विवाह के मौके पर मंगल सूत्र बांधने का मतलब है, दो प्राणियों को शारीरिक व भावनाओं के स्तर पर ही नहीं, बल्कि ऊर्जा के स्तर पर एक कर देना। इस तरह विवाह एक जन्म का रिश्ता ना होकर जन्म-जन्मांतर का अमर प्रेम सूत्र बन जाता है और इसके बाद जीवन साथी एक-दूसरे का वियोग तक बर्दाश्त नहीं कर पाते।

हमारे देश में शादी के पीछे एक पूरा विज्ञान छिपा था। जब दो लोगों को शादी के बंधन में बांधने की बात आती थी, तो वहां सिर्फ दो परिवारों या दो शरीरों के आपसी मेल को ही नहीं देखा जाता था, बल्कि इसमें दो लोगों के भीतर की गहन ऊर्जा के मिलन की संभावना को भी देखा जाता था। और उसके बाद ही विवाह तय होता था। शादी करने जा रहे दो व्यक्ति अक्सर इस मौके से पहले एक-दूसरे को देखते तक नहीं थे। हालांकि तब यह चीज खास मायने नहीं रखती थी, क्योंकि अकसर ये फैसला ऐसे लोगों द्वारा किया जाता था, जो इस बारे में वर या वधु से बेहतर जानते थे।

इसे तैयार करने के लिए कच्चे कपास की कुछ लड़िया या सूत्र लेकर उनको सिंदूर और हल्दी में भिगोया जाता है और मंत्रों के उच्चारण के साथ इसमें एक खास तरीके से ऊर्जा पिरोई जाती है। इस तरह मंगल सूत्र तैयार करने के पीछे आशय था कि एक बार बंधने के बाद यह जोड़े को एक नहीं, बल्कि कई जन्मों के बंधन में बांध देता है।

जब दो लोग साथ बंधते थे, तो एक मंगल सूत्र तैयार होता था। मंगल सूत्र एक पवित्र धागा है। इस धागे को तैयार करने के पीछे भी एक विस्तृत विज्ञान है। इसे तैयार करने के लिए कच्चे कपास की कुछ लड़ियां या सूत्र लेकर उनको सिंदूर और हल्दी में भिगोया जाता है और मंत्रों के उच्चारण के साथ इसमें एक खास तरीके से ऊर्जा पिरोई जाती है। इस तरह मंगल सूत्र तैयार करने के पीछे आशय था कि एक बार बंधने के बाद यह जोड़े को एक नहीं, बल्कि कई जन्मों के बंधन में बांध देता है। कई बार देखने में आया है कि एक ही जोड़ा कई जन्मों तक साथ रहा है।

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दरअसल, बार-बार जानबूझकर एक दूसरे को चुनने के पीछे वजह होती है कि जिस विवाह सूत्र से वे बांधे गए थे, उसमें वे दोनों सिर्फ शारीरिक या भावनात्मक तौर पर ही नहीं साथ जुड़े, बल्कि इस बंधन में उनकी नाडिय़ां भी आपस में बंध गईं। गौरतलब है कि नाड़ी वह माध्यम है, जिसके जरिए मानव शरीर में प्राण प्रवाहित होता है। दरअसल, आप शरीर, मन या भावनाओं के स्तर पर जो भी करते हैं, वह मृत्यु के साथ ही खत्म हो जाता है, लेकिन ऊर्जा के स्तर पर किया गया कार्य जन्म-जन्मांतर तक साथ रहता है। ऐसे संबंधों पर पुनर्विचार की जरूरत इसलिए नहीं होती थी, क्योंकि हमारी समझ से परे, कहीं गहराई में, उन लोगों के जरिए यह नाता जोड़ा जाता था, जो जानते थे कि वे कर क्या रहे हैं। हालांकि यह प्रक्रिया आज भी की जाती है, लेकिन आज लोग नहीं जानते हैं कि उन्हें क्या करना है। उनके द्वारा की जा रही यह प्रक्रिया अब मायने नहीं रखती, क्योंकि इसके पीछे छिपा विज्ञान कहीं लुप्त हो चुका है।

आज के समय में जब लोग प्रेम के बारे में बात करते हैं तो उनका आशय सिर्फ इसके भावनात्मक पहलू से होता है। लेकिन भावनाएं कभी स्थिर नहीं होतीं। ये आज एक बात कहती हैं, तो कल दूसरी। आज हम एक ऐसे समाज या संस्कृति में रह रहे हैं, जहां एक ही साथी या व्यक्ति के साथ पूरी जिंदगी बिताना जरूरी नहीं रह गया है। अब चीजें काफी बदल गई हैं, जिसमें जीवनसाथी के साथ समय गुजारने की भी अब एक समय-सीमा होने लगी है। जब आप एक रिश्ते की शुरुआत करते हैं, तब लगता है कि यह पूरी उम्र निभेगा। लेकिन तीन महीने में ही आपको उस साथी से ऊब महसूस होने लगती है और आप सोचने लगते हैं कि मैं इस व्यक्ति के साथ क्यों और क्या कर रहा हूं। आखिर ये रिश्ते अब पसंद और नापसंद के अनुसार चलते हैं। यानी आपको क्या पसंद है और क्या नहीं पसंद है। ऐसे रिश्ते में आपको कभी स्थिरता नहीं मिलती और आप हमेशा दुखी रहते हैं। और जब ऐसा अस्थिर व कभी हां और कभी ना वाला रिश्ता टूटता है, तो यह बेहद तकलीफ व दर्द देकर जाता है।

