Sadhguruआधुनिक विज्ञान ने कई उंचाइयों को छुआ है, लेकिन क्या इसने मनुष्य की खुशहाली को बढ़ाया है? ऐसा नहीं हो पाया है क्योंकि आधुनिक विज्ञान सिर्फ तकनीक का इस्तेमाल भर बन गया है...कैसे बना सकते हैं विज्ञान और तकनीक मनुष्य जीवन को खुशहाल?

विज्ञान अगर बच पाया है, तो उसकी वजह सिर्फ तकनीक यानी टेक्नोलॉजी है। अगर विज्ञान किसी तरह की तकनीक नहीं दे रहा होता, अगर वैज्ञानिक केवल तमाम सिद्धांतों के बारे में ही बात कर रहे होते, तो लोग उनकी पिटाई कर देते और उनसे उस पैसे का हिसाब मांगते जो वे विज्ञान के नाम पर खर्च कर रहे हैं। उपयोगिता के मामले में विज्ञान का अपना महत्व है, लेकिन विज्ञान इस सृष्टि को मानवीय अनुभव के लिए नहीं खोल सकता। विज्ञान ऐसा कभी कर ही नहीं सकता, क्योंकि वे लोग बुद्धि और तर्क के आधार पर चलते हैं। किसी भी चीज के बारे में जानने का बुद्धि का एक ही तरीका है- उसकी चीरफाड़ करके उसके अंदर देखना।

अफसोस की बात है कि विज्ञान की सोच यह हो गई है कि इस जगत में मौजूद हर चीज का अपने फायदे के लिए कैसे इस्तेमाल किया जाए। इसका उपयोग कैसे किया जाए।
अगर आप किसी वैज्ञानिक से किसी फूल के बारे में पूछें, तो वह फूल को कई टुकड़ों में तोड़ देगा। आप इसके टुकड़े कर के इसके अलग अलग हिस्सों के बारे में जान सकते हैं, आप इसकी संरचना को समझ सकते हैं, आप इसकी केमिस्ट्री को भी जान सकते हैं, लेकिन आप इसकी खूबसूरती को कभी नहीं जान पाएंगे। आप इसकी संपूर्णता को कभी नहीं जान पाएंगे। एक फूल उस पौधे की तृप्ति की अभिव्यक्ति है। फूल के रूप में जीवन का खिलना, किसी पौधे के जीवनकाल की सबसे बड़ी घटना होती है, यह उसके जीवन का खिलना है। अगर आप इस फूल को तोड़ देंगे तो आप उसकी रचना में ईश्वर के योगदान को कभी नहीं देख पाएंगे। लेकिन अगर आप उस पर ऐसे ही पूरा ध्यान देने के लिए तैयार हैं, अगर आप उसे अपने से भी ज्यादा महत्व देने को तैयार हैं तो आपको उसके भीतर पूरा जगत दिखाई देगा। अगर आप उसे तोड़ देंगे, तो आपके पास बस उस फूल के कुछ हिस्से होंगे। ऐसा करके आप कुछ भद्दे नतीजों तक पहुंच सकते हैं और यह जान सकते हैं कि उनका इस्तेमाल कैसे किया जाए।

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अफसोस की बात है कि विज्ञान की सोच यह हो गई है कि इस जगत में मौजूद हर चीज का अपने फायदे के लिए कैसे इस्तेमाल किया जाए। इसका उपयोग कैसे किया जाए, इस सोच के बगैर हम किसी चीज को देखते ही नहीं। जीने का यह बड़ा भद्दा तरीका है। इस जगत के प्रति इस सोच के साथ रहेंगे, तो आपके पास सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं होगा।

विज्ञान का मकसद होना चाहिए था बस जानना, जानने की इच्छा रखना, खोज करना, न कि इस रचना का दोहन करना। लेकिन अगर कारोबारी लोग इसमें धन लगाते हैं, तो वे इससे कुछ लाभ भी चाहते हैं।

कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनके पास सब कुछ होता है, लेकिन वे जीवन को सार्थक ढंग से अनुभव नहीं कर पाते। ऐसे लोगों के सामने जब मौत का पल आता है, तो उन्हें लगता है कि उन्होंने पूरा जीवन गुजार दिया और एक पल को भी जी नहीं पाए।

