हम किसी की बेहद इज्जत कर रहे होते हैं कि अचानक उसके व्यक्तिगत जीवन की कोई बात हमें पता चलती है और अगले ही पल उसके प्रति हमारी सारी इज्जत नफरत में बदल जाती है। क्या ऐसा करना सही है?

प्रश्न: एक सज्जन हैं जिनकी मैं बहुत इज्जत करता हूं और कोई भी समस्या सामने आने पर हमेशा उनकी सलाह लेता हूं। लेकिन एक दिन जब मैं उनसे मिलने गया, तो वह शराब और सिगरेट पी रहे थे। वह लोगों को इतनी अच्छी सलाह देते हैं, लेकिन उनका यह रूप देखने के बाद, मेरे लिए उनकी बातों की कोई इज्जत नहीं रह गई।

सद्‌गुरु:

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इसलिए अगर आप किसी से सलाह मांगते हैं, और वह सलाह अच्छी थी और आपके काम आई, तो आपको उस व्यक्ति को उसी रूप में लेना चाहिए। वह क्या पीता है, क्या खाता है, या हवा पर रहता है, आपको इससे क्या परेशानी है?
यह हमारे देश की एक बड़ी समस्या है। आप हमारे किसी स्टार क्रिकेट खिलाड़ी को ही ले लीजिए, हमारा मतलब सिर्फ इस बात से होना चाहिए कि वह कितने रन बनाता है और देश के लिए क्रिकेट कैसे खेलता है। हमारा काम सिर्फ इतना है। लेकिन लोग इन चीजों के पीछे भी पड़े रहते हैं कि वह क्या खाता है, कहां सोता है और क्या करता है। उन्हें इस बात में दिलचस्पी नहीं है कि वह कितना अच्छा या बुरा क्रिकेट खिलाड़ी है। जब आप किसी को क्रिकेट खिलाड़ी के रूप में जानते हैं, तो आपकी रुचि इस बात में होनी चाहिए कि क्रिकेट के मैदान पर वह क्या करता है। मैदान के बाहर वह क्या करता है, यह जानना आपका काम नहीं है। यह उसकी जिन्दगी है।

इसलिए अगर आप किसी से सलाह मांगते हैं, और वह सलाह अच्छी थी और आपके काम आई, तो आपको उस व्यक्ति को उसी रूप में लेना चाहिए। वह क्या पीता है, क्या खाता है, या हवा पर रहता है, आपको इससे क्या परेशानी है?

वह आपके लिए क्या मायने रखता है, आपके लिए वह किस तरह से कीमती है, इन बातों की वजह से आप उसकी कद्र करते हैं। आपको सिर्फ इतना देखना है कि क्या उसकी सलाह अच्छी होती है? क्या उसकी सलाह निष्पक्ष और सच्ची होती है? वह आपको शराब या सिगरेट पीने के लिए तो नहीं कह रहा है न? वह आपको जो दे रहा है, वह आपके लिए अच्छा है, इसलिए आप उसकी बात मानते हैं।

अगर वह नशे में चूर हो जाता है और आपके साथ बदतमीजी करता है, तो यह एक समस्या है। अगर उसने इस बात का ध्यान रखा है कि उसका शराब पीना आपकी जिन्दगी में दखलअंदाजी नहीं करता और वह आपको अच्छी सलाह देता है, जो आपके लिए असरदार होती है, तो बस उसका फायदा उठाइए। आपको इस बात की चिंता क्यों है कि वह क्या कर रहा है? तो क्या उस व्यक्ति की कोई नैतिकता नहीं है? उस नैतिकता को उसे ही तय करने दीजिए।

आपकी समस्या ऐसी है कि आपने एक आम के पेड़ को देखा, आम बहुत अच्छे थे, आपने उन्हें खाया और आपको खूब पसंद आए। आप हर दिन आते हैं, कुछ आम तोड़कर खाते हैं। लेकिन एक दिन आपने उसकी जड़ों की ओर देखा और पाया कि उसकी जड़ों में मल पड़ा था। फिर आप सोचने लगते हैं, अरे यह आम का पेड़ अच्छा नहीं है, मैं आम नहीं खाऊंगा।

आपको सिर्फ इस बात की चिंता होनी चाहिए कि आम मीठे हैं या नहीं। अगर आम बदबूदार हैं, तो आप बेशक पेड़ को काट दीजिए। अगर आम मीठे हैं, तो चाहे जड़ों में मल पड़ा हो, आपको क्या परेशानी है? अगर वह व्यक्ति आपको जो दे रहा है, वह अच्छा है, अगर वह किसी रूप में आपको खराब नहीं कर रहा या आप पर दबाव नहीं डाल रहा, तो आपको क्या परेशानी है? वह अपनी जिन्दगी में जो चाहता है, वह कर रहा है। मैं नहीं जानता कि वह व्यक्ति जो कर रहा है, वह क्यों कर रहा है इसलिए मैं उसकी जिन्दगी को लेकर कोई राय नहीं बनाना चाहता। आपको भी उसकी जिन्दगी को लेकर कोई राय नहीं बनानी चाहिए। अगर वह आपको कोई अच्छी चीज दे रहा है, तो उसका फायदा उठाइए। अगर नहीं, तो आपको वहां जाने की जरूरत ही नहीं है। बात सिर्फ इतनी है।