राजस्थान में एक राजा हुआ करते थे, विक्रमादित्य। उनकी युवा रानी न सिर्फ उनसे बेहद प्रेम करती थी, बल्कि पूरी तरह से उनके प्रति समर्पित भी थी। चूंकि उस समय के राजाओं में बहुत सी उप पत्नियां रखने का चलन होता था, इसलिए राजा को अपनी पत्नी का हरदम उनके बारे में सोचते रहने का ख्याल काफी बेवकूफी भरा लगता था। हालांकि दूसरी ओर रानी का उन पर इतना ध्यान देना उन्हें अच्छा लगता था और उन्हें रानी के इस प्रेम पर हैरानी भी होती थी। बहरहाल, रानी पर राजा के इस व्यवहार का कोई असर नहीं होता था और वह हमेशा उनके साथ समान भाव से पेश आती थी।

राजा-रानी के पास मैना का एक जोड़ा था। एक दिन अचानक उनमें से एक मैना की मृत्यु हो गई और दूसरा पक्षी बिना कुछ खाए वहीं उसके पास बैठा रहा। राजा ने पूरी कोशिश की कि दूसरा पक्षी कुछ खा या पी ले, लेकिन वह सफल नहीं हुए। दो दिन के भीतर दूसरा पक्षी भी मर गया। यह बात राजा के दिल को छू गई, क्योंकि सभी अपनी जान की परवाह पहले करते हैं और अपने साथी के वियोग में अपनी जान कुर्बान करने वाले कम ही होते हैं। जब राजा ने इस बारे में रानी को बताया, तो उसे कतई हैरानी नहीं हुई। उसने राजा को कहा कि जब कोई किसी से सही मायनों में प्रेम करता है, तो साथी के जाने के बाद उसे अपनी जिंदगी का कोई अर्थ नहीं लगता। इसलिए जुदाई के गम में वह भी जीवित नहीं रह पाता। यह सुनकर राजा ने मजाक में रानी से पूछ लिया कि क्या वह भी उनसे इतना ही प्यार करती है। रानी ने जवाब दिया- हां! यह सुनकर राजा बहुत प्रभावित हुए।

इसके बाद इनके मन में ये विचार नहीं आते कि क्या उस व्यक्ति को मेरी पत्नी या मेरा पति होना चाहिए या नहीं। यानी उस व्यक्ति के विकल्प का कोई सवाल ही खड़ा नहीं होता। इसके बाद यह रिश्ता अनवरत चलता रहता है और मौत भी इसे रोक या तोड़ नहीं पाती।
इसके कुछ दिनों बाद एक दिन राजा अपने साथियों के साथ शिकार खेलने जंगल गए, तो अचानक उनके दिमाग में मैना के जोड़े की मौत की घटना और रानी के कहे शब्द घूम गए। तब उन्होंने रानी की परीक्षा लेने की सोची। राजा ने अपने कपड़े उतारे और उन्हें खून से सनवाकर रानी के पास भिजवा दिया और साथ ही महल में यह घोषणा करवा दी कि राजा को शेर ने मार दिया है। जब रानी को यह पता लगा, तो उसने बिना एक भी आंसू बहाए पूरे सम्मान के साथ राजा के कपडों को लिया। इसके बाद उसने एक चिता तैयार कराई, राजा के कपड़ों को उस पर रखा और फिर खुद भी उसमें कूदकर भस्म हो गई। लोग जब तक इस पर विश्वास कर पाते, तब तक रानी मर चुकी थी और अब कुछ किया भी नहीं जा सकता था। इसलिए उसका दाह-संस्कार कर दिया गया। जब राजा के पास यह खबर पहुंची, तो वह हैरान रह गया। कहां अपनी सनक में आकर उन्होंने एक मजाक करने की कोशिश की थी और कहां रानी ने उनकी मौत की बात को सच मान अपनी जान गंवा दी।

जो लोग वाकई ऐसा प्यार करते हैं, उसकी वजह है कि वे अपने साथी से कहीं न कहीं आपस में गहराई से जुड़े होते हैं। ऐसे कई लोग हुए हैं, जिनका प्रेम ऐसा रहा है कि वे अपने साथी की जुदाई सहन ही नहीं कर पाए। तो मंगल सूत्र के जरिए भी दो लोगों को ऐसे ही गहरे बंधन में बांधा जाता है। बेशक इसके बाद इनके मन में ये विचार नहीं आते कि क्या उस व्यक्ति को मेरी पत्नी या मेरा पति होना चाहिए या नहीं। यानी उस व्यक्ति के विकल्प का कोई सवाल ही खड़ा नहीं होता। इसके बाद यह रिश्ता अनवरत चलता रहता है और मौत भी इसे रोक या तोड़ नहीं पाती। भारत में भी ऐेसे कई दंपति हुए हैं, जो अपने साथी की मौत बर्दाश्त नहीं कर पाए और उसके मरने के कुछ ही महीनों बाद वे भी चल बसे। हालांकि कई बार ऐसे लोग सेहत के तौर पर अच्छे होते हैं, लेकिन साथी की जुदाई नहीं सह सकते, क्योंकि उनकी ऊर्जा आपस में बंधी होती है। अगर आप भी किसी व्यक्ति के साथ इस तरीके से जुड़े हैं, जहां आप दो होकर भी एक हों तो जीने का इससे बेहतर दूसरा कोई तरीका नहीं है। हालांकि यह कोई परम संभावना नहीं है, लेकिन जिंदगी जीने का एक खूबसूरत तरीका जरूर है।

Thali, Sati, Odiya @wikimedia commons