अंकित :सद्‌गुरु, पिछले बीस सालों से मैं अपने मन में लगातार एक समस्या से जूझ रहा हूं। यह समस्या ‘क्या सही और क्या गलत’ की समझ को लेकर है। एक जगह दो रेलवे ट्रैक थे, जिसमें से एक ट्रैक चलता था और दूसरा खाली पड़ा रहता था। वहां एक बोर्ड भी लगा था। उन दोनों रेलवे ट्रैकों पर दस बच्चे खेल रहे थे। खाली वाले रेलवे ट्रैक को देखकर एक बच्ची अपने साथियों से बोली, ‘हम लोगों को इस चलती हुई पटरी पर नहीं खेलना चाहिए, वर्ना किसी रेलगाड़ी से हमारी टक्कर हो सकती है। हम लोगों को खाली पड़ी पटरी पर खेलना चाहिए।’ लेकिन किसी बच्चे ने उसकी बात नहीं सुनी। मगर वह लड़की फिर भी दूसरे ट्रैक पर खेलने चली गई, जबकि बाकी नौ बच्चे उसी व्यस्त ट्रेक पर खेलते रहे। तभी एक गाड़ी उनकी ओर आती है। अब यह रेल ड्राइवर को तय करना है कि वह किस लाइन पर अपनी गाड़ी ले जाए।

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किसकी क्या जिम्मेदारी है?

सद्‌गुरु: आपकी जानकारी के लिए यह बता दूं कि ड्राइवर को यह तय नहीं करना होता है कि वह किस लाइन पर अपनी गाड़ी ले जाए। यह काम ऑपरेटर या रेलवे ट्रैफिक मैनेजर का होता है कि वह किस लाइन पर कौन सी गाड़ी भेजे। वह ट्रेन पटरी पर खेलने वाली उस एक बच्ची या फिर दूसरे नौ बच्चों के लिए नहीं चल रही थी। यह ट्रेन उसमें यात्रा करने वाले हजारों लोगों के लिए थी। ड्राइवर की जिम्मेदारी उन यात्रियों के प्रति थी। जो लोग रेलवे ट्रैक पर खेलते हैं या फिर सड़क पर खेलते हैं, उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद उन लोगों की होती है। यह बात और है कि रेलवे लाइन पर खेलने वाले बच्चे थे।

 

अमेरिका के नियम – अगर आप खुद को मारना चाहते हैं तो जिम्मेदारी आपकी है

मैं यहां आपको एक बात बताना चाहूंगा, जब मैं हेलिकॉप्टर उड़ाने का लाइसेंस लेने के लिए ट्रेनिंग ले रहा था और उसके बाद भी जब मैंने अमेरिका में हेलीकॉप्टर उड़ाया तो उस समय मैं अपने इंस्ट्रक्टर के साथ था। अमेरिका का टेनेसी, जहां हमारा ईशा सेंटर है, अपने आप में एक शानदार जगह है। वहां एक ओर एप्पेलेचियन पहाडिय़ां हैं तो दूसरी ओर खूबसूरत नदियां और झरने। वहां हम लोग घाटी में चारों तरफ नदी से सिर्फ 10 फीट ऊपर हेलीकॉप्टर उड़ाना पसंद करते थे। यह अपने आप में सबसे शानदार राइड्स हुआ करती थी। बहरहाल, जब हम जहाज उड़ा रहे थे, तो मैंने अपने साथी इंस्ट्रक्टर से पूछा, ‘मान लीजिए, हमारा जहाज क्रैश होकर नदी में गिर जाए तो इसके लिए क्या नियम हैं?’ उसने जवाब दिया, ‘यह आपकी अपनी समस्या है। अगर आप नदी में क्रैश करना चाहते हैं तो आप अपना जहाज नदी में क्रैश कर सकते हैं।’ ‘लेकिन नियम क्या हैं?’ मैंने पूछा। तब नियमों के बारे में उसने बताया, ‘नियम सिर्फ इतने हैं कि अगर आपके हेलीकॉप्टर का तेल नदी पर तैरता मिला, तो वे लोग उस पर लगने वाले जुर्माने की रकम या तो आपकी बीमा से चुकाएंगे या फिर आपकी संपत्ति जब्त कर लेंगे। लेकिन अगर आप खुद को मारना चाहते हैं तो यह आपकी मर्जी है।’

