गुरु पूर्णिमा के अवसर पर पढ़ें सद्‌गुरु की यह कविता -

गुरु पूर्णिमा

सत्य की खोज में
किया मैंने
कुछ अलौकिक
और कुछ अजीबोगरीब

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एक दिन हुआ
पूज्य गुरु का आगमन
भेद डाला उन्होंने
मेरा सारा ज्ञान

छड़ी से अपनी
छुआ दिव्य चक्षु को
और कर दिया मुझ में
मदहोशी का आह्वान

इस मदहोशी का
नहीं था कोई उपचार
पर बेशक खुल गए
मुक्ति के द्वार

देखा मैंने
इस भयानक रोग का भी
हो सकता है सहज संचार

फिर ले ली मैंने यह आजादी
फैलानी है इस मदहोशी को
इंसानियत में सारी।

Love & Grace