हमारे देश के सैनिक करेंगे योग
पिछले कुछ महीनों से ईशा योग केंद्र में बीएसऍफ़ जवान योग प्रशिक्षण पा रहे हैं। सद्गुरु ने इन जवानों को शारीरिक प्रशिक्षण और योग के फर्क के बारे में बताया। पढ़ते हैं सद्गुरु का ये संबोधन।
सैनिकों के काम का कोई मुकाबला नहीं है
सद्गुरु: ईशा फाउंडेशन का सारा काम स्वयंसेवकों द्वारा किया जाता है। मुझे इस बात का गर्व है कि यहां लोग अपने काम को अपने जीवन से ज्यादा अहमियत देते हैं और शानदार चीजें कर जाते हैं।
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किसी भी इंसान के शरीर, मन और सबसे बढ़कर उसकी ऊर्जा और उत्साह को सबसे ऊंचे स्तर पर बनाए रखने का काम योग कर सकता है। हर वो जवान, जो इस देश की सेवा में लगा है, उसे इसका लाभ मिलना चाहिए। सतही तौर पर भले ही यह बहुत मामूली दिखता हो, लेकिन अगर आप इससे सही तरीके से जुड़ते हैं, तो आप पाएंगे कि अगले तीन महीने में आपका तन और मन पूरी तरह से बिलकुल ही अलग स्तर पर काम कर रहे हैं। जो लोग हमारी सीमा की रक्षा कर रहे हैं, उनके साथ ऐसा होना ही चाहिए। उन लोगों को अपने मौजूदा स्तर से आगे जाकर अपने भीतर कहीं ऊंचे स्तर पर काम करना चाहिए।
योग अभ्यास सिर्फ औजार हैं
ये योगिक प्रक्रियाएं महज औजार हैं। देखने में तो औजार बहुत साधारण दिखते हैं, लेकिन औजारों के बिना हम ज्यादातर काम नहीं कर सकते।
एक सैनिक होने के नाते आप यह जानते होंगे कि सीमाओं पर आपकी सुरक्षा क्षमता सिर्फ आपकी शारीरिक ताकत पर निर्भर नहीं करती, बल्कि आपके पास किस तरह के हथियार व उपकरण हैं, इस पर भी निर्भर करती है। हमारे पास जो पहले औजार हैं, वे हैं - हमारा शरीर, मन और हमारी ऊर्जा। अगर ये तीनों चीजें अपने उच्चतम स्तर पर काम करती हैं, तो फिर हमारे हाथ में जो भी छोटी से छोटी चीज दे दी जाए, वो अचानक एक अलग ही तरीके से काम करने लगेगी। शरीर, मन और ऊर्जा पर थोड़ी महारत हासिल करने से एक बिल्कुल अलग तरह की दुनिया नजर आती है, खासकर सैनिकों के लिए, क्योंकि उनका जीवन काफी उम्मीदों से भरा और एकाकी (अकेलेपन वाला) होता है। अगर व्यक्ति अपने भीतर सही तरीके से व्यवस्थित नहीं है, तो अकेला रहना कष्ट भरा होता है। एक योगी अपनी मर्जी से हमेशा अकेला रहना पसंद करता है। उसकी वजह सिर्फ इतनी है कि वह अपने भीतर इतनी अच्छी तरह से व्यवस्थित होता है कि उसे अक्सर कोई दूसरा ऐसा इंसान नहीं मिलता जो उसी की तरह सुव्यवस्थित हो।
शारीरिक प्रशिक्षण और योग – अलग-अलग तरह की शक्ति देते हैं
आपके पास अपनी एक प्रशिक्षण प्रक्रिया होती है, लेकिन आप पाएंगे कि यहां पर सीखे गए साधारण से अभ्यासों से आपके भीतर एक शानदार बदलाव आ गया है।
चूंकि आप लोग एक खास तरह के शारीरिक प्रशिक्षण से गुजर चुके हैं, तो हो सकता है कि हठ योग आपको काफी शुरुआती चीज लगे, लेकिन मैं चाहता हूं कि आप खुद इसके लिए समय दें। तब आप पाएंगे कि शरीर को ताकतवर बनाने के अलावा शरीर के और भी आयाम हैं। एक सैनिक के तौर पर आप शारीरिक व्यायाम करके, दौड़ लगाकर व ऐसी ही कई दूसरी चीजें करके शारीरिक बल तो पा सकते हैं, लेकिन ऊर्जा के स्तर पर खुद को मजबूत करने का तरीका है योग।
नदी अभियान का अनुभव
बीएसएपफ के कुछ जवान नदी अभियान के दौरान मेरे साथ थे और उन सभी को हैरानी होती थी कि मैं कैसे पूरी रात और अगले दिन पूरे दिन गाड़ी चला सकता था और उसके बाद दिन में ढेर सारी मीटिंग भी कर लेता था। योग आपको यही क्षमता देता है कि अगर आप लगातार तीन रात नहीं सोएं, तब भी आप पूरी तरह से ठीक रहते हैं। इसकी वजह है कि योग हमारे भीतर कुछ खास तरह की व्यवस्था लाता है। मैं चाहता हूं कि हमारे देश का हर जवान इस तरह से सशक्त हो।