भंवर से बाहर निकालती है। ये भंवर वही हैं, जिनसे हम सभी को कभी न कभी गुजरना होता है, तो जाहिर है हम सबकी परेशानियां भी कुछ एक जैसी ही होंगी। सद्‌गुरु-सिन्धु से उठी आनंद की कुछ लहरों को आप तक पहुंचाने की कोशिश है ये किताब। पूरा विश्वास है कि ये लहरें - आनंद की लहरें - आपके अंतस को छुएंगी और आपको आनंद से सराबोर कर देंगी।

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विश्व पुस्तक दिवस पर सद्‌गुरु हिंदी साहित्‍य का एक परिचय-10

 

ईशा लहर

ज्ञान - ध्यान - आनंद

भारत के भीतर एवं विदेशों में बसे हिन्दी भाषी लोगों के विशेष आग्रह को देखते हुए ईशा फाउंडेशन एक विशिष्ट हिंदी मासिक पत्रिका ईशा लहर प्रकाशित कर रही है।

यह पत्रिका उन सभी लोगों के लिए उपयोगी है जो जिंदगी को संपूर्णता के साथ जीना चाहते हैं। यह पत्रिका जीवन के विभिन्न आयामों पर सद्‌गुरु (आधुनिक दिव्यदर्शी एवं योगी) के विशिष्ट ज्ञान को सुलभ कराती है। सद्‌गुरु का ज्ञान ग्रंथों एवं धर्म शास्त्रों से नहीं बल्कि गहन आंतरिक अनुभूति से प्रस्फुटित होने के कारण जीवन में अत्यंत प्रासंगिक है।

हमारी मैगज़ीन का अप्रैल अंक आप यहां से निःशुल्क डाउनलोड कर सकते हैं।

 

युगन युगन योगी

अस्तित्व की गुत्थियों को सुलझाने और सत्य की झलक पाने की कोशिश में मनुष्य हमेशा से यात्राएं करता रहा है। उसकी यात्रा की कहानियाँ युगों पुरानी हैं। कई बार ये यात्राएं कुछ सालों में पूरी हो जाती हैं, तो कई बार कोई यात्रा कई जन्मों तक चलती है। पढि़ए एक ऐसी ही अनोखी यात्रा की कहानी, एक ऐसे असाधारण मनुष्य की कहानी, जिसने सत्य की खोज में अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया। एक विद्रोही, जिसे समाज के नियमों का उल्लंघन करने के लिए मौत की सजा मिली। राह में आई चुनौतियां उसे डिगा नहीं सकीं। उसका संकल्प नहीं घुटा, उसके अरमान नहीं टूटे, उसकी दीवानगी नहीं उतरी। और तीन सौ साल बाद उसी इंसान ने एक ऐसी आध्यामत्मिक क्रांति पैदा की, जिसने विश्व को हिला दिया। इस इंसान को आज हम सद्‌गुरु के नाम से जानते हैं।

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विश्व पुस्तक दिवस पर सद्‌गुरु हिंदी साहित्‍य का एक परिचय-7

 

सुखी जीवन के तीन सत्य

अपनी पहली सेल्फ हेल्प पुस्तक द्वारा सद्‌गुरु हमें .शांति, आनंद और संतुष्टि पाने का रास्ता दिखाते हैं। निजी जीवन से लिए गए किस्सों और अनोखी शैली में पेश किए उदाहरणों के माध्यम से यह पुस्तक कई तरह के कारगर और व्यावहारिक उपाय तथा खुद से आजमाए जाने वाले अभ्यास प्रस्तुत करती है। यह पुस्तक हर उस व्यक्ति के पास होनी चाहिएए जिसने एक सम्पूर्ण मनुष्य बनने का संकल्प लिया है।

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विश्व पुस्तक दिवस पर सद्‌गुरु हिंदी साहित्‍य का एक परिचय-1

 

सुख और सेहत का स्वाद

योग परंपरा के अनुसार, भोजन जीवित होता है, और इसमें प्राण तत्व मौजूद होता है। खाने के बाद, भोजन के गुण हमारे शरीर और मन को प्रभावित करते हैं। इस पुस्तक में साधारण जूस और सलाद से लेकर सब्जी, अनाज और करी वाले संपूर्ण भोजन, और साथ ही मिठाइयों की रेसिपी शामिल हैं। इन सभी को ईशा योग केन्द्र की रसोई में पकाया जाता रहा है। सात्विक गुणों से भरपूर इन व्यंजनों का पिछले 20 सालों से ईशा योग केन्द्र के लाखों मेहमानों ने आनंद लिया है।

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विश्व पुस्तक दिवस पर सद्‌गुरु हिंदी साहित्‍य का एक परिचय-1 विश्व पुस्तक दिवस पर सद्‌गुरु हिंदी साहित्‍य का एक परिचय-1

शिव – परम विध्वंसक

जब हम शिव की बात ‘वह, जो नहीं है’ के रूप में करते हैं, या एक योगी के रूप में करते हैं, एक तरह से ये दोनों पर्यायवाची भी हैं, और एक दूसरे से अलग भी। चूंकि भारत एक द्वंदवादी संस्कृति है, इसलिए हम सहजता से इससे उस पर और उससे इस पर आ जाते हैं। एक पल में हम परम तत्व के रूप में शिव की चर्चा करते हैं, और अगले ही पल हम शिव की बात ऐसे व्यक्ति के रूप में करते हैं, जिसने हमें योग की यह सारी प्रक्रिया सिखाई।

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