आदित्य: सद्‌गुरु, मैं नियमित तौर पर योग और ध्यान का अभ्यास कर रहा हूं, फिर भी मुझे खुद को कंट्रोल करने में बहुत दिक्कत होती है, खासकर अपने ऑफिस में जब कोई चीज गलत होती है। मैं जानता हूं कि किसी भी संस्थान के लिए लोग बेहद जरूरी होते हैं और उनके बिना आप आगे नहीं बढ़ सकते। फिर भी मैं फट पड़ता हूं। बताइए कि मैं क्या करूं? परिस्थिति को समस्या का नाम देना छोड़ दें

सद्‌गुरु: कुछ समय पहले मैं श्री जी एम राव की तरफ इशारा करके इसी चीज का जिक्र कर रहा था। उनके सामने जो भी स्थिति आती है, वह उसे किसी समस्या या परेशानी के रूप में नहीं देखते और मैं भी यही करता हूं। सिर्फ परिस्थितियां होती हैं। क्योंकि आपको मालूम नहीं होता कि आप उनसे कैसे निबटें, इसलिए आप उन्हें समस्या, विपरीत हालात या जो भी नाम आप देना चाहें, वो नाम दे देते हैं। बुनियादी रूप से आपके सामने आने वाली कोई भी चीज एक परिस्थिति ही होती है। हो सकता है कि आपके लिए जो परिस्थिति एक बहुत बड़ी समस्या हो, वह किसी दूसरे के लिए कोई समस्या ही न हो और वह आसानी से उस हालात से गुज़र जाए।

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बुनियादी रूप से आपके सामने आने वाली कोई भी चीज एक परिस्थिति ही होती है।

अगर आप एक उद्यमी हैं और आपने एक बिजनेस को खड़ा करने की जिम्मेदारी ली है तो मैं नहीं चाहता कि आप बिजनेस को पैसा कमाने की मशीन के तौर पर देखें। इससे पैसा आएगा, लेकिन एक उद्यम, समाज का निर्माण करता है, एक राष्ट्र का निर्माण करता है, और कई तरह से यह दुनिया का भी निर्माण कर सकता है। किसी की प्रतिभा और क्षमता उद्यम(एंटरप्राइज) के रूप में प्रकट होती हैं। उद्यम जरूरी नहीं है कि कोई बिजनेस ही हो। कई और तरह के उद्यम(एंटरप्राइज) भी हो सकते हैं। मैं भी एक उद्यमी हूं, मैं बिजनेस नहीं करता हूं, लेकिन एक दूसरे तरीके से हम भी उद्यम कर रहे हैं।

पैसा बस एक परिणाम है

तो उद्यमी का मतलब है कि आप लगातार तरक्की की उम्मीद कर रहे हैं। इसमें आपके आसपास जो भी समस्या है, चाहे वो आपसे जुड़ी हो या किसी और से, आप उसका समाधान तलाशते हैं। आप इसमें भेद नहीं करते कि कौन सी समस्या आपकी है और कौन सी दूसरे की। जब आप देखते हैं कि कोई व्यक्ति अपने ऑफिस पहुंचने में किसी समस्या से जूझ रहा है, अगर कोई व्यक्ति अपनी सेहत को लेकर परेशान है, तो आप सोचने लगते हैं, ‘अगर मैं इसकी समस्या का कोई हल निकाल सकूं तो एक अच्छा बिजनेस शुरु हो सकता है।’ तो उद्यम को आप दुनिया और लोगों के जीवन से जुड़ी समस्याओं के समाधान के एक जरिए के तौर पर देखिए, न कि पैसा कमाने के एक साधन के तौर पर। पैसा लक्ष्य न होकर एक नतीजा है। जब आप कोई शानदार चीज करते हैं तो उसका परिणाम पैसे के रूप में सामने आता है।

बिज़नेस को संभालने का सही तरीका

जहां तक आपने ऑफिस में लोगों पर अपने फट पड़ने की बात है, तो आपको लगता है कि ये लोग आपके बिजनेस के लिए जरूरी हैं। इस तरह से काम नहीं चलेगा। मुझे लगता है कि श्री राव ने बहुत अच्छी बात कही है कि आप अपने बिजनेस को उसी तरह से संभालें, जैसे आप अपने परिवार को संभालते हैं। अगर आप अपने आसपास के लोगों के प्रति चिंतित नहीं होंगे, आप उन्हें सिर्फ एक संसाधन के तौर पर देखेंगे तो उन्हें निचोड़ने की कोशिश करेंगे। कोई भी इंसान खुद का निचोड़ा जाना पंसद नहीं करता। यकीन मानिए दुनिया में कोई भी व्यक्ति अपना शोषण नहीं करवाना चाहता। अगर आप उनका शोषण करेंगे तो वे कहीं कुछ और करेंगे।

मुझे लगता है कि श्री राव ने बहुत अच्छी बात कही है कि आप अपने बिजनेस को उसी तरह से संभालें, जैसे आप अपने परिवार को संभालते हैं।

मैं आपको एक किस्सा सुनाना चाहूंगा। एक बार हम माइक्रोसॉफ्ट के टॉप पच्चीस लोगों के साथ दो दिन का एक कार्यक्रम कर रहे थे, जिसमें मेरे आसपास नौ स्वयंसेवी भी थे। इन लोगों का रुख देखने लायक था, जो हर वक्त काम करने के लिए तैयार रहते थे। जब माइकोसॉफ्ट वालों ने यह देखा तो उन लोगों ने मुझसे पूछा, ‘आपको ऐसे लोग कहां से मिलते हैं?’ मैंने उनसे कहा, ‘ये मिलते नहीं हैं, इन्हें बनाना पड़ता है।’ फिर उनका सवाल था, ‘इस तरह के लोगों को कैसे बनाया जा सकता है?’ मैंने कहा, ‘उन्हें ऐसा बनाने के लिए जरुरी है कि उन्हें आपसे प्यार हो।’ ‘उन्हें हमसे प्यार कैसे होगा?’ मैंने कहा, ‘सबसे पहले आपको उनसे प्रेम करना होगा।’ उनका जवाब था, ‘हमें इसके लिए पैसा नहीं मिलता।’

भरोसेमंद रिश्ते बनाने के जरुरत है

इसके लिए कोई आपको पैसा दे, यह जरूरी नहीं है। बात सिर्फ इतनी है कि अगर आप अपने आसपास की हर चीज से प्रेम करने लगते हैं तो आपका जीवन खूबसूरत, तनाव रहित हो जाता है और तब लोग स्वाभाविक तौर पर आपसे प्यार करने लगते हैं। एक बार जब लोग आपसे प्यार करने लगते हैं तो फिर वे आपके लिए सबसे अच्छा करने लगेंगे। लोग आपके लिए जान देने के लिए तैयार रहेंगे। सिर्फ तभी आप एक भरोसेमंद रिश्ता बनाएंगे, और एक भरोसेमंद रिश्ते के बिना आप कुछ भी विकसित नहीं कर सकते। अगर आप किसी तरह से बिना भरोसे के कुछ बड़ा बना भी लेते हैं या विकास करने में सफल होते हैं तो यह सारा कुछ बेहद तनावपूर्ण होगा, क्योंकि उसमें आपको पता नहीं रहता कि यह सबकुछ कब धराशाई होकर आपके सिर पर गिर जाएगा।