रोज़ वही काम

ऐसा महसूस करना आपके मन का खेल है। ऑफिस बदल दें, तो घर बदलने की इच्छा होगी। घर बदलने पर परिवार को बदलने का मन करेगा। परिवार को बदला जाए, तो अपना चेहरा बदलने की ख्वाहिश होगी। यह एक अंतहीन समस्या है।

यह जो क्षण है, बिलकुल नया है। ऐसी कोई न कोई बात इस क्षण में घटती है जो पिछले क्षण में नहीं थी।

दरअसल यहां परिवर्तन के बिना कुछ भी नहीं चलता। कल जिस सूरज को देखा था, आज का सूरज उससे अलग ही है। यह जो क्षण है, बिलकुल नया है। ऐसी कोई न कोई बात इस क्षण में घटती है जो पिछले क्षण में नहीं थी। कहीं कोई पत्ता झड़ा होगा, कहीं कोई बीज अंकुरित हुआ होगा। इस क्षण में आप पिछले साल जैसी, कल जैसी या बस उस क्षण जैसी जो अभी-अभी बीता, अनुभूति महसूस नहीं कर सकते।

उत्साह हो या बोरियत, वह आपके मन की उपज है। जिन्हें लगता है कि पूरे परिवार को वे अपने ऊपर ढो रहे हैं, उन्हें इस विचार के साथ झुंझलाहट आए बिना कैसे रहेगी? चूंकि आप मन के सहारे जी रहे हैं, इसलिए आप पर ऐसी भावना हावी हो रही है कि आप कल के ही काम को आज भी दोहरा रहे हैं।

 

बीता हुआ कल बस एक याद है

बीता हुआ कल, एक याद है। आसमान को यह याद नहीं रहा कि कल बादल कहां-कहां थे? समुंदर ने इसका लेखाजोखा नहीं रखा है कि कल कितनी लहरों को लेकर तट से खेला था। प्रकृति में कोई भी चीज पुरानी नहीं है। हर एक चीज नई नवेली है। विज्ञान भी यही कहता है। एक चट्टान तक हर पल खुद को नया बनाती रहती है।

गर्मी का मौसम था। शंकरन पिल्लै गली-गली में घूमकर टोपियां बेच रहे थे। दोपहर को थकान के मारे किसी वृक्ष के साये में लेटते ही उनकी आंख लग गई। गाढ़ी नींद से जगने पर पाया कि बिक्री के लिए रखी सारी टोपियों को बंदरों ने अपने सिर पर पहन रखा था। इसी तरह की परिस्थिति में उनके दादा ने क्या चाल चली थी, वह किस्सा उन्होंने अपनी दादी से सुन रखा था। चूंकि बंदर नकलची होते हैं, उनके दादा ने अपनी टोपी उतारकर जमीन पर फेंकी थी और उसे देखकर सभी बंदरों ने ऐसे ही नीचे फेंक दी थी, यह बात शंकरन पिल्लै जानते थे।

उन्होंने उसी तरकीब का इस्तेमाल किया। बंदरों को देखकर हाथ हिलाया। बंदरों ने भी अपने हाथ हिलाए। पिल्लै ने गाल पर थपकी दी, बंदरों ने भी ऐसा ही किया। अपनी टोपी को एक बार उतारकर पहन लिया। बंदरों ने भी हू-ब-हू नकल की। थोड़ी देर तक यों खेल दिखाने के बाद उन्होंने अपनी टोपी उतारकर जमीन पर फेंक दी।

 

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पेड़ से एक बंदर उतरकर आया। उसने लपककर शंकरन पिल्लै की टोपी को भी उठा लिया। और भौंचक्के खड़े पिल्लै के पास आकर उनके गाल पर जोर का तमाचा मारा।

‘बेवकूफ कहीं का! क्या तुम्हारे ही दादा होते हैं? ‘ उसने पूछा। बंदरों के नजरिए में भी तो नयापन आ गया है। जिंदगी कभी भी उकताने वाली नहीं है। आप जिस पृथ्वी पर खड़े हैं वह भी एक जगह स्थिर न रहकर लगातार घूमती रहती है। जिस किसी भी क्षण आप मुंह उठाकर देखते हैं, तब आसमान के एक नए नजारे को ही देखते हैं।

इस ऊब से बाहर निकलने का एक रास्ता है। जो भी काम करें उसमें खुद को पूरी तरह से डुबो दें। जो काम आप कर रहे हैं, जब आप महसूस करेंगे कि उसे खुशी से कर रहे हैं, तभी आप उसमें पूरी तरह से डूब सकेंगे।

 

आप मन के गुलाम बन गए हैं

लेकिन आपका मन ही है, जो उस पर ध्यान देने में असमर्थ होकर परेशान रहता है। उकताहट का कारण आपका ऑफिस नहीं है। आप अपने मन के गुलाम हो गए हैं, यही उसका कारण है। मन का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए यह कला चूंकि आपको नहीं आती, इसलिए वह आपका इस्तेमाल कर रहा है। एक मुकाम पर आकर वह आपको निगलकर एकदम निकम्मा बना देगा।

इस ऊब से बाहर निकलने का एक रास्ता है। जो भी काम करें उसमें खुद को पूरी तरह से डुबो दें। जो काम आप कर रहे हैं, जब आप महसूस करेंगे कि उसे खुशी से कर रहे हैं, तभी आप उसमें पूरी तरह से डूब सकेंगे। मजबूरी के कारण काम करने का विचार पालते हुए, झुंझलाहट के साथ करेंगे तो ब्लड प्रेशर, हृदय-रोग और दूसरे सारे मनोरोग बिना बुलाए आपके अंदर घर कर लेंगे।

 

एक सीधी रेखा में यात्रा करना

आपका शरीर और मन आप पर हुकूमत चलाए, इस स्थिति से मुक्त होकर, उनका उपयोग करते हुए क्या आपको लक्ष्य पर नहीं पहुंचना है? इस तरह से भंवर में फंसकर एक ही जगह घूमते रहने से निकालकर, आपको एक तीर की तरह सीधी रेखा में यात्रा करने का मार्ग दिखाना ही अध्यात्म का लक्ष्य है।

ईशा योग की कक्षाओं में आने वाले लोग कुछ ही दिनों में दुनिया को दूसरी तरह से देखने लग जाते हैं। उनकी आंखों पर से पर्दा हट जाता है। इतने वर्षो से जिन चीजों को देखते आ रहे थे, वही चीज अब उन्हें नई दिखाई देने लगती है।

बाहर से आप जिसे भी बदलें, जितना भी बदलें, वह असली परिवर्तन नहीं होगा। जिंदगी को जागरूकता के साथ जीकर देखें तो हर पल आप जोश के साथ रहेंगे। एक बार ‘ध्यान‘ का अनुभव कर लेने पर परिवर्तन आपके अंदर घटित होगा। वहां पर जो बोरियत है, उड़ जाएगी।

 

सिखाने के लिए

नहीं है मेरे पास कुछ भी

लेकिन हैं यदि आप इच्छुक

तो करा दूंगा आपको परिचित

ऐसे आयाम से जिसे देख

आप हैरान हो सोचने लग जाएंगे

कि क्या ऐसा भी संभव है जीवन में,

वह आयाम कहीं और नहीं

है आपके अंदर ही

एक गुह्य स्थान, जिस पर

गौर नहीं किया है आपने अब तक।