सद्‌गुरुसद्‌गुरु हमें बता रहे हैं कि भारत में वो क्षमता है कि आने वाले पच्चीस सालों में हम पूरी दुनिया को प्यार से जीत कर अपना बना सकता है। वे इतिहास का उदाहरण देकर हमें अपने इस गुण के बारे में समझा रहे हैं।

1300 भाषाएँ और बोलियों वाला एक देश

हम भले ही महज सड़सठ साल पहले गणतंत्र बने हों, लेकिन हम हजारों सालों से सांस्कृतिक स्तर पर एक राष्ट्र रहे हैं।

हमने कभी भी ऐसी शक्ति बनने की कोशिश नहीं की, जो पूरी दुनिया पर अपना शासन कर सके। ऐसा कोई इतिहास नहीं मिलता कि भारत ने किसी और की जमीन पर जाकर अपना कब्जा जमाया  हो।
किसी भी पैमाने पर देखा जाए तो हम इस धरती के सबसे पुराने राष्ट्र हैं। दुनिया का हर देश समान भाषा या जाति या धर्म के आधार पर बना है। लेकिन यह एक ऐसा देश है, जो विविधता को इस हद तक बढ़ावा देता है कि यहां 1300 भाषाएं व बोलियां हैं, जिनमें लगभग तीस तो ऐसी भाषाएं हैं, जिनमें भरपूर साहित्य उपलब्ध है। शायद हमारा देश ही धरती का इकलौता ऐसा देश होगा, जहां सबसे ज्यादा कला व शिल्प पाए जाते हैं।

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हमारे देश में दुनिया के हर धर्म के लिए एक जगह है और इतना ही नहीं, यहां कई धर्म तो ऐसे हैं, जो दुनिया में कहीं और देखे-सुने भी नहीं जाते। पूजा-पाठ के तरीकों में विविधता है, अपने आत्मिक कल्याण और परम कल्याण की तरफ बढ़ने के रास्ते अलग-अलग तरह के हैं। हमने कभी भी ऐसी शक्ति बनने की कोशिश नहीं की, जो पूरी दुनिया पर अपना शासन कर सके। ऐसा कोई इतिहास नहीं मिलता कि भारत ने किसी और की जमीन पर जाकर अपना कब्जा जमाया  हो।

तलवार या बन्दूक से नहीं, अपनी संस्कृति से

हम लोग दूसरे देशों में किसी और के पहुंचने से पहले पहुंचे, लेकिन जब हम वहां गए तो अपने साथ अपनी कला लेकर गए, अपना संगीत लेकर गए, अपनी नृत्य कला लेकर गए, अपने मंदिर लेकर गए, लेकिन कभी हम उन्हें जीतने के लिए अपने साथ तलवार व बंदूक नहीं लेकर गए।

हालांकि पिछली एक सदी में इन देशों की ज्यादातर आबादी मुस्लिम धर्म में परिवर्तित हो चुकी है, इसके बावजूद आज भी वहां रामायण व महाभारत का मंचन हो रहा है, क्योंकि हमने सांस्कृतिक तौर पर उनके दिल व दिमाग पर अपना जो प्रभाव बनाया था, वह अब भी है। 
यही इस धरती की खासियत व अनूठापन है। अगर आप आज कंबोडिया, वियतनाम, इंडोनेशिया व थाइलैंड जैसे देशों में जाएं तो वहां आपको लोग भरतनाट्यम करते मिल जाएंगे, ये अलग बात है कि उसे वे अपने तरीके से करते हैं। हमारे संगीत को अपना रूप देकर गाते-बजाते लोग वहां आपको मिल जाएंगे। हालांकि पिछली एक सदी में इन देशों की ज्यादातर आबादी मुस्लिम धर्म में परिवर्तित हो चुकी है, इसके बावजूद आज भी वहां रामायण व महाभारत का मंचन हो रहा है, क्योंकि हमने सांस्कृतिक तौर पर उनके दिल व दिमाग पर अपना जो प्रभाव बनाया था, वह अभी भी है। हम एक बार फिर पूरी दुनिया पर छा जाना चाहते हैं, लेकिन युद्ध जीतकर नहीं, बल्कि दिल जीतकर। आप दुनिया में ऐसे काम करें कि कोई भी व्यक्ति आपको अनदेखा नहीं कर पाए।

वे हर हाल में हमारे हो जाएंगे

तो दुनिया जीतने का यह एक दूसरा तरीका है। यह तरीका कुछ लेने का नहीं है, बल्कि देने का है, क्योंकि जो लेगा, वह अच्छे से खाएगा और जाहिर सी बात है कि फिर मोटा हो जाएगा।  

 हम उन पर अपना राज कायम नहीं करेंगे, फिर भी वे हर हाल में हमारे होंगे। आप किसी को या तो युद्ध में जीतकर अपना बना सकते हैं या फिर अपने गले लगाकर, उसे अपना बना सकते हैं।
 जो व्यक्ति देता है, उसका जीवन समृद्ध होगा, क्योंकि तब उसे नींद अच्छी आएगी। उसके भीतर कहीं कोई संघर्ष नहीं होगा। दरअसल देने वाले के मन में हिसाब-किताब का कोई तनाव नहीं होता। देने का एक अपना आनंद होता है। तो यह संस्कृति ऐसी है, जिसने इस पहलू में निवेश किया है।

कई सौ सालों की गुलामी के बाद इस देश को आजाद हुए सत्तर साल हुए हैं। आने वाले पच्चीस सालों में एक बार फिर से हम इस संस्कृति को धरती की एक स्पंदित संस्कृति बना सकते हैं, जो दुनिया के हर इंसान की जिदंगी को खुशहाल बनाए, बिना यह जाने कि वह कौन है। अगर हम चीजों को सही तरीके से करें, अगर उन्हें समत्व, आत्मविश्वास व उत्साह के साथ करें तो यह दुनिया अपने आप रूपांतरित होगी। हम उन पर अपना राज कायम नहीं करेंगे, फिर भी वे हर हाल में हमारे होंगे। आप किसी को या तो युद्ध में जीतकर अपना बना सकते हैं या फिर अपने गले लगाकर, उसे अपना बना सकते हैं।