Sadhguruहठ योग में शरीर से जुड़े कुछ ऐसे सरल नियम हैं, जिनका ध्यान रखने से योग के अभ्यास शक्तिशाली रूप से कारगर हो सकते हैं – जानें इन नियमों के बारे में:

ठंडे पानी से स्नान करें

अभ्यास शुरू करने से पहले, सामान्य तापमान से थोड़े ठंडे पानी से स्नान करें। अगर एक खास मात्रा में पानी आपके शरीर के ऊपर से बहता है या आपका शरीर सामान्य तापमान से कुछ ठंडे पानी में डूबा हुआ रहता है, तो एपिथिलियल कोशिकाएं संकुचित होती हैं और कोशिकाओं के बीच का अंतर बढ़ता है। अगर आप गुनगुने या गरम पानी का इस्तेमाल करते हैं, तो कोशिकाओं के रोमछिद्र खुल जाते हैं और पानी को सोख लेते हैं, हम ऐसा नहीं चाहते। योग के अभ्यास के लिए यह बहुत जरूरी है कि कोशिकाएं संकुचित हों और कोशिकाओं के बीच का अंतर खुल जाए क्योंकि हम शरीर की कोशिका संरचना को ऊर्जा के एक अलग आयाम से सक्रिय करना चाहते हैं। अगर कोशिकाएं संकुचित होकर बीच में जगह बनाती हैं, तो योग का अभ्यास कोशिका की संरचना को ऊर्जावान बनाता है।

आसनों का सही क्रम रखें

आसनों का सही क्रम शरीर को सही तरीके से संचालित करता है। आसन का क्रम मेरी या आपकी पसंद के मुताबिक नहीं होता, यह मानव शरीर की संरचना के अनुरूप होता है। हमें उसे एक सिरे से दूसरे सिरे तक सक्रिय करना पड़ता है। इसलिए इसे वेसै ही करें जैसा कि बताया गया है।

- आसन के दौरान बोलना नहीं चाहिए

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- आसन के समय सांस पर ध्यान दें

- आसन के समय नाक से सांस लें
योगासनों में अपने मुंह से सांस लेना बिल्कुल भी जरूरी नहीं है। आपको कभी खुद को उस हद तक थकाना नहीं चाहिए, जहां आपको सांस लेने के लिए मुंह खोलने की जरूरत पड़ जाए। आपको अपनी सांस की क्षमता धीरे-धीरे बढ़ानी चाहिए।

आंखें बंद रखें

अंगूठे से अंगूठा जुड़ा हो या एडिय़ा जुड़ी हो
जब आप आगे की ओर झुकते हैं, तो आपकी एडिय़ां हमेशा आपस में जुड़ी होनी चाहिए क्योंकि मूलाधार को कसा हुआ होना चाहिए। जब पैर के अंगूठे स्पर्श करते हैं, तो आप अपने आस-पास की चीजें ग्रहण नहीं कर सकते और साथ ही आपका सर्किट पूरा हो जाता है।

कपड़े व आभूषण

ऑर्गेनिक सूती, कच्चा सिल्क या ऊनी कपड़े सही होते हैं, सिंथेटिक कपड़े नहीं पहनने चाहिए। अपने शरीर से सभी, खासकर धातु के आभूषणों को हटा दें। शरीर सेहर तरह के धातु को हटा देना चाहिए, नाक की कील को भी, हां एकाध चीजों को छोड़ सकते हैं जिनके होने से कोई फर्क नहीं पड़ता, जैसे कान की बाली। आप रुद्राक्ष और सर्प अंगूठी को भी पहने रख सकते हैं। रुद्राक्ष इसमें मददगार होता है, वह आपकी अपनी ऊर्जा का एक खोल बना देता है और आपको कृपा पाने के लिए तैयार करता है। सर्प अंगूठी लाखों में एक संभावना को भी खत्म कर देता है कि आप किसी खास साधना को करते हुए अचानक अपना शरीर न छोड़ दें। महिलाओं के लिए, अगर आप अपनी रीढ़ पर किसी तरह के धातु के क्लिपों का इस्तेमाल करती हैं, तो उसे हटा देना चाहिए। ऊर्जा के नजरिये से प्लास्टिक, धातु से बेहतर है।

चश्मा

अभ्यासों के दौरान आपको चश्मा भी हटा देना चाहिए।

पेट खाली हो

योगासन के लिए सिर्फ खाली पेट रहना ही जरूरी नहीं है - पेट साफ भी होना चाहिए। गुनगुना पानी और शहद ही दो ऐसे पदार्थ हैं, जिन्हें आप अपने पेट में जाने दे सकते हैं, और कुछ भी नहीं।

पानी, पसीना और शौचालय

अभ्यास के दौरान पानी नहीं पीना चाहिए और शौचालय नहीं जाना चाहिए, ऊर्जा को बरकरार रखने के लिए जो पसीना निकले उसे वापस त्वचा में ही मल दें। जब आप योग का अभ्यास करते हैं, तो आप धीरे-धीरे शरीर में उष्णता का स्तर बढ़ाते हैं। अगर आप ठंडा पानी पीते हैं, तो उष्णता तेजी से गिरती है जिससे शरीर में दूसरी प्रतिक्रियाएं होती हैं। इससे आपको एलर्जी, अत्यधिक कफ और बाकी समस्याएं हो सकती हैं। यदि आप कठोर आसन कर रहे हैं और अचानक से ठंडा पानी पी लेते हैं, तो आपको तुरंत जुकाम लग सकता है। इसलिए आसन करते समय कभी पानी नहीं पीना चाहिए। और अभ्यास करने के दौरान कभी शौचालय नहीं जाना चाहिए क्योंकि आपको अपने शरीर का पानी पसीने के रूप में बाहर निकालना चाहिए, शौच के रूप में नहीं।

जैसे-जैसे आप अभ्यास करते हैं और आपका योग आपके अंदर आकार लेने लगता है, तो पसीना धीरे-धीरे आपके सिर के ऊपर से निकलना चाहिए, पूरे शरीर से नहीं। बाकी शरीर से मौसम के मुताबिक पसीना आना चाहिए, मगर मुख्य रूप से आपके सिर से पसीना निकलना चाहिए। इसका मतलब है कि आप अपनी ऊर्जा को सही दिशा में ले जा रहे हैं और आसनों से कुदरती तौर पर ऐसा होता है।
अभ्यास के दौरान, अगर आप पसीने से तरबतर हैं, तो आम तौर पर आपके कपड़े उसे सोख लेंगे। लेकिन अगर आप खाली बदन हैं, तो हमेशा पसीने को वापस शरीर में मल दें क्योंकि पसीने में एक खास प्राण तत्व होता है, जिसे हमें खोना नहीं चाहिए। जब हम पसीने को वापस शरीर में मल देते हैं, तो वह शरीर में एक खास आभामंडल और मजबूती लाता है। यह आपकी अपनी ऊर्जा का एक खोल होता है, जिसे कवच भी कहते हैं।
योगाभ्यास के बाद स्नान से लिए कम से कम डेढ़ घंटे इंतजार करें। तीन घंटे का इंतजार उससे भी बेहतर होगा।