ध्यान करती इमारतें
क्या संभव है वास्तुशिल्प में आध्यात्मिकता का समावेश ? यदि हां तो कैसे? जानते हैं सद्गुरु से इस रोचक ब्लॉग में-
सद्गुरु हमें आधुनिक इमारतों और ईशा योग केंद्र की इमारतों के बनावट के अंतर के बारे में बता रहे हैं। वे बताते हैं कि ध्यानलिंग गुम्बद में किसी भी तरह का तनाव न होने की वजह से उनका अनुमान है कि ये गुम्बद 5000 साल तक बना रहेगा।
ज्यामिति की सटीकता
वास्तुशिल्प बस ज्यामिति का एक खेल है। अगर आप ईशा योग केंद्र में स्थित सभी इमारतें देखें, तो आप पाएंगे कि वे सामग्री की मजबूती के कारण नहीं खड़े हैं। वे पूरी तरह से सटीक ज्यामिति के कारण खड़े हैं। हम यहां जो कर रहे हैं, उसकी खूबसूरती यही है।
आजकल आधुनिक इमारतें इस तरह बनाई जा रही हैं कि वे तनाव के कारण जुड़ी होती हैं क्योंकि निर्माण सामग्री मजबूत होती है, उनको उससे सहारा मिलता है। योग केंद्र में ऐसा नहीं है। यहां पर सिर्फ ज्यामिति का खेल है। इसलिए यहां के इमारत तनावमुक्त हैं। आप कह सकते हैं कि वे ध्यान कर रहे हैं। इमारत ध्यानमग्न हैं, क्योंकि उसमें कोई तनाव नहीं है। कंक्रीट की इमारतें स्टील और कंक्रीट के तनाव से जुड़ी हुई हैं। हमने भी ऐसे कुछ इमारत बनाए हैं। पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति लगातार उन इमारतों को गिराने की कोशिश कर रही है, लेकिन जो इमारत पृथ्वी के बल के साथ पूरी तरह तालमेल में हैं, उन्हें कोई खतरा नहीं है। यह वास्तुशिल्प नहीं है, यह सिर्फ आध्यात्मिकता है।
ध्यानलिंग गुम्बद 5000 साल तक बने रहने का अनुमान
अगर आप ईशा योग केंद्र में ध्यानलिंग मंदिर को देखें, तो उसके गुंबद की अनूठी बात यह है कि उसमें सीमेंट या स्टील का इस्तेमाल नहीं हुआ है। वह सिर्फ ईंट और मिट्टी से बना है।
मेरा अनुमान है कि यह मंदिर कम से कम 5000 सालों तक बना रहेगा क्योंकि इस भवन में कहीं भी कोई तनाव नहीं है। यह निर्माण की साधारण, सटीक ज्यामिति के कारण खड़ा है।
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