अगर विज्ञान किसी तरह की तकनीक नहीं दे रहा होता, अगर वैज्ञानिक केवल तमाम सिद्धांतों के बारे में ही बात कर रहे होते, तो लोग उनकी पिटाई कर देते और उनसे उस पैसे का हिसाब मांगते जो वे विज्ञान के नाम पर खर्च कर रहे हैं।
“मुझे क्या मिल सकता है”, यह विचार जीने का सही तरीका नहीं है। आपको “जो मिलेगा”, उससे आप केवल जीविका चला सकते हैं, लेकिन आप “जो देते हैं” उससे आपका जीवन बनता है। देने का अर्थ पैसा या कोई और चीज देने से नहीं है। मान लें आप इस पेड़ को देख रहे हैं। इसे देखने में आप खुद को जितना ज्यादा झोंक देंगे, खुद को जितना ज्यादा समर्पित कर देंगे, उतना ही ज्यादा गहराई से आप जीवन को जान पाएंगे। अगर आप पेड़ को इस नजरिये से देखेंगे कि आप उससे क्या हासिल कर सकते हैं, तो जीवन आपको नष्ट कर देगा।

जो विज्ञान आपको जीवन से वंचित करे, उस पर रोक लगा देनी चाहिए। जिस विज्ञान के पीछे सिर्फ  यही मकसद हो कि मैं क्या हासिल कर सकता हूं, उसे नियंत्रित किए जाने की जरूरत है। आज हमारी धरती बरबाद हो रही है सिर्फ  इसलिए, क्योंकि हम तकनीक का बेलगाम इस्तेमाल कर रहे हैं। तकनीक का उपयोग हमारी संपूर्ण भलाई के लिए किया जा सकता था, लेकिन यह हमारे खिलाफ काम कर रही है, क्योंकि हमने जीवन के दूसरे पहलुओं पर काम ही नहीं किया है। हम बस यह सोचते हैं कि मुझे क्या मिलेगा। अगर आप इसी सोच के साथ आगे बढ़ते रहे तो कुछ समय बाद न यह धरती बचेगी न आप बचेंगे।

विज्ञान का लक्ष्य होना चाहिए था बस जानना, जानने की इच्छा रखना, खोज करना, न कि इस रचना का दोहन करना। लेकिन अगर कारोबारी लोग इसमें धन लगाते हैं, तो वे इससे कुछ लाभ भी चाहते हैं। अगर देश इसमें धन लगाता है, तो वह देखता है कि इससे शक्तिशाली हथियार कैसे बनाए जाएं। आधुनिक विज्ञान हमेशा पहले आधुनिकतम मिलिट्री टेक्नोलॉजी बनाता है। उसके बाद ही दूसरी चीजों का नंबर आता है। इसने न जाने कितनी जानें ली हैं। अब हम और कितनी जिंदगियां लेना चाहते हैं?

तो गॉड पार्टिकल के बारे में एक अच्छी बात यह है कि पूरी दुनिया पार्टिकल फिजिक्स के बारे में सोच रही है। आपको पता है कि बोसॉन नाम जाने माने भारतीय गणितज्ञ और वैज्ञानिक सत्येंद्रनाथ बोस के नाम पर रखा गया है। गणित का बुनियादी ज्ञान पूर्व ने दिया, लेकिन प्रकृति का शोषण न करना हमेशा से हमारी संस्कृति का स्वभाव रहा है, क्योंकि प्रकृति को हमेशा मां के रूप में देखा गया है। आप इस प्रकृति मां का बलात्कार नहीं कर सकते। आप बस उतना लेते हैं, जितनी आपको जरूरत है। इस सोच के चलते ही यहां विज्ञान को तकनीक में परिवर्तित नहीं किया जा सका और यह विज्ञान के इस्तेमाल का सबसे विवेकपूर्ण तरीका है। विज्ञान को बस जिज्ञासा शांत करने के एक जरिये के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए, उससे ज्यादा कुछ नहीं। तकनीक के अनियंत्रित इस्तेमाल पर रोक लगाई जानी चाहिए, नहीं तो यह हमारे लिए अभिशाप बन जाएगा।