जब हर उम्मीद पे दम निकले...
लोगों ने आपसे जो उम्मीदें लगाई हैं, अगर आप उनसे परेशान हैं, तो शायद वक्त आ गया है कि आप हर चीज को एक अलग नजरिए से देखें। सद्गुरु बता रहे हैं कि लोगों की उम्मीदें हमारे लिए अपनी सीमाओं से बाहर निकल कर जिंदगी में कुछ कर गुजरने का मौका बन सकती हैं।
लोगों ने आपसे जो उम्मीदें लगाई हैं, अगर आप उनसे परेशान हैं, तो शायद वक्त आ गया है कि आप हर चीज को एक अलग नजरिए से देखें। सद्गुरु बता रहे हैं कि लोगों की उम्मीदें हमारे लिए अपनी सीमाओं से बाहर निकल कर जिंदगी में कुछ कर गुजरने का मौका बन सकती हैं।
सद्गुरु:
अलग-अलग लोगों की आपसे अलग-अलग उम्मीदें होती हैं, और ये उम्मीदें एक-दूसरे के बिल्कुल विपरीत और बेमेल होती हैं। आपकी पत्नी चाहती हैं कि आप शाम साढ़े-पांच बजे तक घर पहुंच जाएं और आपके बॉस चाहते हैं कि आप शाम साढ़े सात बजे तक आफिस में काम करें। दिन में सिर्फ चौबीस घंटे होते हैं, लेकिन अगर आपको अपने मां-बाप, अपने बच्चों, अपने बॉस और सबसे ज्यादा अपने पति या पत्नी की उम्मीदें पूरी करनी हैं, तो आपके दिन में कम से कम साठ घंटे होने चाहिए। तो सवाल ये है कि ये बाकी के घंटे कहां से लाए जाएं?
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इसका मतलब यह नहीं है कि आप हर काम में पर्फेक्ट हो जाएं। जिंदगी में पर्फेक्शन जैसी कोई चीज नहीं होती। सिर्फ एक ही चीज पर्फेक्ट होती है और वह है मृत्यु। अगर आप पर्फेक्शन की तलाश करते हैं, तो इसका मतलब है आप अपने अचेतन में मृत्य खोज रहे हैं। जीवन में पर्फेक्शन की तलाश न करें। जिंदगी आपके पर्फेक्शन से खूबसूरत नहीं बनती, ये खूबसूरत तब बनती है जब आप हर काम दिल लगा के करते हैं। जिंदगी कभी भी पर्फेक्ट नहीं होने वाली, क्योंकि आप अभी जैसा भी कर रहे हैं, हमेशा उससे थोड़ा बेहतर कर सकते हैं। इसलिए पर्फेक्ट होने का सवाल ही नहीं उठता। जब लोगों को आपसे बड़ी-बड़ी उम्मीदें होंगी, केवल तभी आप अपनी सीमाओं से परे खुद को ले जा पाएंगे। अगर आप सीमा के परे खुद को ले जा सकते हैं, तो इसका मतलब है कि वो आपकी सीमा है ही नहीं। अगर आपसे कोई उम्मीद नहीं की जाए, तो आप कभी अपनी संपूर्ण क्षमता को पा ही नहीं पाएंगे।
बिना किसी की उम्मीद के खुद को अपनी अंतिम सीमा तक फैलाने के लिए एक बिलकुल अलग प्रकार की चेतनता और जागरुकता की जरूरत होती है। इसके लिए आपके अंदर किसी और जज्बे का होना जरूरी है। फिलहाल आप वैसे नहीं हैं। आप लोगों की उम्मीदों के दबाव से ही आगे बढ़ पाते हैं। तो उनको आपसे बड़ी-बड़ी उम्मीदें करने दीजिए। आप हालात को उस सीमा तक संभालें, जितना आप संभाल सकते हैं। कुछ चीजें जरूर आपके काबू के बाहर होंगी, और आप जितने ज्यादा काम हाथ में लेंगे, आपकी जिंदगी में उतनी ज्यादा चीजें गलत होंगी। लेकिन साथ ही बहुत-सी चीजें ठीक भी होंगी। आपकी जिंदगी कितनी अच्छी है, या आप जिंदगी में कितने कामयाब हुए हैं, यह इस बात से तय नहीं होता कि आप उम्मीदों पर कितने खरे उतरे हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने वह काम पूरे दिल से किया या नहीं, अपने आप को पूरी तरह लगाया कि नहीं। आपकी काबिलियत और हालात के अनुसार जो होना है वह जरूर होगा। बस सवाल ये है कि जिंदगी में जो चीज आपके लिए मायने रखती है, क्या उसके लिए आप अपना सौ फीसदी लगा रहे हैं?
आप काम पर जाते हैं और आपको अपना परिवार संभालना है – यह जिंदा रहने की जद्दोजहद है, कोई बड़ा काम नहीं। आपने कोई बहुत बड़ा और बेहद अहम काम हाथ में नहीं लिया है। इसे करने के लिए कोई पहाड़ तोड़ने की जरूरत नहीं। लेकिन बहुत-से लोगों ने इसी काम को जिंदगी भर के बोझ की तरह मान लिया है। उनकी पूरी जिंदगी का मकसद दो वक्त की रोटी कमाना और किसी तरह जिंदा रहना है। ऐसा नहीं होना चाहिए। इंसान इससे कहीं ज्यादा काबिल होता है। अगर इस काबिलियत को खिलना है, तो कुछ हद तक आपके मन की सफाई जरूरी है। इस काम के लिए कुछ सरल-से साधन और अभ्यास हैं। अगर आप इनके साथ कुछ समय तक काम करेंगे, तो आप पाएंगे कि आपके मन की काफी सफाई हो गई है। आप इन चीजों को बड़ी स्पष्टता से देखे पाएंगे, क्योंकि ये आपकी काबिलियत से परे की चीजें नहीं हैं। यह ऐसी चीज है जो आप कर सकते हैं और ऐसा करना- खुद के प्रति आपकी जिम्मेदारी भी है।
यह लेख “ऐंबिशन टु विजन” नामक पुस्तक से उद्धृत है, जो www.ishadownloads.com पर डाउनलोड करने और खरीदने के लिए उपलब्ध है।