आपकी जिंदगी, आपकी भलाई – आपकी अपनी जिम्मेदारी है

अगर आपने अमेरिका में अपना हेलीकॉप्टर एक सुनसान खाली जगह पर क्रैश कर दिया और आपकी वजह से किसी व्यक्ति को या फिर किसी की संपत्ति का कोई नुकसान नहीं हुआ तो आपको इस दुर्घटना की रिपोर्ट करने की भी जरूरत नहीं है। अगर आप किसी की संपत्ति को नुकसान पहुंचाएंगे, केवल तभी वे लोग आपके पीछे आएंगे। लेकिन अगर आप बस अपना हेलीकॉप्टर क्रेश करके रह गए और नुकसान सिर्फ आपके हेलीकॉप्टर का हुआ तो यह आपकी जिम्मेदारी है। मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि भारत में भी हर कोई इस बात को समझे कि आपकी जिंदगी, आपकी भलाई आपकी अपनी जिम्मेदारी है। हम सोचते हैं कि सरकार को हमारी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। इस सोच को बदलना चाहिए।

खैर, अगर तेज रफ्तार से ट्रेन आपकी ओर आ रही है और आप दौड़कर पटरी पार करना चाहते हैं और फिर कोई दूसरा आपको रोके? आखिर क्यों? ऐसा करके आप अपनी जन्मकुंडली की जांच कर रहे हैं क्या? मुझे लगता है कि बहुत से लोग सडक़ों पर भी ऐसा इसीलिए करते हैं, क्योंकि वे अपनी जन्मकुंडली की परीक्षा ले रहे होते हैं। उनकी कुंडली में लिखा होता है कि वह 80 या 85 साल की उम्र तक जिंदा रहेंगे, इसलिए वे तेज रफ्तार से आती बस या कार के सामने दौड़कर सड़क पार करने का जोखिम उठाते हैं। वह शायद यह जानना चाहते हैं कि उनकी कुंडली सही है या नहीं?

बच्चों के माता-पिता गिरफ्तार होने चाहिएं

लेकिन लोग एक बात नहीं समझते कि सड़क और रेल की पटरियां रेल के लिए बनी होती हैं न कि इंसानों के चलने के लिए। इंसानों के चलने के लिए निश्चित तौर पर अलग जगह होती है। अगर आपके आस-पास ऐसी जगह नहीं है, तो आपको सरकार से इसकी मांग करनी चाहिए। आपको कहना चाहिए, ‘मुझे सड़क पर नहीं चलना। मेरे टहलने के लिए भी जगह होनी चाहिए।’ यह करने के बजाय आप सड़क पर टहल रहे हैं और फिर उसके बाद आप ऐसे काल्पनिक और दार्शनिक सवाल पूछ रहे हैं। बच्चों को सही या गलत का पता नहीं होता। लेकिन उनके माता-पिता को तो इस बात की समझ है। इसलिए ऐसे मामलों में इनके माता-पिता को गिरफ्तार कर लेना चाहिए। क्योंकि आप बच्चे पैदाकर उन्हें सड़क पर फेंक दे रहे हैं। पिछले सत्तर सालों में हमारी आबादी चार गुनी हो चुकी है। आप जिसे पैदा करते हैं, वह भी आपकी जिम्मेदारी है। एक बार आपने बच्चा पैदा कर दिया तो फिर यह आपके लिए अगले बीस सालों का प्रोजेक्ट है। अगर आप इसके लिए तैयार नहीं हैं तो आप उन्हें पैदा ही मत कीजिए।