सांप जिन्हें हम खतरनाक समझते हैं, प्राणहारक समझते हैं, उनकी हम पूजा भी करते हैं। आखिर यह विरोधाभास क्यों ?

सद्‌गुरु बताते हैं कि सांपों का आध्यात्मिकता से बहुत गहरा संबंध रहा है। इसका एक सहज सा कारण यह है कि उनमें उन आयामों को भी समझने की क्षमता होती है जो दूसरे प्राणी नहीं समझ पाते। मजे की बात यह कि उनके कान नहीं होते, लेकिन चूंकि उनका पूरा शरीर धरती के सीधे संपर्क में होता है इसलिए उनमें महसूस करने की अद्भुत क्षमता होती है। इसीलिए उन्हें शिव ने भी अपने गले में स्थान दिया है।

सांपों की इस क्षमता को हमारी संस्कृति में बहुत पहले समझा गया और उन्हें पूरा सम्मान दिया गया। उसी सम्मान को व्यक्त करने का एक तरीका है- यह नागपूजा। इस नाग पंचमी पर आपके लिए प्रस्तुत है नाग स्त्रोतम :

 

 

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