नदियों में जान फूंकने के लिए नदी-नीति बनाने की सिफारिश
एक माह लंबी रैली फॉर रिवर के समापन के अवसर पर, 3 अक्टूबर 2017 को, सरकार को ‘रिवाइटलाइजेशन ऑफ़ रिवर्स इन इंडिया ड्राफ्ट पॉलिसी’ या नदी पुनरोद्धार नीति सिफारिश दस्तावेज भेंट की गई। क्या आप जानना चाहते हैं कि यह बहुआयामी पहल, भारत की नदियों के लिए कैसे सहायक होगी? पढ़ते हैं इस पुस्तक की रूपरेखा और इसकी विषय-वस्तु के बारे में
इस देश में, नदियों के साथ हमारे संबंध को पीढ़ियों से अपने अस्तित्व के साथ संजोया जाता रहा, जिसने हमारी संस्कृति को ऐसा रूप दिया, जिसमें हम नदियों को जीवंत इकाई मानते हैं। हालांकि नदियों के प्रति इस पारंपरिक आदर भाव को बुरे दिन देखने पड़ रहे हैं। आज हम नदियों के किनारे अनुष्ठान तो करते हैं पर उसके साथ ही गंदा मल जल भी नदी में ही डाल देते हैं। हमारे ये काम दिखाते हैं कि हम यह भूल गए, हमारे पूर्वजों का नदियों से कैसा गहरा नाता था।
Subscribe
हमारे देश की नदियाँ दम तोड़ रही हैं। सभी नदियाँ खाली होने के खतरनाक स्तर तक आ गई हैं। आने वाले पंद्रह-बीस सालों में हमारी ज्यादातर बारहमासी नदियाँ मौसमी नदियों में बदलने वाली हैं। अगर हम अब भी नहीं संभले तो एक देश के तौर पर हमें भीषण समस्या का सामना करना होगा - हमारे पास एक सौ तीस करोड़ लोगों के लिए जल नहीं होगा।
20-25 साल तक समाधान पर काम करना होगा
अगर हम चाहते हैं कि हमारी नदियाँ एक बार फिर से अपनी पूरी शान के साथ प्रवाहित हों, तो हमें यह समझना होगा कि हमारी नदियों के दम तोड़ने की क्या वजह है और इनका हल क्या हो सकता है। हमारी नदियों को जंगल से पोषण मिलता है, नदियों को जीवित करना है तो जंगलों की देखरेख करनी होगी। रैली फॉर रिवर अभियान की पहल सद्गुरु द्वारा की गई, वे नदियों के बारे में, हमारे देश में जन-जागरूकता लाना चाहते हैं ताकि कुछ ठोस कदम उठाए जा सकें। यह सब हमारी मिली-जुली पहल से ही हो सकता है - इससे कोई अंतर नहीं पड़ता कि हमारी पृष्ठभूमि क्या है। हमें अगले 20-25 सालों तक इस समाधान पर काम करना होगा। अगर अभी से कदम नहीं उठाया, तो भविष्य में नदियों को जीवित करने का यह काम और भी मुश्किल होगा। राजनीतिक नेतृत्व में भी, इसी आपातकाल को महसूस किया गया है और पहली बार, सोलह राज्यों के मुख्यमंत्री तथा अन्य राजनीतिक दल मिल कर एक हुए हैं - हमारी नदियों को बचाने के लिए आगे आए हैं।
सभी विशेषज्ञ पेड़ लगाने पर सहमत हैं
बुनियादी हल यही है कि नदी के पूरे रास्ते में, दोनों ओर वृक्षारोपण किया जाना चाहिए। नदी के दोनों ओर के इलाके को जंगलों में बदल दें जिसमें देसी प्रजातियों के वृक्ष लगे हों। जहाँ खेती की भूमि हो, वहाँ नदी के दोनों ओर, कम से कम 1 कि.मी. के क्षेत्र में, वृक्षों पर आधारित कृषि व्यवस्था को अपनाया जाए। इस समाधान को तकनीकी तौर पर लागू करने की हामी भरने के लिए हमारे विशेषज्ञ कई क्षेत्रों से आगे आए हैं - नीति-निर्धारक, हाइड्रोजीओलॉजी, फॉरेस्ट्री, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, मृदा विज्ञान या मिट्टी विज्ञान, हार्टीकल्चर, माइक्रो-इरीगेशन, वेट्रीनरी साइंस, कृषक उपज संगठन, कृषि-व्यापार, कृषि-वाणिज्य, उच्च स्तरीय नौकरशाह, परियोजना वित्त, सामाजिक व्यवहार, कृषक यूनियन नेतृत्व, स्वास्थ्य व पोषण तथा भोजन सुरक्षा व मापदंड अथॉरिटी। उन्होंने समाधानों के सारे विवरणों पर अपनी फीडबैक दी - हमने अपने समाधानों को उसके अनुसार ही समायोजित किया - सभी इस बात से सहमत थे कि वृक्षारोपण का यह उपाय व्यावहारिक, उचित और प्रभावी हल है।
नदी पुनरोद्धार पुस्तक के चार अध्याय
इस हल को लागू करने के लिए इसमें इन पहलों को शामिल किया गया है: लोगों को समस्या से अवगत कराना; राष्ट्रीय और राजकीय स्तर पर ऐसी नीतियों का निर्माण, जो नदियों को नवजीवन प्रदान करने से जुड़ी हों; इन नीतियों को कार्यरूप प्रदान करना। यह किताब आपको सिखाती है कि आप नदियों को नया जीवन कैसे दे सकते हैं - ये उपाय तकनीकी और व्यावहारिक हैं जो कुछ निश्चित बुनियादी नियमों पर आधारित हैं और इन्हें लागू करने के लिए एक विस्तृत ढाँचा भी प्रदान करते हैं।
किताब को चार अध्यायों में विभाजित किया गया है और इसके साथ ही परिशिष्ट में अनेक विशेषज्ञों के पत्र और सहयोगी दस्तावेज शामिल किए गए हैं। यह सामग्री, हमारे वृक्षारोपण के अनुभवों, किसानों की आजीविका की बिगड़ी हुई दशा को सुधारने के अनुभव तथा विशेषज्ञों के सहयोग से तैयार की गई है, जिसमें से कुछ को परिशिष्ट में भी लिया गया है। किताब का पहला अध्याय: समस्या को परिभाषित करना और इसके मूल कारण; दूसरा अध्याय: समाधान की तकनीकी शक्ति और सटीकता का आकलन; तीसरा अध्याय: सरकारी और निजी ज़मीनों के लिए वृक्षारोपण की तकनीक व आर्थिक आधार पर विस्तृत योजना और हल को अपनाने से जुड़े नीति सहयोग तंत्र का आकलन; अध्याय चार: तकनीकी-आर्थिक हल को लागू करने तथा प्रदूषण और गलत इस्तेमाल के नियंत्रण से जुड़ा कानूनी ढांचा।
संपादक की ओर से: यह सामग्री ‘रिवाइटलाइजेशन ऑफ़ रिवर्स इन इंडिया ड्राफ्ट पॉलिसी’ की सिफारिश से ली गई है। इस पुस्तक को आप यहाँ से डाउनलोड कर सकते हैं।