वैराग्य - राग व रंगों से परे
हमारे रंगों से जुड़ी ब्लॉग श्रृंखला में आपने अब तक अलग-अलग रंगों के बारे में पढ़ा, लेकिन प्रकाश का एक आयाम ऐसा है जिसका कोई रंग नहीं होता, आप उसके आर-पार देख सकते हैं...क्या हैं इस आयाम की विशेषताएं?
हमारे रंगों से जुड़ी ब्लॉग श्रृंखला में आपने अब तक अलग-अलग रंगों के बारे में पढ़ा, लेकिन प्रकाश का एक आयाम ऐसा है जिसका कोई रंग नहीं होता, आप उसके आर-पार देख सकते हैं...क्या हैं इस आयाम की विशेषताएं?
राग का अर्थ है रंग। रंग से जो परे है, वह रंगहीन नहीं है, वह पारदर्शी है। श्वेत प्रकाश पारदर्शी होता है, लेकिन इसमें बहुत सारे रंग होते हैं। इसीलिए प्रकाश इतना मूल्यवान होता है। यही वजह है कि आंतरिक पहलुओं की व्याख्या भी प्रकाश के रूप में की जाती है, क्योंकि यह राग का स्रोत है। यह सृष्टि की हर उस चीज का स्रोत है, जो रंगीन है। रंग एक भ्रम है जो सूर्य के प्रकाश के कारण आपको हो रहा है।
अगर आप वैराग्य की अवस्था में हैं, केवल तब ही आप जीवन के तमाम पहलुओं की खोज कर सकते हैं।
अगर कोई भी रंग आप पर चढ़ गया, मान लीजिए लाल रंग आप पर चढ़ गया तो हरे की ओर जाने में आपकी ओर से प्रतिरोध होगा। अगर आप पर हरा रंग चढ़ गया तो आपको नीले की ओर जाने में परेशानी होगी। अगर कोई भी चीज आपके ऊपर चढ़ गई तो दूसरी चीज की ओर जाने में आप कतराएंगे, क्योंकि आपके भीतर एक पूर्वाग्रह पैदा हो गया है जो आपको बताता है कि यह सही है, वह गलत है, यह ठीक है, वह ठीक नहीं है। इससे जीवन का प्रवाह धीमा पड़ जाता है। इसीलिए अध्यात्म में वैराग्य पर इतना जोर दिया जाता है।
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